उदित वाणी, जमशेदपुर: राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुवर दास ने सीएम हेमंत सोरेन पर राज्य से संबंधित व्यापक भ्रष्टाचार के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की जा रही जांच में सहयोग करने के बजाय मजमा लगाकर जनता को गुमराह करते हुए हिंसा की ओर भडक़ाने की साजिश करने और राज्य में संवैधानिक संकट पैदा करने कोशिश करने का आरोप लगाया है.
राज्य के राज्यपाल रमेश बैस को भेजे पत्र में रघुवर ने लिखा है कि हाल में केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा राज्य में हुए व्यापक भ्रष्टाचार के मामलों की जा रही जांच के संदर्भ में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को समन जारी किया गया है. जाहिर है कि किसी भी जांच प्रक्रिया का मतलब जांच की विषय वस्तु से संबंधित तथ्यों की सत्यता का पता लगाना और संबंधित व्यक्ति की संलिप्तता के संबंध में ठोस साक्ष्य इकठा करना होता है.
रघुवर ने कहा है कि यदि हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा समन भेजा गया है तो भारतीय विधान के मुताबिक एक भारतीय नागरिक के रूप में और संवैधानिक पद पर होते हुए एक जिम्मेदार लोक सेवक के रूप में उनकी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह जांच एजेंसी को उसके द्वारा किए जा रहे अनुसंधान में पूर्ण सहयोग करें ताकि यदि संबंधित तथ्यों, घटनाओं तथा लोगों से उनकी कोई संलिप्तता नहीं है तो जांच एजेंसी के समक्ष यह स्पष्ट हो सके.
रघुवर ने पत्र मे लिखा है कि संवैधानिक व्यवस्था एवं कानून के शासन के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति बड़ा या छोटा नहीं होता और संवैधानिक पदों पर बैठे हुए नागरिकों की जिम्मेदारी और भी अहम होती है क्योंकि उनके द्वारा किये गये कृत्य को आम नागरिक भी देखते हैं एवं पालन करते हैं. रघुवर के अनुसार हेमंत सोरेन ने प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा जारी किए गए समन का पालन करने के बजाए एक ओर तो प्रवर्तन निदेशालय से समय की मांग की है परंतु दूसरी ओर समन के अनुसार निर्धारित तिथि से 1 दिन पहले अपने आवास के बाहर हजारों की संख्या में अपने कार्यकर्ताओं को बुलाकर किए गए प्रदर्शन में हिस्सा लिया और भीड़ को संबोधित करते हुए ललकारा. हेमंत ने भीड़ को संबोधित करते हुए इस तरह के भी वक्तव्य दिए हैं कि प्रवर्तन निदेशालय उन्हें समन देने के बजाय सीधा गिरफ्तार करे.
रघुवर ने पत्र में लिखा है कि मुख्यमंत्री आवास क्षेत्र की विधि व्यवस्था काफी मुस्तैद होती है और हजारों की संख्या में लोगों का जुटान बगैर मुख्यमंत्री कार्यालय अथवा मुख्यमंत्री की सहमति के संभव नहीं है. अत: ऐसा कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा जानबूझकर ऐसा संवैधानिक संकट पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है कि उनके तथाकथित समर्थक हिंसक हो जाएं और प्रवर्तन निदेशालय को दबाव में लेकर दिग्भ्रमित किया जा सके.
रघुवर ने आरोप लगाया है कि हेमंत सोरेन के द्वारा आए दिन भडक़ाऊ भाषण दिए जा रहे हैं जैसे कि उनके आदिवासी होने के कारण उनके साथ साजिश की जा रही है और यह कि प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा की जा रही जांच के विरोध में उनके पार्टी के लोग राज्य में सभी स्तरों पर प्रदर्शन इत्यादि करें. प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा हेमंत सोरेन को जारी किए गए समन की तिथि के बाद के सभी आयोजनों ,जिसमें हेमंत सोरेन ने भाषण दिए हैं अथवा वक्तव्य दिए हैं, के संबंध में विस्तृत जांच कराए जाने की आवश्यकता है जिससे यह साफ प्रतीत होगा कि हेमंत सोरेन ने खुले तौर पर केंद्रीय जांच एजेंसी को चुनौती देने का काम किया है और वे राज्य की भोली-भाली आदिवासी जनता को भडक़ाने का काम कर रहे हैं ताकि उनको सहानुभूति का राजनीतिक लाभ मिल सके.
रघुवर ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री के पद पर बैठे हुए व्यक्ति के द्वारा किया जा रहा ऐसा कृत्य गैर कानूनी तथा असंवैधानिक है और ऐसा बिल्कुल स्पष्ट है कि हेमंत सोरेन को भारतीय संविधान तथा भारतीय कानूनों के प्रति कोई आस्था नहीं है. हेमंत सोरेन द्वारा हाल में दिए गए भाषणों तथा वक्तव्य से यह स्पष्ट है कि वे राज्य के मुखिया होकर राज्य सरकार को संविधान के प्रावधानों के अनुरूप नहीं चला रहे हैं और वास्तव में वे राज्य में आतंक का शासन स्थापित करना चाहते हैं. रघुवर के अनुसार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रावधानों से यह स्पष्ट है कि यदि राज्यपाल को ऐसा प्रतीत हो कि राज्य सरकार, संविधान के प्रावधानों एवं कानूनों के अनुसार नहीं चल रही है और हेमंत सोरेन के राज्य के मुखिया के पद पर होते हुए राज्य सरकार को संवैधानिक तरीके से नहीं चलाया जा सकता है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा की जा सकती है.
रघुवर ने पत्र में लिखा है कि उपरोक्त परिस्थितियों में राज्यपाल से आग्रह है कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जारी सम्मन की प्राप्ति के उपरांत से हेमंत सोरेन, उनकी पार्टी के अन्य नेताओं तथा सरकार के मंत्रियों के द्वारा दिए गए भाषणों तथा वक्तव्य के संबंध में जांच कराते हुए उचित निर्णय लेने की कृपा करेंगे ताकि राज्य में कानून का राज स्थापित हो सके और केंद्रीय एजेंसी निष्पक्ष तरीके से अपनी जांच पूरी कर सके.
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