उदित वाणी, जमशेदपुर: टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन की अब तक की सबसे महत्वाकांक्षी योजना अपना घर योडना खटाई में पड़ गई है. यूनियन के सलाहकार प्रवीण सिंह के इस्तीफा देने के बाद इस योजना पर पूरी तरह से ग्रहण लग गया है और कर्मचारियों को सस्ते दाम पर बेहतर आशियाना मुहैया कराने की यूनियन की योजना ठंडे बस्ते में चली गई है. 2017 में हुए ग्रेड समझौता में कर्मचारियों को अपना घर देने की योजना बनी थी, लेकिन पांच साल बाद भी यह योजना जमीनी हकीकत नहीं बन पाई. यह योजना यूनियन की वार्षिक आमसभा से भी पारित कराई गई. यही नहीं उस वक्त बारह सौ से ज्यादा कर्मचारियों ने इस योजना के लिए फॉर्म भी भरा. योजना को आगे बढ़ाने के लिए जमशेदपुर से सटे आसनबनी के पास जमीन भी देखा गया, लेकिन उसके बाद काम आगे नहीं बढ़ा.
प्रवीण सिंह का था सपना
टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन के अस्तित्व में आने के बाद सलाहकार प्रवीण सिंह ने कंपनी के कर्मचारियों को सस्ते दाम पर घर देने की यह योजना बनाई. शुरू में काफी जोश-खरोस के साथ काम भी हुआ. लेकिन समय के साथ यह योजना ठंडी पड़ती गई. बताया जाता है कि इस योजना को लेकर सलाहकार और यूनियन के अध्यक्ष-महामंत्री के बीच सहमति नहीं बन पा रही थी. अध्यक्ष-महामंत्री द्वारा इस योजना में रूचि नहीं लेने के चलते अपना घर का सपना ठंडे बस्ते में चला गया.
इस योजना के चलते अध्यक्ष-महामंत्री और सलाहकार के बीच बढ़ी दूरी
बताया जाता है कि इस योजना को लेकर यूनियन अध्यक्ष-महामंत्री की बेरूखी ने सलाहकार प्रवीण सिंह के साथ दूरी बढ़ा दी. प्रवीण सिंह चाहते थे कि यह योजना आगे बढ़ें जबकि यूनियन इसमें रूचि नहीं दिखा रही थी. यही नहीं इस योजना को फलीभूत करने में प्रबंधन की भी अहम भूमिका थी. लेकिन प्रबंधन ने भी इस योजना को लेकर कोई खास उत्साह नहीं दिखाया. प्रबंधन के ठंडे रिस्पांस के बाद यूनियन अध्यक्ष-महामंत्री भी इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिए.
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