उदित वाणी, रांची: झारखंड हाईकोर्ट द्वारा जेएसएससी नियुक्ति नियमावली को रद्य किये जाने के बाद राज्य में कोहराम मच गया है और विधानसभा से राजभवन तक राजनीतिक घमासान छिड़ा है.
वहीं विद्यार्थी-युवा सड़कों पर उतर चुके हैं. इस बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने युवाओं को भरोसा देते हुए कहा कि जल्द ही नौकरियों को लेकर वैकल्पिक व्यवस्था तलाशा जायेगा. उन्होंने कहा कि जेएसएससी नियुक्ति नियमावली के तहतें नौकरी के लिए सात लाख युवाओं ने आवेदन किया है. हमें उनकी चिंता है.
वहीं उन्होंने कहा कि जेएसएससी नियुक्ति नियमावली में किसी के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं किया गया था. दूसरे राज्यों में भी इस तरह की व्यवस्थाएं हैं. लेकिन झारखंड में कुछ ऐसे गिरोह हैं.
जो नहीं चाहते हैं कि राज्य के बेरोजगारों को उनके हक के मुताबिक नौकरी मिले। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में कुछ ऐसी शक्तियां काम कर रही है. जो राज्य के मूलवासियों व आदिवासियों के अधिकाररें को छिनने का प्रयास कर रही है. हमने जिस उद्देश्य से नियमावली गठित किया था, उसे साजिश के तहत रद्द करा दिया गया.
उन्होंने कहा कि आश्चर्य होगा कि झारखंड हाईकोर्ट में जेएसएससी नियुक्ति नियमावली को लेकर जिन लोगों ने आपत्ति दर्ज करायी थी. उनमें साजिश के तहत एक आदिवासी युवक को आगे करके उत्तरप्रदेश व बिहार के 20 लोगों ने हाईकोर्ट में पीटिशन डाला था.
स्थानीयता व आरक्षण नीति को नौंवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से की मुलाकात
इधर 1932 के खतियान आधारित नियोजन नीति व ओबीसी समेत अन्य वर्गों की आरक्षण सीमा को बढ़ाने के लिए विधानसभा से पारित विधेयकों को लेकर राज्य में प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा को छोड़कर मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की तथा उक्त दोनों विधेयकों संविधान की नौंवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केन्द्र को भेजने का अनुरोध किया.
मंत्रियों व विधायकों समेत शिष्टमंडल में झामुमो, कांग्रेस, आजसू पार्टी, राजद, भाकपा माले, सीपीएम व अन्य दलों के नेता शामिल थे. राज्यपाल से मुलाकात करके निकलने के बाद मंख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है.
जब राज्य में नियोजन नीति को अदालत द्वारा रद्द गया है. उन्होंने कहा कि राज्य में अबतक तीसरी बार नियोजन नीति को रद्द किया गया है. उन्होंने कहा कि राज्य के युवाओं का बड़ा दुर्भाग्य है कि वे राज्य के थर्ड ग्रेड व फोर्थ ग्रेड की नौकरी पाने में असफल हो रहे हैं. लेकिन उनकी सरकार अब किसी कीमत पर विरोधियों की साजिश को पूरा होने नहीं देगी.
युवाओं को अंधेरी गलियों की और नहीं धकेलें, स्थानीय व नियोजन नीति यहीं बनायें- बाबूलाल मरांडी
इधर भाजपा विधायक दल के नेता पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि उनकी पार्टी और उनके स्वयं का सरकार से आग्रह है कि झारखंड के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं करें.
युवाओं को अंधेरी गलियों की और नहीं धकेलें. स्थानीय व नियोजन नीति तय करने का काम राज्य सरकार का होता है. राज्य सरकार अपने जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकती है. दूसरों के कंधों पर फेंक कर राज्य सरकार राजनीति नहीं करें. संविधान की नौंवीं अनुसूची में शामिल कराने के केन्द्र के भरोसे नहीं रहे.
बिना विलंब किए अब यहीं पर बैठकर निर्णय करें. झारखंड सरकार जो भी नियोजन नीति बनाये. वह झारखंड की धरती पर बनाए. इसको लेकर एक दो दिनों तक लंबी बहस करानी पड़े, तो करायें.
राज्य सरकार अगर सोच रही है कि नियोजन व आरक्षण नीति को नौंवीं अनुसूची में डालने के बाद न्यायालय द्वारा उसकी समीक्षा नहीं किया जायेगा, तो यह गलत है. बर्ष 2007 में सुप्रीम कोर्ट का एक निर्णय आ चुका है. जिसमें अदालत ने साफ कहा है कि कोई भी कानून सरकार बनाती है और नौंवीं अनुसूची में डालती है, तो वह कानून बन जायेगा ऐसा नहीं है.
कोर्ट उसकी भी समीक्षा कर सकती है. ऐसी स्थिति में मामला और फंसेगा तथा राज्य के युवाओं को नौकरी नहीं मिलेगी.
राज्य सरकार की मंशा अब भी साफ नहीं- आजसू पार्टी
वहीं आजसू पार्टी ने कहा कि नियोजन व आरक्षण नीति को लेकर अब भी राज्य सरकार की मंशा साफ नहीं दिख रही है. पार्टी के विधायक लंबोदर महतो ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ राज्यपाल से मिलने के बाद कहा कि आजसू पार्टी द्वारा जेएसएससी नियमावली गठित किये जाने के समय ही बता दिया गया था कि उक्त नियमावली अदालत में नहीं टिकेगा.
उन्होंने कहा कि सिर्फ सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए उक्त नियमावली गठित किया गया था और राज्य सरकार द्वारा अब भी नीति व नियमावली गठित करने को लेकर समीक्षा करना नहीं चाहती है.
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