30 जून 2026 तक टाटा स्टील में स्थायी कर्मचारियों की संख्या 8275 करने का लक्ष्य
उदित वाणी, जमशेदपुर: टाटा स्टील में जॉब फॉर जॉब स्कीम को फिर लागू करने से प्रबंधन ने साफ इंकार कर दिया है. प्रबंधन ने यूनियन को कंपनी की वर्तमान स्थिति तथा इस स्कीम के तहत बहाल हुए कर्मचारियों के व्यवहार तथा आचरण का हवाला देकर दो टूक लहजों में फिर लाने से साफ मना कर दिया. उल्लेखनीय है कि कंपनी में एक जनवरी से सुनहरे भविष्य की योजना के नाम से अर्ली सेपरेशन स्कीम (ईएसएस) लागू है, जो 31 जनवरी तक चलेगी.
इस बार इएसएस के साथ जॉब फॉर जॉब स्कीम लागू नहीं की गई है, जिससे कर्मचारियों में मायूसी है. कर्मचारियों के दवाब के बाद कमेटी मेंबरों ने यूनियन अध्यक्ष से मिलकर इस स्कीम को पुन: लागू कराने के लिए ज्ञापन सौंपकर आग्रह किया. कमेटी मेंबरों के दवाब के बाद यूनियन नेतृत्व ने इस मुद्दे को लेकर प्रबंधन से बात की तथा कर्मचारियों की भावनाओं से अवगत कराया. यूनियन नेताओं का कहना है कि कंपनी की मौजूदा स्थिति के साथ साथ जॉब फार जॉब के तहत बहाल होने वाले कर्मचारी सीधे टाटा स्टील या फिर नई कंपनी टाटा स्टील सपोर्ट सर्विसेस या टाटा स्टील टेक्निकल सर्विसेस कहां बहाल होंगे, यह पेंच है, क्योंकि पूर्व के समझौते के अनुसार योजना के तहत कर्मचारी पुत्रों को टाटा स्टील में नौकरी देने का प्रावधान है.
कर्मचारियों की संख्या कम करने के लिए प्रबंधन व यूनियन के बीच एक सितंबर, 2023 को एक समझौता हो चुका है जिसमें 30 जून 2026 तक कंपनी में स्थाई कर्मचारियों की संख्या 8275 करने की बात कही गई है. ऐसे में जब तक जॉब फॉर जॉब के तहत बहाल होनवाले कर्मचारियों की नियुक्ति कहां होगी ? इस पर नए सिरे से समझौता नहीं हो जाता है तब तक इस योजना के चालू होने की संभावना कम है.
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