उदित वाणी, रांची: प्रदेश भाजपा नेताओं के लिए सोमवार का दिन बेहद शुभ साबित हुआ. जहां एक ओर झारखंड हाईकोर्ट ने रघुवर सरकार के पांच पूर्व मंत्रियों के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दी. वहीं हाईकोर्ट ने बाबूलाल मरांडी व अर्जुन मुंडा समेत प्रदेश भाजपा के 18 नेताओं को भी बड़ी राहत दी. मुख्यमंत्री आवास घेराव मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की अदालत ने प्रदेश भाजपा के 18 नेताओं के खिलाफ बर्ष 2024 में लालपुर थाना में विभिन्न धाराओं में दर्ज प्राथमिकी कांड संख्या-203/2024 को रद्य करने का आदेश दिया.
भाजपा द्वारा 23 अगस्त 2024 में युवा आक्रोश मार्च निकाली गई थी और मोराहाबादी मैदान से भाजपाईयों के मुख्यमंत्री आवास जाने के क्रम में पुलिस के साथ झड़प हुई थी. प्रदेश भाजपा के कार्यक्रम को लेकर पुलिस द्वारा मोराहाबादी मैदान में ही बैरिकेडिंग कर उन्हें रोका गया था. इसी दौरान भाजपा नेताओं के साथ झड़प के बाद वाटरकेनन के जरिये पानी की बौछार के साथ पुलिस द्वारा लाठीचार्ज भी किया गया था. इसके बाद आरोपी भाजपा नेताओं पर उपद्रव करने, दंगा भड़काने, सरकार के निर्देशों का उल्लंघन करने, सरकारी कार्य में बाधा डालने, अपराध के लिए उकसाने और दूसरे व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने से संबंधित धाराएं लगाते हुए लालपुर थाना में प्राथमिकी भी दर्ज करायी गई थी.
इसके खिलाफ भाजपा नेताओं की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर प्राथमिकी निरस्त करने की मांग की गई थी. सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव और पार्थ जालान ने अदालत को बताया कि भाजपा नेताओं पर लगाए गए आरोप गलत है. सभी के खिलाफ राजनीतिक कारणों से प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. इसलिए इसे निरस्त किया जाय. अदालत ने प्राथियों के अधिवक्ताओं की दलील को मंजूर करते हुए प्राथमिकी को निरस्त कर दिया. मामले में बाबूलाल मरांडी व अर्जुन मुंडा के अलावा संजय सेठ, नवीन जायसवाल, बीडी राम, नारायण दास, अमित मंडल, प्रदीप वर्मा, दीपक प्रकाश, ढुल्लू महतो, अमर बाउरी, युवा मोर्चा के अध्यक्ष शशांक राज और रमेश सिंह समेत 18 नेताओं को आरोपी बनाया गया था.
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