उदित वाणी, जमशेदपुर: राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल) जमशेदपुर में ‘रेलवे घटकों की धातुकर्म विफलता जांच (एमआईआरसी’25)’ पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन शुक्रवार 24 जनवरी को हो गया. आरडीएसओ के लगभग 10 प्रतिभागियों ने कार्यक्रम में भाग लिया. रेलवे घटकों में उपयोग की जाने वाली विभिन्न सामग्रियों के भौतिक धातु विज्ञान की व्यापक झलक, घटक योग्यता के लिए प्रासंगिक मानक, सेवा की शर्तों के तहत प्रचलित क्षति तंत्र, उसी का अनावरण करने के लिए सूक्ष्म तकनीक और परीक्षण प्रक्रियाएं, विफलता जांच की अनुक्रमिक पद्धति के साथ-साथ व्यावहारिक प्रदर्शनों की एक श्रृंखला के माध्यम से प्रतिभागियों को प्रदान की गई. प्रतिभागियों को अत्याधुनिक सामग्री लक्षण वर्णन सुविधाओं से परिचित कराया गया, जिनकी मदद से घटक अखंडता मूल्यांकन के साथ-साथ विफलताओं और सामग्री क्षरण के मूल कारण को सुलझाया जा सकता है.
डॉ कनाई लाल साहू, मुख्य वैज्ञानिक और माइक्रोस्ट्रक्चर इंजीनियरिंग समूह, सीएसआईआर- एनएमएल ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों के निरंतर उत्साह की सराहना की और देश भर में रेलवे नेटवर्क की गुणवत्ता में सुधार और मानकीकरण में वर्षों से आरडीएसओ के प्रयासों पर जोर दिया. इसके बाद प्रतिभागियों के साथ एक संक्षिप्त फीडबैक सत्र हुआ. प्रतिभागियों ने इस विशिष्ट रूप से अनुकूलित प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए सीएसआईआर- एनएमएल के सभी संकायों के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त की, जिसमें उन्हें विभिन्न रेलवे घटकों के धातुकर्म पहलुओं और उनके संबंधित क्षरण घटनाओं का समृद्ध स्वाद लेने का अवसर मिल सका.
सीएसआईआर- एनएमएल के मुख्य वैज्ञानिक और सामग्री इंजीनियरिंग प्रभाग के प्रमुख डॉ एस शिवप्रसाद ने प्रतिभागियों को भागीदारी का प्रमाण पत्र सौंपा, जिसके बाद उन्होंने एक संक्षिप्त टिप्पणी की, जिसमें सीएसआईआर- एनएमएल और आरडीएसओ के बीच दीर्घकालिक सहयोग पर जोर दिया. कार्यक्रम का समापन सीएसआईआर- एनएमएल के मैटेरियल्स इंजीनियरिंग प्रभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अवनीश चंदन द्वारा प्रस्तुत औपचारिक धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ.
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