उदितवाणी, रांची: राजेन्द्र इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज [रिम्स] की लचर व्यवस्था को लेकर झारखंड हाइकोर्ट ने रिम्स के निदेशक डा कामेश्वर प्रसाद को जमकर फटकार लगाई.
मुख्य न्यायाधीश डा रविरंजन व जस्टिस सुजित नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने कई मामलों की एक साथ सुनवाई करते हुए रिम्स की लचर व्यवस्था को लेकर सख्त टिप्पणी की. अदालत ने कहा कि रिम्स के निदेशक को काम नहीं करना है, तो इस्तीफा दें. अगर निदेशक यह पद नहीं संभाल पा रहे हैं, तो पद छोड़ दें.
साथ ही अदालत ने निदेशक को बदलने की भी सलाह दी और कहा कि किसी आईएएस अधिकारी के हाथ में रिम्स की जिम्मेदारी सौपनी चाहिए. मौखिक तौर पर अदालत ने कहा कि रिम्स निदेशक रांची की बजाय दिल्ली या विदेश में ज्यादा समय बिताना चाहते हैं.
यही नहीं खंडपीठ ने कहा कि रिम्स निदेशक के खिलाफ अवमानना का मामला भी चलाएंगे. अब इस मामले में अगली सुनवाई अगले मंगलवार को होगी. जबकि रिम्स में व्याप्त इलाज की लचर व्यवस्था व विभिन्न तरह के रिक्त पदों पर नियुक्ति को लेकर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर पिछली सुनवाई में रिम्स निदेशक डा कामेश्वर प्रसाद को शो कॉज नोटिस जारी किया गया था.
मंगलवार को इसी मामले में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने जमकर फटकार लगाई। इस दौरान राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरूण कुमार सिंह भी सशरीर उपस्थित हुए थे.
अदालत ने अपर मुख्यसचिव अरुण कुमार सिंह से पूछा कि किस प्रावधान के तहत रिम्स में नियमित नियुक्ति के बजाय आउटसोर्सिंग का सहारा लिया गया. खंडपीठ ने कहा कि रिम्स में स्वीकृत पद पर नियमित नियुक्ति का आदेश हाईकोर्ट ने दिया था. उसके बाद भी आउटसोर्सिंग पर नियुक्ति क्यों की गई.
रिम्स ने इस संबंध में राज्य सरकार से मार्गदर्शन क्यों मांगा. जबकि स्वीकृत पद पर स्थायी नियुक्ति का अदालत का आदेश था. जबकि अदालत ने रिम्स में आउटसोर्सिंग से नियुक्ति नहीं करने का निर्देश दिया है.
रिम्स ने नियुक्ति के संबंध में सरकार से किस कानून के द्वारा मार्गदर्शन मांगा गया. जबकि रिम्स में नियमित नियुक्ति से संबंधित मामला हाईकोर्ट में लंबित है.
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