उदित वाणी कांड्रा : जनता द्वारा सत्ता से बेदखल कर दिए जाने के बाद झारखण्ड के भाजपा नेतागण अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं। राजनीति के नशे में चूर भाजपा नेताओं ने अपना जमीर तक बेच दिया है और अब अनाप-शनाप बयानबाजी करने लगे हैं। शनिवार को एक प्रेसवार्ता के दौरान उक्त बातें झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के जिलाध्यक्ष डॉ शुभेन्दु महतो ने कहीं। इस दौरान उन्होंने हाल ही में भाजपा नेता रमेश हांसदा द्वारा मंत्री चंपई सोरेन पर की गई टिप्पणी पर तीखा पलटवार करते हुए कहा कि यूं तो हमेशा से ही भाजपा का चरित्र मूल झारखण्डी भावना के विपरीत ही रही है। किंतु भाजपा में मौजूद स्थानीय नेता भी सत्ता के लालच में इतना गिर चुके हैं कि बाहरियों के समर्थन में किसी भी हद तक जाने से परहेज़ नहीं कर रहे हैं। विदित हो कि भाजपा नेता रमेश हांसदा ने मंत्री चंपई सोरेन को चुनौती देते हुए कहा था कि स्थानीयता के मुद्दे पर मंत्री उनसे खुले मंच पर बहस करें। इस पर डॉ महतो ने करारा प्रहार करते हुए कहा कि माननीय मंत्री कोल्हान टाइगर चंपई सोरेन सिर्फ कोल्हान ही नहीं बल्कि राज्य स्तर पर आंदोलनकारी छवि रखते हैं। वे आंदोलन की उपज हैं और उनका जो कद है, उन्हें रमेश हांसदा जैसे छुटभैये नेताओं के साथ डिबेट करने की आवश्यकता नहीं है। अगर वाकई भाजपा में हिम्मत है तो अपने शीर्ष नेताओं को खुले मंच पर आमंत्रित कर कोल्हान टाइगर से डिबेट कराएं। वास्तव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में विशुद्ध झारखण्डी सरकार जिस गति से राज्य विकास के पथ पर अग्रसर है।उसे देखकर भाजपा का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। राज्य में मुद्दाविहीन हो चुकी भाजपा अब वापस सत्ता हासिल करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है। माननीय कोल्हान टाइगर पर टिप्पणी करने से पहले भाजपा को अपनी गिरेबान में झांक कर देखने की आवश्यकता है। ध्यान रहे कि सूबे में अधिकांश समय तक भाजपा ही शासन में रही है। अगर उन्हें झारखण्डियों की इतनी ही चिंता थी तो अबतक 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू कर चुकी होती। जनता अच्छी तरह से देख और समझ रही है कि किस प्रकार से भाजपा नेता रमेश हांसदा ने बाहरियों के साथ मिलीभगत कर झारखण्डी युवाओं के हित में बनी नियोजन नीति को रद्द करवा कर युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ किया है। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा आंदोलन और संघर्ष का प्रतीक है। राज्य के युवाओं को अबुआ राज़ की छत्रछाया में उनका अधिकार दिलाना झामुमो की प्राथमिकता है। इसे रोकने के लिए भाजपा चाहे जितनी भी कोशिश कर लें,हर बार उन्हें मुंह की खानी पड़ेगी।
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