उदित वाणी, रांची: झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस एस एन प्रसाद व जस्टिस नवनीत कुमार की खंडपीठ ने राज्य के सांसद-विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों के त्वरित निष्पादन में देरी को लेकर सीबीआई के जबाब पर असंतुष्टि जतायी और मामले में नाराजगी जताते हुए विस्तृत जबाब दाखिल करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने सीर्बीआइ से पूछा कि झारखंड में सांसद-विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के ट्रायल को पूरा करने में क्यों देरी हो रही है. लंबित सभी 15 केस में गवाही पूरी होने में देरी का कारण स्पष्ट करें. मामले में अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी. अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि सांसद-विधायकों के कई केस में आरोप गठित होने के पांच साल बाद भी गवाही की प्रक्रिया पूरी नहीं होने से ट्रायल लंबित है. ट्रायल में देरी होने से गवाहों में डर का माहौल बना रहता है. प्रतीत होता है कि सीबीआई सांसद-विधायकों के लंबित मुकदमों के जल्द निष्पादित करने के मामले में गंभीर नहीं है. अदालत ने कहा कि गवाहों को जल्द लाकर ट्रायल प्रक्रिया पूरी की जाए ताकि जल्द से जल्द अंतिम फैसला लिया जा सके.
उच्च शिक्षा विभाग के प्रधानसचिव राहुल पुरवार को अदालत के समक्ष सशरीर उपस्थित होने का निर्देश
इधर झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की पीठ में कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत ने उच्च शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव राहुल पुरवार को अदालत के समक्ष सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया. साथ ही अदालत ने उनसे कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं करने का कारण पूछा. अदालत ने कहा कि प्रधान सचिव के कोर्ट में उपस्थित नहीं होने कोई कारण मान्य नहीं होगा. क्योंकि अदालत उन्हें एक सप्ताह पहले नोटिस जारी कर चुकी है. मामले में अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी. इस संबंध में अरुण कुमार व अन्य की ओर से हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई है. प्रार्थी प्रयोगशाला सहायक के पद पर नियुक्ति हुए थे. बर्ष 1986 में उन्हें नियमित कर दिया गया और डेमोस्ट्रेटर के रूप में कार्य लिया जा रहा था. अदालत ने इनके पे स्केल यूजीसी के तहत और बर्ष 1986 से सेवा मानकर लाभ देने का निर्देश दिया था.
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