उदित वाणी, जमशेदपुर: झारखंड राज्य में PESA (पंचायतों के लिए विस्तार अनुसूचित क्षेत्र) कानून को अब तक लागू नहीं किया गया है. इसलिए पेसा अधिनियम 1996 बनाम झारखंड पंचायत राज अधिनियम के मुद्दे पर विचार-विमर्श हेतु आदिवासी सुरक्षा परिषद द्वारा एक दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है. यह कार्यक्रम 12 जनवरी 2025 को सोनारी स्थित ट्राईबल कल्चरल सेंटर में प्रातः 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक आयोजित होगा. इस पर हाईकोर्ट ने कई बार राज्य सरकार को निर्देश दिए, लेकिन इसके बावजूद सरकार ने इस पर गंभीरता नहीं दिखाई. पेसा कानून के लागू होने से आदिवासी समुदाय और ग्राम सभाओं को सशक्त किया जा सकता है, लेकिन राज्य सरकार इस दिशा में कदम उठाने से बचती रही है.
पेसा कानून से अन्य राज्यों ने दिखाया मार्ग
भारत के सात राज्यों ने पेसा कानून को लागू कर आदिवासियों के अधिकारों को संरक्षित किया और ग्राम सभाओं को मजबूत किया है. झारखंड में इसका अभाव, आदिवासी समुदायों के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है.
बुद्धिजीवियों और युवाओं की सहभागिता
इस सम्मेलन में कोल्हान क्षेत्र के प्रबुद्ध बुद्धिजीवी और आदिवासी युवा छात्र भाग लेंगे. यह कार्यक्रम पेसा कानून के महत्व और झारखंड में इसकी आवश्यकता पर विस्तृत चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा.
आयोजन की जानकारी
आदिवासी सुरक्षा परिषद के सचिव जयपाल मुर्मू ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सम्मेलन का उद्देश्य पेसा कानून की महत्ता को रेखांकित करना और इसके प्रति जागरूकता फैलाना है.
क्या झारखंड में पेसा कानून का रास्ता होगा साफ?
सम्मेलन के माध्यम से राज्य सरकार पर पेसा कानून को लागू करने का दबाव बनाया जाएगा, ताकि आदिवासी समुदायों के हितों को संरक्षित किया जा सके और ग्राम सभाओं को सशक्त बनाया जा सके.
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