उदित वाणी, जमशेदपुर: टाटा स्टील ने भारत में लो कार्बन आयरन और स्टील बनाने की तकनीक के अन्वेषण के लिए आस्ट्रेलिया की माइंस कंपनी बीएचपी के साथ एक समझौता पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया हैं. इस समझौता का मकसद लो कार्बन आयरन और स्टील मेकिंग तकनीक का अध्ययन और अन्वेषण करना है.
साझेदारी के तहत टाटा स्टील और बीएचपी दो प्राथमिकता वाले क्षेत्र – इस्पात उत्पादन में ऊर्जा के स्रोत के रूप में बायोमास का उपयोग और कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइजेशन (सीसीयू) का उपयोग के माध्यम से ब्लास्ट फर्नेस स्टील रूट की उत्सर्जन तीव्रता को कम करने के तरीकों पर सहयोग करने का इरादा रखते हैं.
इस साझेदारी के जरिए दोनों कंपनियां अपने जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों को पूरा करने के साथ 2070 तक भारत की कार्बन न्यूट्रल होने की महत्वाकांक्षाओं का समर्थन करना है.
इस साझेदारी में खोजी गई प्रौद्योगिकियां एकीकृत स्टील मिलों की उत्सर्जन तीव्रता को 30 प्रतिशत तक संभावित रूप से कम कर सकती हैं. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि ये परियोजनाएं प्रदर्शित करती हैं कि कैसे ब्लास्ट फर्नेस में लोहा बनाने की प्रक्रिया में उत्सर्जन न्यूनतम किया जा सकेगा, जो भारत के इस्पात उत्पादन में 60 प्रतिशत से अधिक का योगदान करती है.
इन परियोजनाओं से परे टाटा स्टील और बीएचपी एक मजबूती से चल रहे ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए प्रतिबद्ध है जो दोनों पक्षों को भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों स्थानों में स्टील वैल्यू चेन और अनुसंधान और नवाचार क्षेत्रों में आगे के सहयोग, पारिस्थितिकी तंत्र और व्यापार के अवसरों की तलाश करेगा.
कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए कई परियोजनाओं पर काम कर रही है टाटा स्टील-मुखर्जी
इस साझेदारी पर राजीव मुखर्जी, वाइस प्रेसीडेंट ग्रुप स्ट्रेटेजिक प्रोक्योरमेंट, टाटा स्टील ने कहा कि इस्पात क्षेत्र, भारत की नेट जीरो प्रतिबद्धता को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. टाटा स्टील पहले से ही कई पायलट परियोजनाओं पर काम कर रही है, जो सीसीयू, हाइड्रोजन आधारित स्टीलमेकिंग, बायोमास के उपयोग और अन्य वैकल्पिक आयरन मेकिंग मार्गों जैसी गहरी डीकार्बनाइजेशन तकनीकों के विकास पर केंद्रित हैं.
हमारा मानना है कि बड़े पैमाने पर सफलता प्रौद्योगिकियों की तैनाती में तेजी लाने के लिए नवाचारों का मार्ग प्रशस्त करने में रणनीतिक सहयोग महत्वपूर्ण हैं और इसलिए बीएचपी के साथ यह साझेदारी हमारे लिए एक महत्वपूर्ण कदम है.
टाटा स्टील का उद्देश्य नेट जीरो कंपनी बनना है-भट्टाचार्जी
टाटा स्टील के वाइस प्रेसीडेंट, टेक्नोलोजी एंड न्यू मेटेरियल बिजनेस, डॉ देबाशीष भट्टाचार्जी ने कहा कि टाटा स्टील, स्टील उद्योग में एक प्रौद्योगिकी और एक इन्नोवेशन लीडर बनने की दिशा में प्रयासरत है.
इन हाउस क्षमताओं का लाभ उठाकर और अनुसंधान तथा औद्योगिक संगठनों के साथ सहयोग करके, टाटा स्टील का लक्ष्य इस यात्रा को तेज करने के लिए सही पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है.
विश्व स्तर पर सस्टेनेबिलिटी प्राप्त करने की दिशा में अहम स्थान हासिल करने के साथ यह सर्वोपरि है कि हम अपने एनवायर्नमेंटल फुटप्रिंट को कम करने के लिए स्थायी विकल्पों की खोज करने की दिशा में महत्वाकांक्षी कदम उठाएं. हम नेट-जीरो कंपनी बनने की इस यात्रा में बीएचपी के साथ सहयोग करने के लिए उत्सुक हैं.
बीएचपी की चीफ कमर्शियल ऑफिसर वंदिता पंत ने कहा कि टाटा स्टील के साथ साझेदारी स्टीलमेकिंग में उत्सर्जन में कमी लाने वाली प्रौद्योगिकियों को सफलतापूर्वक पहचानने और लागू करने में सहयोग के महत्व पर प्रकाश डालती है.
इसकी कार्बन उत्सर्जन तीव्रता को कम करने, विशेष रूप से उन न्यूनीकरण तरीकों का उपयोग करके जो मौजूदा ब्लास्ट फर्नेस प्रक्रिया में संवर्धित रूप से लागू की जा सकती हैं.
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