उदित वाणी, जमशेदपुर: राज्य सरकार ने मंगलवार को इस प्रावधान से संबंधित बिल “कारखाना (झारखंड संशोधन) विधेयक, 2025” को स्वीकृति दे दी.
टाटा स्टील ने रात्रि पाली में महिलाओं को काम करने की अनुमति को लेकर बहुत पहले राज्य सरकार को पत्र लिखा था और कारखाना विधेयक में संशोधन करने की मांग की थी. टाटा स्टील ने अपने वर्कफोर्स में विविधता लाने के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित किया है. कंपनी की कोशिश है कि इस साल तक कुल वर्कफोर्स की एक चौथाई महिलाएं हो. पहले ही शॉप फ्लोर पर महिलाएं काम कर रही है, लेकिन अब इस विधेयक के पास होने के बाद रात्रि पाली में भी महिलाएं काम कर सकेंगी.
रात में महिलाओं को काम कराना चुनौतीपूर्ण :
- झारखंड में रात्रि पाली में महिलाओं के काम करने पर विधानसभा की मुहर लगने के बाद जमशेदपुर की विभिन्न कंपनियों को रात में महिलाओं को काम कराना बेहद चुनौतीपूर्ण होगा. टाटा स्टील के कुल वर्कफोर्स में अभी महिलाओं की हिस्सेदारी 17 से लेकर 20 फीसदी के करीब है. कपनी सूत्रों का कहना है कि अभी महिलाएं जेनरल शिफ्ट में काम कर रही है. ऐसे में सेफ्टी और सिक्यूरिटी की बहुत समस्या नहीं है.
रात में महिलाओं के काम करने के लिए कंपनी में इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है. ऐसे में जब तक कंपनी प्रबंधन महिलाओं के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं बना लेता, तब तक महिलाओं को रात में काम नहीं कराएगा. रात में काम करने वाली महिलाओं को रेस्ट रूम के साथ ही चेंज रूम जैसी सुविधाएं चाहिए. यही नहीं उन्हें रात में लाने और ले जाने के लिए बस की सुविधा भी बहाल करनी होगी, ताकि वे सुरक्षित कंपनी से घर और घर से कंपनी आ-जा सके. रात में कंपनी के कई एरिया में विजिबिलिटी एक बहुत बड़ी समस्या है. कॉमन एरिया में ड्यूटी नहीं होने पर परिसर में सन्नाटा पसरा रहता है. ऐसे में इन क्षेत्रों में रात में महिलाओं को काम करने के लिए प्रबंधन को सारी सुविधाओं को बहाल करना होगा.
जब तक फूल प्रूव सिस्टम नहीं हो जाता, टाटा स्टील प्रबंधन इस फैसले को लागू नहीं करेगा. इस फैसले के बाद माइंस में काम करने वाली महिलाओं को भी फूल प्रूव सिस्टम बनाना होगा. माइंस में पुरूषों का बोलबाला रहा है. ऐसे में माइंस में महिलाओं को रात में काम करने से कंपनी को तो लाभ होगा, मगर प्रबंधन को महिलाओं के लिए पुख्ता व्यवस्था करनी होगी. ऐसे में माना जा रहा है कि इस फैसले को जमीन पर लागू करने में अभी दो-तीन महीने लग जाएंगे.
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