उदित वाणी, जमशेदपुर: सांस्कृतिक कार्य निदेशालय (पर्यटन, कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग, झारखंड सरकार) और पथ – पीपुल्स एसोसिएशन फॉर थियेटर के संयुक्त तत्वावधान में चल रही 21 दिवसीय नि:शुल्क नाट्य कार्यशाला के छठे दिन प्रतिभागियों ने रंगमंच की गहराइयों को समझते हुए कई नई गतिविधियों में उत्साहपूर्वक भाग लिया.
नवरस पर विस्तृत चर्चा
कार्यशाला के पहले सत्र में वरिष्ठ रंगकर्मी शिवलाल सागर ने नाट्यशास्त्र में वर्णित नवरस (श्रृंगार, करुण, रौद्र, हास्य, वीर, भयानक, बीभत्स, अद्भुत, और शांत रस) पर विस्तृत चर्चा की. उन्होंने प्रत्येक रस के भाव, उनकी प्रस्तुति शैली तथा रंगमंच पर उनके प्रभाव को उदाहरणों के माध्यम से समझाया. बच्चों ने भावाभिनय के माध्यम से विभिन्न रसों को प्रस्तुत कर उनके व्यावहारिक पक्ष को भी सीखा. यह सत्र रंगमंच की गूढ़ कलाओं की ओर एक सार्थक झलक था.
नाटक की उत्पत्ति और ऐतिहासिक संदर्भ
कार्यशाला के दूसरे सत्र में, कार्यशाला के मुख्य प्रशिक्षक मोहम्मद निज़ाम ने प्रतिभागियों को नाटक की उत्पत्ति, उसके ऐतिहासिक और पौराणिक संदर्भों तथा नाट्यशास्त्र के महत्व से परिचित कराया. उन्होंने बताया कि नाटक किस प्रकार मानव समाज की सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम बना और नाट्यशास्त्र को पंचम वेद की संज्ञा दी गई.
लघु नाटकों का मंचन
बच्चों को नाटक की उत्पत्ति से जुड़ी विभिन्न कथाओं से अवगत कराया गया और उन्हीं कथाओं के आधार पर बच्चों ने समूहों में विभाजित होकर लघु नाटकों की रचना की और उनका मंचन भी किया. इस रचनात्मक गतिविधि ने बच्चों में न केवल आत्मविश्वास बढ़ाया, बल्कि उनके अभिनय कौशल और प्रस्तुति की समझ को भी समृद्ध किया.
झारखंड की नई पीढ़ी में कला और संस्कृति का गहरा प्रभाव
कार्यशाला में बच्चों की सक्रिय भागीदारी और जिज्ञासा यह दर्शाती है कि झारखंड की नई पीढ़ी में कला और संस्कृति के प्रति गहरी रुचि है. यह कार्यशाला न केवल बच्चों को रंगमंचीय ज्ञान प्रदान कर रही है, बल्कि उनमें सृजनात्मकता, अभिव्यक्ति और टीम भावना का भी संचार कर रही है.
आने वाले दिनों में रंगमंचीय प्रशिक्षण
कार्यशाला आगामी दिनों में भी विभिन्न तकनीकी और व्यावहारिक प्रशिक्षणों के साथ जारी रहेगी, जिसमें देश के प्रतिष्ठित रंगकर्मी और विशेषज्ञ मार्गदर्शन करेंगे.
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