– लौहनगरी में बड़ौदा घाट व बेली बोधनवाला बने जलीय मरूभूमि
– मोहरदा इंटकवेल के पास पानी में घुले ऑक्सीजन की मात्रा भी काफी कम
उदित वाणी, जमशेदपुर : रांची के अलावा जमशेदपुर में भी नदी प्रदूषण खतरनाक स्थिति तक पहुंच चुका है. विधायक सरयू राय के नेतृत्व में स्वर्णरेखा (Subarnarekha) प्रदूषण समीक्षा यात्रा से यह निष्कर्ष निकला है. यह समीत्रा यात्रा 22 से 27 मई तक की गयी. इसमें युगान्तर भारती, नेचर फाउंडेशन, स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास ट्रस्ट, स्वामी विवेकानन्द ग्रामीण संस्था के सदस्यों के अलावे वैज्ञानिकों के दल ने भाग लिया.
शुक्रवार को बिष्टुपुर स्थित सरयू राय के आवास पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में इस समीक्षा यात्रा के निष्कर्षों से मीडिया को साझा किया गया. सरयू राय ने बताया कि स्वर्णरेखा नदी (Subarnarekha River) के उद्गम स्थल नगड़ी तथा उसके आस-पास अवस्थित राईस मिल के द्वारा बेतहाशा प्रदूषण फैलाया जा रहा है जिससे हवा, जल तथा जमीन सभी पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ रहा है. जेएसपीसी बोर्ड के द्वारा दिये गये सीटीओ के निर्देशों की पूर्ण अवहेलना की जा रही है. इसी तरह रांची तथा जमशेदपुर शहर में पानी अत्यंत प्रदूषित हो रहा है जो एक मेजर फैक्टर है. पानी पर ही मनुष्यों का जीवन निर्भर है इसका ऐसा प्रदूषण चिंता का विषय है.
सरयू राय की उपस्थिति में पर्यावरणविद एम के जमुआर ने बताया कि जमशेदर शहर में तो स्थिति और भी भयावह है. बागबेड़ा बड़ौदा घाट तथा बिष्टुपुर स्थित बेली बोधनवाला घाट का पानी अत्यंत प्रदूषित पाया गया है. यहां पर सेडीमेंट में जलील जीव-जंतु लुप्त हो गये हैं तथा यह एक जलीय मरूभूमि बन गया है. इसी तरह से दोमुहानी, पांडे घाट (बस स्टैंड के पास), बारीडीह मीरा पथ, मोहरदा जलापूर्ति इंटकवेल के पास नमूना लिया गया. हर एक स्थान पर म्यूनिसिपल सीवेज का प्रदूषण भारी मात्रा पाया गया, उसके कारण पानी अत्यंत दूषित पाया गया. मोहरदा जलापूर्ति इंटकवेल के पास पानी में घुले ऑक्सीजन की मात्रा भी काफी कम पायी गयी.
समीक्षा यात्रा का निष्कर्ष है कि बड़े औद्योगिक इकाईयों के द्वारा नदी में प्रदूषण का भार पहले की अपेक्षा कम किया गया है। लेकिन एम/एस यूएमआईएल, टाटीसिलवे को इसमें और पहल करने की आवश्यकता है,एक अन्य निष्कर्ष में कहा गया है कि नदियों/नालों में बढ़ते अतिक्रमण के कारण प्रदूषण की स्थिति और विकराल होती जा रही है. नदियों को सेल्फ क्लीनिंग एण्ड सेल्फ ट्रीटमेंट के लिए स्थान नहीं मिल रहा है. साथ ही नदी में पानी की मात्रा भी कम होते जा रही है.
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