उदित वाणी, जमशेदपुर: कोल्हान यूनिवर्सिटी के वीसी गंगाधर पंडा पर गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी है. संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के फर्जी डिग्री मामले में एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) ने पंडा समेत 17 आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. मुकदमा दर्ज होने के बाद इनकी नौकरी भी जा सकती है.
प्राथमिकी दर्ज होने के बाद कोल्हान यूनिवर्सिटी के अंदर कोहराम मचा हुआ है, लेकिन कोई इस पर बोलने को तैयार नहीं है. अब सबकी नजर इन आरोपियों पर होने वाली कार्रवाई पर टिकी है. इस मामले में एसआईटी ने अपनी जांच में 19 आरोपियों का नाम शामिल किया था, जिसमें से एक की मृत्यु हो गई है, जबकि एक आरोपी को इस मामले में बरी कर दिया गया है.
एक मार्च 2021 को एसआईटी की जांच में पाये गये इन आरोपियों के बारे में यूपी सरकार के विशेष सचिव मनोज कुमार ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव को पत्र लिख इस बारे में कार्रवाई करने को कहा था.
कोल्हान यूनिवर्सिटी के वीसी गंगाधर पंडा समेत जिन आरोपियों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है, उनके नाम हैं-विद्याधर त्रिपाठी (कुलसचिव), इंदुपति झा और योगेन्द्र नाथ गुप्ता (उप कुलसचिव), सचिदानंद सिंह (सहायक कुलसचिव), कौशल कुमार वर्मा, दीप्ति मिश्रा, महेन्द्र कुमार, कृपाशंकर पांडेय, भगवती प्रसाद शुक्ला, मिहिर मिश्रा, हरि उपाध्याय, त्रिभुवन मिश्र, विजय मणि त्रिपाठी, विजय शंकर शुक्ला, मोहित मिश्रा, शशिन्द्र मिश्र
क्या है मामला
उतर प्रदेश के कई स्कूलों में फर्जी डिग्री पाए जाने के बाद यूपी सरकार ने इस मामले को एसआईटी को सौंप दिया था. एसआईटी ने 2004 से लेकर 2014 के बीच प्राथमिक विद्यालयों में चयनित उन शिक्षकों की डिग्रियों और मार्कशीट को दोबारा सत्यापन कराया, जिन्होंने सूंर्पणानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से पास किया था.
यूनिवर्सिटी की ओर से जारी 6 हजार प्रमाणपत्रों की जांच में 1130 प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए. एसआईटी ने इस जांच को प्रदेश सरकार को सौंप इस फर्जी डिग्री में शामिल आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी थी. इसी मामले में अब एसआईटी ने कोल्हान के वीसी समेत 17 आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है.
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