उदित वाणी, जमशेदपुर: सांस्कृतिक कार्य निदेशालय, पर्यटन, कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग, झारखंड सरकार तथा पथ पीपुल्स एसोसिएशन फॉर थियेटर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 21 दिवसीय निःशुल्क नाट्य कार्यशाला अपने सोलहवें दिन व्यावहारिक प्रशिक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंची. इस अवसर पर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) के स्नातक एवं वरिष्ठ रंगकर्मी जीतराई हांसदा ने विशेष सत्र का संचालन किया, जिसमें मंचीय नाटक के तकनीकी पक्षों को प्रतिभागियों के समक्ष सजीव रूप में प्रस्तुत किया गया.
स्टेज क्राफ्ट से लेकर लाइट डिज़ाइन तक की बारीकियों पर चर्चा
हांसदा ने नाट्य मंचन में प्रयुक्त लाइट डिज़ाइन, स्टेज क्राफ्ट, मेकअप, कॉस्ट्यूम डिज़ाइन और संगीत संयोजन जैसे महत्वपूर्ण तत्वों की तकनीकी व्याख्या करते हुए उन्हें प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने के तौर-तरीकों से अवगत कराया. उन्होंने बताया कि रंगमंच केवल अभिनय नहीं, बल्कि समग्र सौंदर्यबोध और तकनीकी संतुलन का सम्मिलन है.
बिरसा मुंडा के जीवन से सीखा रंगमंचीय प्रस्तुति का आदर्श
सत्र के दौरान उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा के प्रेरणादायी जीवन प्रसंगों को साझा करते हुए बताया कि किस प्रकार ऐतिहासिक व्यक्तित्वों को रंगमंचीय माध्यम से जीवंत किया जा सकता है. उन्होंने प्रतिभागियों को इन घटनाओं के नाट्य रूपांतरण की प्रक्रिया से परिचित कराते हुए रिहर्सल की शुरुआत भी करवाई, जिससे उन्हें व्यावहारिक अभ्यास का अवसर मिला.
अनुभवी रंगकर्मी ने दिया दिशा और प्रेरणा
नगर के प्रसिद्ध रंगकर्मी श्याम कुमार ने भी कार्यशाला में विशेष उपस्थिति दर्ज कराते हुए अपने बहुमूल्य अनुभवों से प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया. उन्होंने अभिनय, संवाद अदायगी, मंच पर उपस्थिति और रंगमंच की सामाजिक भूमिका पर विचार साझा किए, जिससे प्रतिभागियों को रंगमंच की गहराइयों को समझने का अवसर मिला.
नई पीढ़ी में जाग रही है रंगमंचीय चेतना
प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी और गहरी जिज्ञासा इस बात का प्रमाण है कि जमशेदपुर ही नहीं, पूरे झारखंड में रंगमंच को लेकर नई पीढ़ी में उत्साह लगातार बढ़ रहा है. ऐसी कार्यशालाएं न केवल युवा प्रतिभाओं को मंच प्रदान करती हैं, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक चेतना को भी नई दिशा देती हैं.
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