डीएवी एनआईटी में स्कूली वैन चलाते हैं सुमित कुमार ठाकुर के पिता
उदित वाणी, जमशेदपुर: संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सोमवार को सिविल सेवा फाइनल परीक्षा के नतीजे घोषित कर दिए. इसमें आदित्यपुर के रोड नंबर तीन निवासी सुमित कमार ठाकुर को यूपीएससी में 263वां रैंक मिला. सुमित को उम्मीद है कि उसे आइएएस संवर्ग मिलेगा. सुमित के पिता विजय कुमार ठाकुर स्कूली वैन चालक हैं. वे डीएवी एनआईटी आदित्यपुर में स्कूली वैन चलाते हैं. वर्तमान में भी सुमित के पिता स्कूली वैन चलाते हैं और घर-बार चलाते हैं.
सुमित ने को यूपीएससी में यह सफलता तीसरी बार के प्रयास में मिली. पहली बाद वर्ष 2019 में भी यूपीएससी की परीक्षा दी थी. इसी दौरान वे इंटरव्यू तक पहुंच गए थे. मात्र तीन अंक से वे चूक गए थे. इसके बाद कोविड के कारण परीक्षा नहीं हो पाई. इसके बाद 2021 में इसके लिए फिर से तैयारी की और अंतत: इसमें वे कामयाब हो गए. सुमित ने दसवीं तक की शिक्षा रामकृष्ण मिशन बिष्टुपुर से हुई है। इसके बाद उन्होंने राजेंद्र विद्यालय से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। यहां से सुमित ठाकुर ने बीआइटी सिंदरी धनबाद में 2014-18 बैच में कंप्यूटर साइंस में एडमिशन लिया और अपना कोर्स पूरा किया. इस दौरान उनका यामाहा, टीसीएस व मैकलाइन का आफर भी ठुकराया. उन्होंने अपनी एक स्टार्टअप कंपनी पैतव्य प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी शुरू की है, जो सॉफ्टवेयर डेवलपर का कार्य करती है. सुमित की इस कामयाबी से उनका परिवार काफी खुश है. परिवार का कहना है कि सुमित शुरु से ही पढ़ने में ठीक था, वो काफी मेहनत भी करता था, उसकी मेहनत का ही नतीजा है, कि आज उसे इतनी बड़ी सफलता मिली है. गौरतलब है, कि सुमित ने ना सिर्फ परिवार, और जिला बल्कि पूरे राज्य का नाम रौशन किया है.
पिता की ख्वाहिश, बेटा गरीब बच्चों को पढ़ने में मदद करे
सुमित कुमार ठाकुर के वैन चालक पिता विजय कुमार ठाकुर अपने बेटे की सफलता से खासे खुश हैं और उससे उम्मीद करते हैं कि वह अब गरीब बच्चों को पढ़ाने में मदद करे। सुमित के माता-पिता आदित्यपुर में एक छोटे से घर में रहते हैं. सिमित के पिता ने बेटे के संघर्ष के बारे में बताया कि स्कूल के दिनों में टूटी चप्पल पहन कर और मामा की एक साइकिल लेकर वह रोज आदित्यपुर से साकची स्कूल जाता और आता था. दसवीं की परीक्षा के बाद सुमित ने टिस्को अप्रेंटिंस की परीक्षा दी थी. उसमें भी वह पास हो गया था. लेकिन नौकरी करने की जगह आईएएस बनना चाहा, सो नौकरी नहीं की. आर्थिक तंगी के कारण सुमित सरकारी इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ना चाहता था. आखिरकार प्रयास करने पर बीआइटी सिंदरी में सुमित का दाखिला हुआ. यहां भी स्कॉलरशिप से फीस जा हो गई. इंजीनियरिंग करने के बाद सुमित ने स्वयं यूपीएससी की तैयारी कर ली. एक बार पास नहीं होने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी. सोमवार को जारी यूपीएससी की परीक्षा के परिणाम में 263वां रैंक आया है. अपनी गरीबी और संघर्ष के कारण विजय कुमार ठाकुर ने बताया कि मेरी दिली इच्छा है कि मेरा बेटा किसी एक गरीब बच्चे की पढ़ाई-लिखाई में मदद करे.
