उदित वाणी, जमशेदपुर: टाटा कमिंस कर्मचारी यूनियन के चुनाव नहीं होने से कंपनी का ग्रेड समझौता नहीं हो पा रहा. उधर, टाटा मोटर्स का ग्रेड समझौता हो गया है. अमूमन टाटा मोटर्स और टाटा कमिंस का ग्रेड समझौता एक साथ होता है. लेकिन इस बार यूनियन के चुनाव नहीं होने के चलते समझौता नहीं हो पा रहा है. यूनियन के चुनाव को लेकर जारी विवाद के चलते यह भी माना जा रहा है कि कहीं प्रबंधन, स्टीयरिंग कमेटी के साथ ही ग्रेड समझौता नहीं कर लें.
चुनाव को लेकर फिर चुपी साधी यूनियन ने
हाल ही में अनूप सिंह के प्लांट दौरे के बाद लगा कि चुनाव जल्द हो जाएगा. लेकिन एक बार फिर चुनाव को लेकर प्रबंधन-यूनियन ने चुप्पी साध ली है. कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है. वैसे अनूप सिंह ने साफ कर दिया है कि चुनाव यूनियन की देखरेख में होगा. प्रबंधन का किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं होगा. अगर प्रबंधन हस्तक्षेप करेगा या चुनाव कराने में लेट लतीफी करेगा तो वह प्रशासन की देखरेख में चुनाव कराने की मांग करेंगे. सिंह ने प्रबंधन को चुनाव को लेकर 15 दिन का समय दिया था, लेकिन डेढ़ माह होने जा रहा है और यूनियन चुनाव को लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं है. यूनियन की स्टीयरिंग कमेटी भी वेट एंड वाच की स्थिति में है. लगभग दो साल से प्रबंधन और अनूप सिंह के बीच चल रहे टस्सल के बाद पिछले दिनों पैच अप हुआ , लेकिन चुनाव नहीं होने से ग्रेड को लेकर कर्मचारियों में अफवाहों का बाजार गर्म है.
14 माह से लंबित है चुनाव
यूनियन का चुनाव लंबित हुए 14 माह हो गए. यही नहीं एक अप्रैल से ग्रेड और जीआईएस (ग्रुप इंश्योरेंस स्कीम) लंबित हो गया. किसी यूनियन के अस्तित्व में नहीं होने के चलते प्रबंधन और यूनियन के बीच कोई समझौता नहीं हो पा रहा है. सूत्रों का कहना है कि अभी तक चुनाव होने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं.
2018 में हुआ था पिछला चुनाव
कर्मचारियों का कहना है कि तीन साल से यूनियन का मुकम्मल अस्तित्व नहीं है. 2018 में पिछला चुनाव हुआ था. चुनाव के कुछ ही महीने बाद यूनियन की गुटबाजी तेज हो गई. अभी यूनियन ने काम करना शुरू ही किया था कि आपसी विवाद के चलते तत्कालीन अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने 2019 में यूनियन के सारे पदाधिकारियों को पद से हटाकर स्टीयरिंग कमेटी बना दी थी. स्टीयरिंग कमेटी बनने के बाद समस्याएं तो खत्म नहीं हुई, यूनियन का पावर कम होते गया. दो साल तक स्टीयरिंग कमेटी के भरोसे चलने वाली यूनियन कर्मचारियों का भला नहीं करा सकी. 2021 में जब यूनियन के तीन साल का कार्यकाल खत्म हुआ तो बर्खास्त अरूण सिंह मामले को लेकर प्रबंधन और राजेन्द्र प्रसाद सिंह के विधायक बेटे अनूप सिंह के बीच की कड़वाहट बढ़ती गई. यह कड़वाहट इतनी ज्यादा बढ़ गई कि राजनीतिक और प्रशासनिक रसूख का लाभ उठाकर प्रबंधन के आला अधिकारियों पर केस तक किया गया. इसके चलते प्रबंधन और अनूप सिंह के बीच की दूरी और बढ गई. इस साल के शुरू में जब यूनियन ने चुनाव प्रक्रिया शुरू की तो कोरोना का हवाला देकर चुनाव को रोक दिया गया.
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