चतरा: झारखंड के चतरा जिले की 18 वर्षीय सबीना कुमारी ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स में अपने पहले ही प्रयास में तीन पदक जीतकर सबका ध्यान आकर्षित किया है. एक दिहाड़ी मजदूर और गृहिणी की बेटी होने के बावजूद, सबीना ने विपरीत परिस्थितियों को पार करते हुए साइक्लिंग की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है.
दो स्वर्ण, एक कांस्य
सबीना ने केरिन और टीम स्प्रिंट स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीते, जबकि 200 मीटर स्प्रिंट में कांस्य पदक अपने नाम किया. उन्होंने साई मीडिया से कहा, “यह मेरा पहला खेलो इंडिया है और मैं तीन पदकों से बेहद खुश हूं. इनमें केरिन स्पर्धा मेरी सबसे अच्छी परफॉर्मेंस रही.”
साइक्लिंग से पहले नहीं था खेलों से कोई नाता
सबीना का खेलों की ओर रुझान एक संयोग था. वर्ष 2017 में उनके पिता ने झारखंड सरकार की सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड योजना के तहत एक फॉर्म भर दिया. सबीना बताती हैं, “उस समय मुझे खेलों के बारे में कुछ पता नहीं था. मेरे पिता चाहते थे कि मैं पढ़ाई और जीवनयापन में कुछ बेहतर करूं. वही छोटा कदम मेरी ज़िंदगी बदल गया.”
राम भट्ट के मार्गदर्शन में मिली नई दिशा
सबीना ने 12 वर्ष की उम्र में रांची स्थित जेएसपीएस अकादमी में साइक्लिंग शुरू की. जल्द ही वे कोच राम कपूर भट्ट के संपर्क में आईं, जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए उन्हें स्प्रिंट में प्रशिक्षण देने का फैसला किया. राम भट्ट खुद 2011 के राष्ट्रीय खेलों के विजेता रह चुके हैं.सबीना ने बताया, “2018 में मैंने राम सर के साथ ट्रेनिंग शुरू की और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.” 2021 में उन्होंने जयपुर में पहली राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण और कांस्य पदक जीते. तभी उन्हें विश्वास हुआ कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर तक जा सकती हैं.
खेलो इंडिया बना संबल
वित्तीय संघर्षों के बावजूद, सबीना को ‘खेलो इंडिया योजना’ से निरंतर सहयोग मिला. उन्होंने कहा, “इसी योजना के कारण मैं आज यहां हूं. इससे मुझे खुद को साबित करने का मंच मिला.”
अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहली चमक
2024 में सबीना ने दिल्ली में एशियाई चैंपियनशिप में भारतीय टीम के साथ स्वर्ण पदक जीतकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदार्पण किया. फिलहाल वे दिल्ली स्थित साई नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में फ्रांसीसी कोच केविन सिरो के मार्गदर्शन में तकनीकी दक्षता बढ़ा रही हैं. उन्होंने कहा, “मेरा अगला लक्ष्य भारत के लिए ओलंपिक खेलना है.”
पढ़ाई और प्रशिक्षण का संतुलन
सबीना इस समय 12वीं कक्षा की पढ़ाई स्व-शिक्षण के माध्यम से कर रही हैं और साइक्लिंग के गहन प्रशिक्षण को संतुलित रूप से आगे बढ़ा रही हैं. वे अपनी जड़ों और पहले कोच के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहती हैं, “झारखंड में अब साइक्लिंग को लेकर जागरूकता बढ़ी है. राम सर के अधीन 25 से 30 बच्चे प्रशिक्षण ले रहे हैं. मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे सही समय पर उनका मार्गदर्शन मिला.”
(IANS)
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