लोयला की टॉपर श्रुति राजलक्ष्मी को यूपीएससी में लाया 25 वां स्थान
बिष्टुपुर लोयला स्कूल की छात्रा रही श्रुति राजलक्ष्मी ने यूपीएससी में पूरे भारत में 25 वां स्थान प्राप्त किया है. श्रुति वर्ष 2013 की लोयोला की आईसीएसई टॉपर रही है. 2006 से 2013 तक श्रुति जमशेदपुर में रहती थी. श्रुति की माता प्रीति उस समय चांडिल प्रखंड में सीडीपीओ थी. श्रुति ने स्वयं से रांची और दिल्ली में रहकर तैयारी की. 12वीं तक की पढ़ाई डीपीएस आरकेपुरम दिल्ली से की है. जमशेदपुर में श्रुति डिमना रोड मून सिटी में रहती थी. श्रुति बीएचयू आईआईटी से 2019 में कप्यूटर साइंस से पास करने के बाद एक वर्ष नौकरी की. फिर स्वयं से तैयारी कर यूपीएससी में सफलता प्राप्त की है. श्रुति के पिता आनंद कुमार वकील हैं और मां अभी जिला समाज कल्याण पदाधिकारी हैं. अभी प्रोजेक्ट भवन में हैं.
गम्हरिया के विकास को यूपीएससी में मिला 110वां रैंक
छोटा गम्हरिया जैसे एक ग्रामीण क्षेत्र के निर्मल पथ निवासी चक्रधर महतो के बड़े पुत्र विकास महतो ने यूपीएससी की परीक्षा में सफल हुए हैं. विकास केपीएस गम्हरिया का पूर्व छात्र रहा है. विकास महतो ने वर्ष 2021 के संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में 110 वां स्थान प्राप्त कर जिले ही नहीं पूरे झारखंड का नाम रोशन किया है. विकास बताते हैं कि उनका लक्ष्य प्रशासनिक सेवा में जाना है. वर्तमान परिस्थित में आइएएस मिलना मुश्किल लग रहा है. उम्मीद है कि आइपीएस या भारतीय राजस्व सेवा उन्हें मिलेगा. जो भी मिलेगा वे इसे ग्रहण करेंगे तथा कार्य करते हुए एक बार फिर से प्रशासनिक सेवा के लिए यूपीएससी की परीक्षा देंगे.
विकास ने वर्ष 2020 में भी यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल किया था जिसमे उसे 446 वा रैंक प्राप्त हुआ था. उसके बाद उसे भारतीय राजस्व सेवा में योगदान देने का अवसर मिला, लेकिन उसने आइएएस बनने का सपना संजो रखा था. नागपुर में प्रशिक्षण के दौरान ही उसने इस वर्ष पुनः यूपीएससी परीक्षा देने का निर्णय लिया. अंततः उसका सपना पूरा हुआ और इस वर्ष उसे आइएएस बनने का अवसर मिल ही गया. बकौल विकास के अनुसार उसे आइएएस कैडर मिल जाएगा. विकास महतो का मूल घर चांडिल प्रखंड के खूंटी गांव है. उनके माता-पिता अब छोटा गम्हरिया में रहते है. पिता चक्रधर महतो मानगो अंचल में अंचल निरीक्षक के पद पर कार्यरत है. मां गम्हरिया में मां अंबालिका इंडेन गैस की प्रोपाइटर है. डीएवी बिस्टुपुर से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद विकास ने एनआईटी इलाहाबाद से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया. पढ़ाई के दौरान ही वर्ष 2017 में एलएंडटी कंपनी में उसका प्लेसमेंट हो गया. भाई पल्लव ओडिशा के बुर्ला में एसबीआइ में पीओ के पद पर पदस्थापित हैं.
यूपीएससी में सफलता प्राप्त करने को लेकर विकास ने रोजाना आठ घटे की पढ़ाई की तथा आधुनिक भारत का इतिहास, अर्थशास्त्र, राज व्यवस्था तथा पर्यावरण विषयों को अच्छी तरीके से पढ़ा तथा करेंट अफेयर्स पर फोकस किया। कहा कि यूपीएससी की तैयारी करने वाले प्रत्येक छात्र को अखबार रोज पढ़ना चाहिए। इससे देश दुनिया की वास्तविक स्थिति का पता सकता है. प्रतिष्ठत कोचिंग संस्थानों द्वारा प्रत्येक माह प्रकाशित सामान्य ज्ञान की पुस्तकों को पढ़ने और इसका अभ्यास करने से परीक्षा में आपको काफी सहूलियत होगी.
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