उदित वाणी, जमशेदपुर: रंगमंचीय विविधता और सांस्कृतिक चेतना के मेल से सजा ऑल इंडिया कल्चरल फेस्टिवल इस वर्ष रामराजतल्ला स्थित बानी निकेतन हॉल में लक्ष्मीकांत फिल्म्स एंड म्यूज़िक प्रा. लि. द्वारा अत्यंत भव्यता से आयोजित किया गया. इस बहुराष्ट्रीय आयोजन में देशभर की विशिष्ट नाट्य प्रस्तुतियों ने मंच साझा किया, लेकिन जिस प्रस्तुति ने दर्शकों के हृदय पर अमिट छाप छोड़ी, वह थी जमशेदपुर की प्रतिष्ठित संस्था — कलाकृति नाट्य मंच द्वारा मंचित “म्यूज़ियम ऑफ स्पीशीज़ इन डेंजर”.
‘म्यूज़ियम ऑफ स्पीशीज़ इन डेंजर’ — एक प्रतीकात्मक परंतु सशक्त सामाजिक कथ्य
यह नाटक केवल एक रचना नहीं, बल्कि एक चेतनात्मक झटका था, जिसने दर्शकों को भीतर तक झकझोर दिया. संग्रहालय की प्रतीकात्मक कल्पना के माध्यम से यह नाटक उन स्त्रियों की करुण कथा कहता है, जो पीढ़ियों से दमन, विस्मृति और उपेक्षा की शिकार रही हैं. मंच पर प्राचीन मिथकों से लेकर समकालीन स्त्री संघर्षों तक की आवाजें जीवंत हो उठीं — उनकी चुप्पी, पीड़ा, विद्रोह और अंततः आत्म-उद्घोषणा.
पुरस्कारों की झड़ी, जमशेदपुर का परचम लहराया
सर्वश्रेष्ठ पार्श्व संगीत : नीतीश राय के निर्देशन में रचा गया संगीत सिर्फ पृष्ठभूमि नहीं था, बल्कि नाटक की आत्मा बनकर दर्शकों के अनुभव में समाहित हो गया.
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री : पूजा मुखी ने अपने तीव्र और संवेदनशील अभिनय से स्त्री चेतना को न केवल मंच पर, बल्कि दर्शकों के अंतर्मन में भी जीवंत कर दिया.
सर्वश्रेष्ठ नाटक (द्वितीय पुरस्कार) : निर्देशन प्रिया यादव का था. प्रमुख भूमिकाओं में पूजा मुखी (रिंकू), एल आकांक्षा (नेहा), अनन्या राज (भवरी देवी), प्रिया यादव (शिरीन), सुषमा प्रमाणिक (मुस्लिम महिला), दीपेश सिंह (हैंडसम लड़का) और श्याम देव (बदमाश लड़का) ने प्रभावशाली अभिनय प्रस्तुत किया.
प्रत्येक प्रस्तुति तत्व ने मिलकर रचा सामाजिक वक्तव्य
सूत्रधार : रूपेश कुमार
गायन मंडली : रूपेश कुमार, श्याम देव, रूपेश प्रसाद, दीपेश सिंह
पार्श्व संगीत : नीतीश राय
प्रकाश संयोजन : खुर्शीद आलम, जिसने दृश्यात्मक सौंदर्य को नया आयाम दिया
रूप सज्जा : पूजा मुखी
वस्त्र विन्यास : सुषमा प्रमाणिक
मंच सज्जा व सामग्री : रूपेश प्रसाद, नीतीश राय
इस संपूर्ण प्रस्तुति में तकनीकी दक्षता और कलात्मक अभिव्यक्ति का ऐसा संगम था, जिसने इसे सिर्फ नाटक नहीं, बल्कि एक सामाजिक दस्तावेज बना दिया.
स्त्रियाँ मंच पर नहीं, नेतृत्व में हैं — और पुरस्कृत भी
इस नाटक की सबसे प्रभावशाली विशेषता थी महिला कलाकारों की सशक्त उपस्थिति. उन्होंने न केवल मंच को जीवंत किया, बल्कि नेतृत्व करते हुए यह सिद्ध कर दिया कि आज की स्त्री बोल भी रही है, दिशा भी दे रही है और प्रतिष्ठा भी पा रही है.
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।