उदित वाणी, जमशेदपुर: झारखंड की स्टार महिला हॉकी खिलाड़ी और भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान सलीमा टेटे को 17 जनवरी 2025 को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा. यह पुरस्कार उन्हें उनकी खेल के प्रति उत्कृष्टता और समर्पण के लिए दिया जाएगा. सलीम, झारखंड की पहली महिला और दूसरी हॉकी खिलाड़ी हैं जिन्हें यह सम्मान प्राप्त होगा. इससे पहले, 1972 में ओलंपियन स्वर्गीय माइकल किंडो को अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया था. इसके अलावा, सिलवानस डुंगडुंग और सुमराय टेटे को मेजर ध्यानचंद अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है.
सलीमा टेटे का संघर्षपूर्ण बचपन और हॉकी की शुरुआत
सलीमा का बचपन सिमडेगा के सदर प्रखंड के बड़की छापर गांव में कठिन परिस्थितियों में बीता. उनका हॉकी सफर बस से बने स्टिक से शुरू हुआ था. उनके पिता सुलक्षणा टेटे और मां सुभानी टेटे किसान हैं, और सलीमा के पिता भी हॉकी खिलाड़ी रह चुके थे. इस कारण उन्हें खेल की दिशा में मार्गदर्शन मिला. 2011 में, सलीमा को उनके पिता ने जिले में आयोजित लट्ठाखमहन प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए भेजा, जहां उन्होंने बेस्ट खिलाड़ी का पुरस्कार जीता. यहीं से उनके जीवन में हॉकी की नई दिशा शुरू हुई.
मनोज कोनबेगी की नजर और भारतीय टीम में चयन
सलीमा के खेल के प्रति समर्पण को देखते हुए, सिमडेगा के हॉकी सिमडेगा के तत्कालीन संयुक्त सचिव मनोज कोनबेगी की नजर उन पर पड़ी. इसके बाद सलीमा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2016 में, सलीमा को पहली बार जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम में चुना गया. इसके बाद उन्होंने अपनी क्षमता का परिचय देते हुए स्पेन दौरे पर भारत का प्रतिनिधित्व किया. 2016 में ही उन्हें बैंकॉक में आयोजित अंडर 18 एशिया कप के लिए टीम की उप कप्तान नियुक्त किया गया, और उनकी कप्तानी में टीम ने कांस्य पदक जीता.
सलीमा की कप्तानी में भारतीय महिला हॉकी की सफलता
सलीमा का चयन 2016 में सीनियर भारतीय महिला हॉकी टीम में हुआ, और उन्होंने ऑस्ट्रेलिया दौरे में भी हिस्सा लिया. 2018 में उन्हें यूथ ओलंपिक में भारत का नेतृत्व करने का मौका मिला, और उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने रजत पदक जीता. 2024 में, सलीम ने भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान के रूप में कार्यभार संभाला और उनकी नेतृत्व क्षमता को सभी ने सराहा.
अर्जुन अवार्ड मिलने पर सलीमा का बयान
सलीमा ने अर्जुन अवार्ड मिलने पर खुशी जाहिर की और कहा कि, “यह अवार्ड मेरे माता-पिता और पूरी टीम का है. मैंने जब चंडीगढ़ कैंप में प्रैक्टिस कर रही थी, तो साथी खिलाड़ी ने मुझे अर्जुन अवार्ड मिलने की जानकारी दी. सबसे पहले मैंने अपने माता-पिता को इस बारे में बताना चाहा, लेकिन मेरे फोन करने से पहले ही उनका कॉल आ गया. वे काफी खुश थे. मैं इस अवार्ड का श्रेय अपने माता-पिता और अपनी पूरी टीम को देती हूं जिन्होंने हर परिस्थिति में मुझे हॉकी खेलने के लिए प्रेरित किया.”
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।