उदित वाणी, जमशेदपुर: श्रीनाथ विश्वविद्यालय में पीपुल्स एसोसिएशन फॉर थिएटर (पथ) द्वारा स्व. विजय तेंदुलकर द्वारा लिखित खामोश अदालत जारी है नाटक का मंचन किया गया।
इस अवसर पर अतिथि के रूप में आईपीएस संजय रंजन सिंह (डीआईजी, सीआरपीएफ) व विशिष्ट अतिथि के रूप में दिनेश रंजन (जिला परिवहन अधिकारी) उपस्थित थे।
नाटक समाप्त होने के उपरांत दर्शकों को संबोधित करते हुए संजय रंजन सिंह ने कहा कि आज भी समाज की परिस्थिति वैसी ही है, जैसी यह नाटक लिखने के समय थी।
ऐसी परिस्थिति आप को बाध्य करती है कि आप अपने अंतर्मन में जाकर झांके किसी भी समाज की मौत कला और संस्कृति की मौत से होती है। उन्होंने यह भी कहा कि मेरी आप सभी से प्रार्थना है कि आप अपनी कला और संस्कृति की ओर लौटे एक आदमी या करोड़ों आदमी के मरने से दुनिया नहीं मरती है बल्कि एक सपने के मरने से दुनिया खत्म हो जाती है।
दिनेश रंजनने कहा कि आप सबों के अभिनय की सराहना जितनी की जाए उतनी कम होगी क्योंकि आप के अभिनय ने हम सब को झकझोर कर रख दिया और आपका यह नाटक आज के समय से बहुत अधिक संबंधित है और हम लोग निशब्द हैं।
नाटक के बारे बात करते हुए पथ के अध्यक्ष गोविंद माधव शरण ने कहा कि आज नाटक को बचाये रखना काफी कठिन है क्योंकि आज टीवी फिल्म के समय में नाटक हर दिन मर रहा है परन्तु पथ पूरे संघर्ष के साथ नाटक को बचाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने यह भी कहा कि कल्पना सोच से भी ऊपर होती है क्योंकि कल्पना एक बहुत बड़ी चीज है। श्रीनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गोविंद महतो ने अपने वक्तव्य में कहा कि आप के अभिनय को देखकर मन विचलित हो गया है। आप माने या ना माने लेकिन हमारे बीच भी एक खामोश अदालत निरंतर चल रही है।
ऐसी परिस्थिति आप को बाध्य करती है कि आप अपने अंतर्मन में जाकर झांके किसी भी समाज की मौत कला और संस्कृति की मौत से होती है। उन्होंने कहा कि एक आदमी या करोड़ों आदमी के मरने से दुनिया नहीं मरती है, बल्कि एक सपने के मरने से दुनिया खत्म हो जाती है। नाटक के मंचन के समय श्रीनाथ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सुखदेव महतो समेत बड़ी संख्या में सभी विभागों के विद्यार्थी तथा सहायक प्राध्यापक उपस्थित थे।
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।