उदित वाणी, जमशेदपुर: भारत के डोम्माराजू गुकेश ने सिंगापुर में आयोजित 2024 की वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप में चीन के डिंग लीरेन को 14वें राउंड में हराकर खिताब जीत लिया. इस शानदार जीत के साथ, 18 वर्षीय गुकेश ने न केवल अपनी अद्वितीय प्रतिभा का परिचय दिया, बल्कि शतरंज की दुनिया में एक नया इतिहास भी रच डाला.
गुकेश की चमत्कारी वापसी
इस टूर्नामेंट की शुरुआत गुकेश के लिए कठिन रही थी, क्योंकि पहले राउंड में वह पीछे थे. हालांकि, तीसरे राउंड में उनकी जबरदस्त वापसी ने सबको चौंका दिया. 11वें राउंड में वह बढ़त में थे, लेकिन अगले राउंड में डिंग लीरेन ने कड़ी टक्कर दी. फिर अंतिम राउंड में गुकेश ने अपनी रणनीति से बाजी पलटते हुए खिताब अपने नाम किया.
गुकेश ने तोड़ा कास्पारोव का रिकॉर्ड
गुकेश ने 18 वर्ष, 8 महीने, और 14 दिन की उम्र में यह ऐतिहासिक खिताब जीता, और इस तरह 1985 में गैरी कास्पारोव द्वारा बनाए गए सबसे युवा शतरंज चैंपियन बनने के रिकॉर्ड को तोड़ा. कास्पारोव 22 वर्ष की आयु में चैंपियन बने थे. इस महान उपलब्धि के बाद, गुकेश ने शतरंज जगत में अपनी विशेष पहचान बनाई है.
प्रधानमंत्री मोदी का संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुकेश को बधाई देते हुए कहा, “यह एक ऐतिहासिक और अनुकरणीय उपलब्धि है. डी गुकेश को इस शानदार सफलता पर बधाई. उनकी यह जीत टैलेंट, मेहनत, और प्रतिबद्धता का परिणाम है, और यह लाखों युवाओं को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करेगी. मैं उन्हें आगे आने वाले टूर्नामेंट्स के लिए शुभकामनाएं देता हूं.”
गुकेश का असाधारण करियर
गुकेश, जिन्होंने शतरंज के खेल में 12 साल की उम्र में भारत के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बनने का रिकॉर्ड भी बनाया था, अब तक कई अहम टूर्नामेंट्स में सफलता प्राप्त कर चुके हैं. इस वर्ष उन्होंने कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतकर वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई किया था. गुकेश की यह जीत केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि भारतीय शतरंज के इतिहास में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.
बचपन से ही शतरंज की ओर आकर्षण
गुकेश का जन्म 7 मई 2006 को चेन्नई में हुआ था. उनके पिता डॉक्टर हैं और मां माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं. सात साल की उम्र में शतरंज की ओर उनका रुझान बढ़ा, और शुरुआती कोचिंग उन्हें भास्कर से मिली. बाद में विश्वनाथन आनंद ने उनकी ट्रेनिंग की दिशा और मार्गदर्शन किया, जिससे उनकी खेल क्षमता और निखरी.
विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीतने के बाद की भावनाएं
गुकेश ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा, “यह मेरे लिए एक सपने जैसा है, और मैं बहुत गर्व महसूस कर रहा हूं. यह जीत मेरे कठिन परिश्रम और उन सभी लोगों की मदद का परिणाम है जिन्होंने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाने में योगदान दिया.”
शतरंज की दुनिया में गुकेश का भविष्य
गुकेश ने कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतने के बाद खुद को एक मजबूत चैलेंजर के रूप में स्थापित किया था. अब विश्व शतरंज चैंपियन बनने के साथ, उनका नाम शतरंज के दिग्गजों की सूची में शामिल हो गया है. आगे आने वाले वर्षों में वह और भी कई टूर्नामेंट्स में अपनी छाप छोड़ने के लिए तैयार हैं.
गुकेश की प्रेरणा और संघर्ष
गुकेश ने अपनी सफलता के पीछे के संघर्ष और प्रेरणा को साझा करते हुए कहा, “शतरंज के खेल में हमेशा कुछ नया सीखने और बेहतर करने की प्रेरणा मिलती है. यह मेरे लिए एक निरंतर यात्रा है, और मुझे हमेशा अपने प्रशिक्षकों और परिवार का समर्थन मिला है.”
एक नया इतिहास रचने की यात्रा
गुकेश की यह विजय केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह भारत में शतरंज के प्रति बढ़ते हुए प्यार और समर्पण का भी संकेत है. उनकी उपलब्धि ने न सिर्फ शतरंज की दुनिया को चौंका दिया, बल्कि लाखों युवा खिलाड़ियों को यह विश्वास दिलाया कि कड़ी मेहनत और समर्पण से कोई भी सपना साकार हो सकता है.
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