उदित वाणी, जमशेदपुर : टाटा स्टील हर साल पूरे जोश, उत्साह और देशभक्ति की भावना के साथ गणतंत्र दिवस मनाती आ रही है,तब भी जब 26 जनवरी, 1950 को पहली बार यह समारोह मनाया गया था. यह वही तारीख है जिस दिन भारत के शासी दस्तावेज के रूप भारत सरकार अधिनियम 1935 की जगह भारत का संविधान लागू हुआ था.
इस प्रकार देश को ब्रिटिश राज से अलग एक गणतंत्र में बदल दिया गया.टाटा स्टील लिमिटेड (तत्कालीन टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड, टिस्को) ने 1957 में राजपथ, नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लिया. यह पहली बार था कि किसी निजी कंपनी को सांस्कृतिक परेड में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सोवियत संघ के तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्जी ज़ुखोव उपस्थित थे.
समारोह का विषय ‘इस्पात निर्माण की परंपरा के 3000 वर्ष’ था. परेड के लिए तैयार की गई झांकी में कुतुब मीनार के प्रसिद्ध लौह स्तंभ को प्रदर्शित किया गया था, साथ ही इस्पात बनाने की आदिम प्रक्रिया को प्रदर्शित किया गया. झांकी में भाग लेने वालों ने पारंपरिक योद्धा का वेश धारण किया था और हाथ में स्टील की तलवारें और भाले लिए थे. अंत में, भारतीय राजा पोरस द्वारा सिकंदर को उपहार में स्टील देने के प्रसिद्ध दृश्य का मंचन किया गया था.जमशेदपुर के कॉलेज के छात्रों और शिक्षकों के साथ-साथ टाटा स्टील के रॉ मटेरियल लोकेशन के लोगों सहित 25 से अधिक लोगों की एक टीम ने झांकी को एस्कॉर्ट किया.समारोह से एक दिन पहले, भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने तालकटोरा गार्डन का दौरा किया, जहां परेड के लिए झांकियां तैयार की जा रही थीं. उन्होंने प्रदर्शनों में गहरी दिलचस्पी दिखाई और टीम के साथ काफी समय बिताया.इस अवसर पर मौजूद लोगों ने राजपथ से लाल किले तक झांकी के साथ चलते हुए उसका उत्साह बढ़ाया.
टीम को बाद में राष्ट्रपति भवन में चाय के लिए आमंत्रित किया गया जहां उन्होंने भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद से मुलाकात की. पं. जवाहरलाल नेहरू ने भी टीम को अपने आवास पर चाय पर आमंत्रित किया.यह टाटा स्टील के इतिहास में एक और यादगार दिन था.
फोटो कैप्शन : टाटा स्टील की ओर से पेश की गई झांकी और टाटा स्टील की टीम में गई छात्राओं के साथ बात करते तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू.
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