- रैयतों को नौकरी न देने पर एचसीएल से जमीन लौटाने की मांग
- अनुपालन न होने पर लीज नवीकरण रुकवाने की चेतावनी
उदित वाणी, जादूगोड़ा: जादूगोड़ा थाना क्षेत्र के रोआम के 57 रैयतदारों को एचसीएल यदि स्थाई नौकरी नहीं देती है तो कंपनी उनकी जमीन वापस करें अन्यथा एचसीएल के लीज नवीकरण पर रोक लगा दी जाएगी. यह चेतावनी घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन ने आज एक प्रेस कान्फ्रेंस दीं. श्री सोरेन ने कहा कि ऐसे भी 2013 के नियम अनुसार यदि कोई भी बड़ा उद्योग जमीन अधिग्रहण के 5 साल के अंदर अगर उद्योग चालू नहीं करता है तो उसे रैयतदारों को जमीन वापस करनी पड़ेगी. सितंबर 2023 में एचसीएल का जमीन अधिग्रहण के 5 साल पूरे हो जाएंगे. एचसीएल ने जियाडा से कुल 90 एकड़ जमीन ली है जिसमें से 43 रैयतदारों की कुल 76 एकड़ जमीन शामिल है. यदि एचसीएल 90 एकड़ जमीन को वापस कर देता है तो हम उस में से सभी 57 रैयतदारों में उस जमीन को मिलाकर बांट देंगे. जियाडा ने जो 90 एकड़ भूमि एचसीएल को दी है उसमें से जिला परिषद की भी 5 एकड़ भूमि है .आखिर जियाडा ने वह भूमि एसीएल को कैसे दी .
मालूम हो कि वर्ष 1975 से 80 के बीच एचसीएल ने राखा में जमीन अधिग्रहण कर रोआम के 57 रैयतदारों की जमीन के बदले उन्हें नौकरी दी थी. 2000 में माइंस बंद होने पर उन मजदूरों को बैठा दिया गया. वर्ष 2005 में एचसीएल ने सभी भूमि सरकार को वापस कर दी. फिर 2017-18 में जियाडा के माध्यम से कुल 190.76 एकड़ जमीन 24 उद्योगपतियों को उद्योग लगाने के लिए दी गई जिसमें से 90 एकड़ एचसीएल को और शेष करीब 101 एकड़ भूमि छोटे एवं मध्यम दर्जे के 23 उद्यमियों को उद्योग लगाने के लिए दी गई. जमीन छोटे उद्योगपतियों को चरणबद्ध तरीके से दी गई जिस पर भी आज तक कोई उद्योग धंधा चालू नहीं हो पाया.
श्री सोरेन ने कहा कि उन्होंने पिछले दिनों सीटीसी कैंप में पहुंचे मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत की. मुख्यमंत्री ने तुरंत ही उपायुक्त को इस मामले पर जांच करने को कहा. 3 जनवरी को उपायुक्त कार्यालय में हुई एक बैठक में जियाडा,एचसीएल के पदाधिकारी एवं जियाडा से जमीन हासिल करनेवाले छोटे उद्यमियों की बैठक हुई थी. उद्यमियों ने और दो साल का वक्त मांगा लेकिन उन्हें एक साल का वक्त दिया गया. साथ में कहा गया कि जल्द से जल्द उद्योग लगाकर स्थानीय लोगों को रोजगार देना होगा. उद्यमियों ने आश्वासन दिया कि वे उद्योग लगाएंगे और 1500 से 2000 लोगों को स्थानीय लोगों को नौकरी दी जाएगी.इसमें आईटी या डिप्लोमा के लिए भी स्थानीय लोगों को ही लेना होगा.उद्योग नहीं लगाने की सूरत में जमीन वापिस करने पड़ेगी.
जियाडा को मिली जमीन में भी धांधली की आशंका
विधायक रामदास सोरेन के अनुसार जियाडा ने जो 90 एकड़ जमीन एचसीएल को दी है उसमें से करीब 5 एकड़ भूमि जिला परिषद की है जिसका वर्णन झारखंड सरकार के रजिस्टर टू में भी है. ऐसे में पंचायती राज जिला परिषद के सभापति होने के नाते यह जमीन उनकी है. उन्होंने कहा कि वे जल्दी ही सीओ से इस जमीन की चौहद्दी निकालकर सीमांकन करने को कहेंगे.
एच सी एल ने भी मजदूरों के साथ बिना सेटलमेंट के जमीन झारखंड सरकार को लौटाई
एचसीएल ने भी जमीन वापसी में धांधली की है.विधायक रामदास सोरेन के अनुसार वर्ष 2000 में माइंस बंद होने के पश्चात यहां कार्यरत 701 सभी मजदूरों को बैठाकर उनका हिसाब किताब कर दिया गया था. मगर करीब 100 मजदूरों के 50 हजार से 1 लाख रुपए क्वार्टर जमा नहीं करने के एवज में रोक लिए गए थे.2005 में एचसीएल ने 65 करोड़ रुपए बकाया देने के बदले में झारखंड सरकार को 1079 एकड़ जमीन दे दी और वर्ष 2017 में उसी जमीन को सरकार ने जियाडा को दे दिया. सवाल यह उठता है कि जब एक सौ मजदूरों का पूरा सेटलमेंट नहीं हुआ और क्वार्टर खाली नहीं था तो फिर क्वार्टर को खाली दिखाकर किस प्रकार ये जमीन सरकार को दी गयी. जिन मजदूरों की रकम एचसीएल ने रोका था उन्होंने श्रम न्यायाधिकरण में मामला दर्ज कराया है .
एचसीएल के महाप्रबंधक में भी माना 57 रैयतदारों का दावा
एचसीएल के महाप्रबंधक (परिचालन,विधि एवं मानव संसाधन) एसएस सेठी ने अपर उपायुक्त पूर्वी सिंहभूम को 23 दिसंबर को लिखे एक पत्र में स्वीकार किया है कि 57 रैयत दारों को एचसीएल की बंद पड़ी राखा माइन्स में माइनिंग का कार्य आरंभ होते ही उनको अर्हंता के आधार पर एचसीएल के अधीन कार्यरत कांट्रेक्टर के पास उनकी शर्तों के आधार पर प्राथमिकता पर नियोजन करने की अनुशंसा करेगा. कांटै्रक्ट खत्म होने की स्थिति में नए कॉन्टे्रक्टर के साथ भी इन रैयतदारों का पुन: नियोजन सुनिश्चित करेगा.
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