उदित वाणी, नई दिल्ली: रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के महानिदेशक मनोज यादव ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के हालिया फैसले को वास्तविक रेल यात्रियों के हितों की सुरक्षा की दिशा में ऐतिहासिक करार दिया है. उन्होंने कहा, “यह निर्णय टिकटिंग सिस्टम की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करता है तथा बेईमान तत्वों के दुरुपयोग पर रोक लगाता है.” यादव ने यात्रियों से किसी भी अनियमितता की सूचना देने का आग्रह किया है. रेलवे हेल्पलाइन नंबर 139 और रेलमदद पोर्टल इस उद्देश्य के लिए उपलब्ध हैं. आरपीएफ यात्रियों को निष्पक्ष और कुशल यात्रा अनुभव प्रदान करने हेतु अपने सतर्कता और समर्पण को लेकर प्रतिबद्ध है.
टिकटिंग सिस्टम में सुधार: सर्वोच्च न्यायालय की कड़ी चेतावनी
9 जनवरी 2025 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने रेलवे टिकटिंग प्रणाली के दुरुपयोग के खिलाफ एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया. अदालत ने रेलवे टिकटों की थोक बुकिंग को “सामाजिक अपराध” करार देते हुए इसे रोकने के लिए कड़े निर्देश दिए हैं. यह निर्णय उन तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की वकालत करता है जो अनधिकृत रूप से टिकट खरीदकर उन्हें प्रीमियम पर बेचते हैं. रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 143 के तहत इस कृत्य को अपराध मानते हुए अदालत ने कहा कि ऑनलाइन बुक किए गए ई-टिकट भी इस अधिनियम के दायरे में आते हैं. यह व्यवस्था सुनिश्चित करेगी कि वास्तविक यात्रियों को टिकटों की सुलभता में कोई बाधा न हो और जमाखोरी की प्रवृत्ति पर लगाम लगाई जा सके.
निष्पक्षता और सुलभता के लिए मजबूत कदम
इस निर्णय ने रेलवे टिकटिंग प्रणाली में विश्वास बहाल करने और अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए एक मिसाल कायम की है. अदालत ने स्पष्ट किया है कि सभी अधिकृत एजेंट और व्यक्ति स्थापित नियमों के दायरे में रहकर काम करें. यह कदम यात्रियों के लिए निष्पक्षता और सुलभता सुनिश्चित करने का प्रयास है.
क्या होगा इस फैसले का प्रभाव?
अवैध टिकटिंग पर रोक: थोक बुकिंग और प्रीमियम पर टिकट बेचने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई.
वास्तविक यात्रियों का लाभ: उच्च मांग वाले टिकटों की सुलभता बेहतर होगी.
रेलवे प्रणाली में विश्वास: यह फैसला टिकटिंग प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को मजबूत करेगा.
सख्त संदेश: सिस्टम का दुरुपयोग करने वालों के लिए चेतावनी.
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।