उदित वाणी, जमशेदपुर : साहित्य, सिनेमा एवं कला संस्था ‘सृजन संवाद’ की 149वीं संगोष्ठी में स्ट्रीमयार्ड तथा फ़ेसबुक लाइव पर सिने-व्यक्तित्व ऋत्विक घटक को स्मरण किया गया. इसमें ऋत्विक घटक से प्रेरित एवं प्रभावित सिने-कलाकारों ने हिस्सा लिया. मुंबई से लेखक-अभिनेता अमोल गुप्ते एवं भोपाल से इंडिपेंडेंट फ़िल्मकार सुदीप साहनी प्रमुख वक्ता के रूप में उपस्थित थे. सृजन संवाद ने यह कार्यक्रम करीम सिटी कॉलेज के मासकॉम विभाग, न्यू डेल्ही फ़िल्म फ़ाउंडेशन एवं सिनेकारी के सहयोग से आयोजित किया. न्यू डेल्ही फ़िल्म फ़ाउंडेशन के संस्थापक आशीष कुमार सिंह ने संचालन की जिम्मेदारी संभाली. डॉ. विजय शर्मा ने स्वागत किया. आशीष कुमार सिंह ने बताया कि अमोल गुप्ते ने केतन मेहता की फ़िल्म ‘होली’ एवं ‘मिर्च मसाला’ में बतौर अभिनेता भाग लिया है. साथ ही उन्होंने ‘फंस गए रे ओबामा’, ‘कमीने’, ‘मुंबई सागा’, ‘भेजा फ्राई 2’, ‘सिंघम रिटर्न्स 2’ जैसी फ़िल्मों में भी अभिनय किया है. लेकिन उससे भी अधिक उनकी ख्याति ‘स्टेन्ली का डब्बा’, ‘तारे जमीन पर’, ‘सायना’, ‘हवा हवाई’, ‘स्निफ’ आदि फ़िल्मों के लेखक के रूप में है. पुणे के फ़िल्म संस्थान से निकले सुदीप सोहनी कवि, पटकथा लेखक, निर्देशक, परिकल्पक व सलाहकार के रूप में सिनेमा, रंगमंच, साहित्य, एवं संस्कृति कर्म में संलग्न हैं.
ऋत्विक घटक को गुरू मानते थे
फ़िल्मी जुड़ाव की अपनी प्रेरणा का श्रेय ऋत्विक घटक को देने वाले अमोल गुप्ते स्वयं को एकलव्य तथा घटक को अपना गुरु मानते हैं. उन्होंने बताया वे 19 साल की उम्र में फ़िल्म संस्थान में गए थे और 32 साल की उम्र तक वहाँ थे. वहां उन्होंने न केवल घटक की समस्त फ़ीचर फ़िल्में-डॉक्यूमेंट्री देखीं, वरन उनकी बारीकियों को भी समझा. बाद में उनकी कई फ़िल्मों खासकर ‘मेघे ढ़ाका तारा’, ‘स्वर्णरेखा’ को कई-कई बार देखा और घटक के सिनेमा को समझने का प्रयास किया. गुप्ते ने बताया कि फ़िल्म संस्थान में प्रिंसिपल के रूप में रहते हुए घटक ने छात्रों को लेकर डिप्लोमा फ़िल्म ‘रोंदेव्यू’, ‘फ़ीयर’ आदि बनाई थी. दोनों फ़िल्मों के कई अभिनेता आज सिने-जगत की जानी-मानी हस्ती हैं.
सुदीप सोहनी ने घटक के बारे में बताया
पुणे के फ़िल्म संस्थान के 2013-14 के छात्र सुदीप सोहनी ने बताया कि वे चूंकि बाद में वहां गए अत: वे घटक के प्रत्यक्ष छात्र नहीं रहे. मगर घटक के एक छात्र कुमार साहनी से उन्हें कई बार मिलने, बात करने का अवसर मिला. जैसाकि सब सिने-प्रेमी जानते हैं, घटक के शिष्य रहे कलात्मक फ़िल्म के पुरोधा मणि कौल, कुमार साहनी ने कई यादगार फ़िल्म बनाई हैं. कुमार साहनी अपने छात्र जीवन के अनुभव सुदीप को सुनाते थे, सुनाते समय उनके चेहरे पर एक चमक रहती. सुदीप सोहनी ने फ़िल्म संस्थान के ‘विजडम ट्री’ एवं वहाँ चित्रित ‘मेघे आकाश ढाका तारा’ का वर्णन किया. यह उन्हें तिलस्म लगता है.
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