उदित वाणी, जमशेदपुर: जिले के 14 सरकारी स्कूलों के 11वीं कक्षा के 420 बच्चों ने प्रोजेक्ट अन्वेषण के तहत निजी कंपनियों, खेल परिसरों, और कला-संस्कृति केंद्रों का शैक्षणिक भ्रमण किया. उपायुक्त अनन्य मित्तल की इस पहल ने सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से आए बच्चों को आधुनिक तकनीक और व्यावहारिक ज्ञान से रूबरू कराया.
भ्रमण स्थलों का अनुभव: क्या देखा और सीखा?
शैक्षणिक भ्रमण के दौरान बच्चों ने JRD टाटा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, झारखंड राइफल क्लब, NTTF, CSIR -NML, टाटा स्टील USIL, ट्राइबल कल्चर सेंटर और टाटा मोटर्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों का दौरा किया. बच्चों ने कला-संस्कृति केंद्रों और खेल परिसरों में जिले की समृद्ध सांस्कृतिक और खेल परंपराओं को करीब से देखा. इन भ्रमण स्थलों पर बच्चों को विश्वस्तरीय कार्यशैली और तकनीकी प्रशिक्षण प्रक्रियाओं की जानकारी मिली.
कैसे हुआ चयन?
इस कार्यक्रम के लिए 14 स्कूलों से 30-30 बच्चों का चयन आंतरिक प्रतियोगिताओं के माध्यम से किया गया. ये स्कूल घाटशिला अनुमंडल के सात प्रखंडों में स्थित हैं.
शैक्षणिक भ्रमण में शामिल स्कूल:
शैक्षणिक भ्रमण सह एक्सपोजर विजिट में
1. उत्क्रमित प्लस टू हाई स्कूल, ज्वालकाटा, गुड़ांबादा,
2. मनोहरलाल प्लस टू हाई स्कूल, चाकुलिया
3. शिवलाल प्लस टू हाई स्कूल, मुसाबनी
4. उत्क्रमित हाई स्कूल, सिमुलडांगा, गोलमुरी सह जुगसलाई
5. पिपुल्स एकेडमी प्लस टू हाई स्कूल, गोलमुरी सह जुगसलाई
6. आदिवासी प्लस टू हाई स्कूल, सीतारामडेरा, गोलमुरी सह जुगसलाई
7, सीएम स्कूल ऑफ एक्सेलेंस साक्ची
8. बीपीएम प्लस टू हाई स्कूल, बर्मामाइंस
9. नरसिंहगढ़ प्लस टू हाईस्कूल, धालभूमगढ़
10. दिघीभूला प्लस टू हाई स्कूल, बोड़ाम
11. एसएस प्लस टू हाई स्कूल, पटमदा
12. मारवाड़ी प्लस टू हाई स्कूल, घाटशिला
13. प्लस टू हाई स्कूल, बहरागोड़ा
14. वी.एन प्लस टू हाई स्कूल, हल्दीपोखर, पोटका के बच्चे शामिल हुए.
बच्चों का अनुभव: पहली बार देखा ‘हकीकत में किताबों का ज्ञान’
भ्रमण के बाद बच्चों ने जिला उपायुक्त के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह उनके जीवन का अविस्मरणीय अनुभव था.
• “पहली बार इतनी बड़ी कंपनियों और संस्थानों को नजदीक से देखने और समझने का मौका मिला.”
• “किताबों में पढ़े हुए नाम और प्रक्रियाओं को वास्तविक जीवन में देखना अत्यंत रोमांचक और ज्ञानवर्धक रहा.”
उपायुक्त का संदेश: व्यापक अनुभव से होगा समग्र विकास
अनन्य मित्तल ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम बच्चों में सांस्कृतिक, तकनीकी और ऐतिहासिक समझ को बढ़ाते हैं.
उन्होंने कहा, “सरकारी स्कूलों के छात्रों को यह अनुभव उनके करियर चुनाव के लिए नई संभावनाएं देगा. कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को व्यावहारिक शिक्षा और अवलोकन क्षमता का विकास करना है.”
भविष्य की योजनाएं
भ्रमण के अगले चरण में 16 जनवरी को अष्टकोशी प्लस टू हाई स्कूल, भालुकपातरा के बच्चों को इंडो-डेनिश टूल रूम, आदित्यपुर का दौरा कराया जाएगा.
उपायुक्त ने आशा जताई कि यह कार्यक्रम बच्चों के समग्र विकास में मददगार साबित होगा.
क्या है इस पहल का व्यापक प्रभाव?
यह पहल न केवल बच्चों को ज्ञान से समृद्ध कर रही है, बल्कि उन्हें उनके भविष्य के लिए बेहतर निर्णय लेने में भी सक्षम बना रही है. क्या इस तरह की योजनाएं अन्य जिलों में भी लागू होनी चाहिए?
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