उदित वाणी, रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी हार के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफे की पेशकश की है. उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व को भावुक संदेश भेजकर यह इच्छा जताई कि वह अपने पद से हटना चाहते हैं.
भाजपा की सीटों में गिरावट
झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा को सिर्फ 21 सीटें मिली हैं, जो 2019 के पिछले चुनाव में मिली 25 सीटों से कम हैं. यह गिरावट पार्टी के लिए चिंता का विषय बनी हुई है.
बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा और मरांडी का संदेश
सोमवार को बाबूलाल मरांडी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को आदिवासी समाज की संस्कृति और अधिकारों पर हमला बताया. उन्होंने लिखा कि वह इस तरह की चुनौतियों को चुपचाप नहीं देख सकते.
उन्होंने कहा, “चुनाव परिणाम चाहे जो भी हों, मैं अपनी पूरी ऊर्जा और समय अपने लोगों को जागरूक करने और सशक्त बनाने में लगाऊंगा. ताकि कोई भी हमारी जल, जंगल और जमीन पर बुरी नजर न डाल सके.”
भाजपा का रुख और केंद्रीय नेतृत्व की सोच
पार्टी इस मुद्दे को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने भी बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को राज्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताया है. सरमा ने भाजपा के नवनिर्वाचित विधायकों से आग्रह किया है कि वे विधानसभा में इस विषय को प्रमुखता से उठाएं.
क्या भाजपा झारखंड में नई शुरुआत करेगी?
बाबूलाल मरांडी की इस्तीफे की पेशकश पार्टी में नई जिम्मेदारियों और रणनीतियों का संकेत देती है. क्या यह कदम पार्टी के लिए आत्मविश्लेषण और झारखंड में नए सिरे से शुरुआत करने का प्रयास है?
पार्टी के भविष्य की दिशा अब केंद्रीय नेतृत्व के फैसले और झारखंड में भाजपा के नए एजेंडे पर निर्भर करेगी.
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