सवाल खड़ा करनेवाले 10 प्रतिशत लोगों का भी निकाला जायेगा समाधान
कुड़मी-कुरमी के मामले में राजनीतिक रोटी सेंकने का किया जा रहा है प्रयास
उदित वाणी, रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता तय करने संबंधी विधेयक को विधिसम्मत तरीके से पेश किया जायेगा.
उन्होंने कहा कि यह एक बेहद संवेदनशील बिषय रहा है और विपक्ष द्वारा भी इसे राजनीतिक मुद्या बनाने का प्रयास किया जाता रहा है. उन्होंने कहा कि 1932 खतियान आधारित स्थानीयता से राज्य के 90 प्रतिशत लोग सहमत हैं और लोग खुशियां मनाने के लिए होली की तरह रंग-गुलाल उड़ा रहे हैं.
अगर 10 प्रतिशत लोग सवाल खड़ा कर रहे हैं, तो इसका भी समाधान निकाला जायेगा. 1932 खतियान आधारित स्थानीयता संबंधी बिषय को मुकाम तक पहुंचाने के लिए दायरा बढ़ाने पर भी विचार किया जायेगा.
लेकिन उन्होंने कहा कि राज्य के आदिवासी-मूलवासी को ध्यान में रखकर ही कानून बनाया जायेगा और इसमें किसी तरह का सवाल खड़ा करने की गुंजाइश नहीं छोड़ा जायेगा. मुख्यमंत्री ने आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार कार्यक्रम की सफलता को लेकर अपने सरकारी आवास में संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया था.
इस अवसर पर उन्होंने पत्रकारों के सभी सवालों का जबाब बड़े ही साफगोई से दिया. उन्होनें राज्य में आरक्षण का दायरा 50 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ाने के मुद्ये पर कहा कि इस बिषय पर भी विधिसम्मत विधेयक पेश किये जाने को लेकर राज्य सरकार के स्तर पर गंभीरता के साथ विचार विमर्श किया जा रहा है.
किस आधार पर किस वर्ग को कितना आरक्षण मिलेगा, इसकी कानूनविदों से राय ली जा रही है. वहीं कुड़मी-कुरमी को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने के मुद्ये पर उन्होंने कहा कि इस मुद्ये पर राजनीतिक रोटी सेंकने का प्रयास किया जा रहा है.
केन्द्र से 1.36 लाख करोड़ बकाया मांगा तो मेरे पीछे बैताल छोड़ दिया
वहीं अपने उपर लगे आरोपों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने केन्द्र सरकार से झारखंड की 1.36 लाख करोड़ रूपये बकाया राशि की केन्द्र सरकार से मांग की, तो उनके पीछे बैताल छोड़ दिया गया.
लेकिन उन्होंने क्या अपराध किया है और उन्हें क्या सजा दी जानेवाली है. यह गुहार लगाने पर भी नहीं बताया जा रहा है. दुनिया में ऐसा उदाहरण नहीं मिलेगा कि कोई सजा पाने के लिए गुहार लगा रहे हो.
वहीं उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर वे वाकई सजा के पात्र हैं और उन्हें सजा नहीं दी जा रही है, तो क्या वे इतने दिनों से असंवैधानिक तरीके से पद पर बैठे हैं और असंवैधानिक पद पर बैठे हैं, तो इसके जिम्मेवार कौन है. उन्होंने कहा कि उनका अपराध क्या है. यह तो बता दें और इतने दिनों से अपराध नहीं बताकर जो स्थिति पैदा की जा रही है. यह उनके लिए और भी बड़ी सजा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके सजा के बारे में चुनाव आयोग को पता चला. राज्यपाल को पता को पता चला. विरोधी दलों के लोगों को पता चला. लेकिन जिनका अपराध है, उन्हें ही पता नहीं. विरोधी किस नैतिकता की बात कर रहे हैं. क्या कोई सीएम 88 डिसमिल का घोटाला करेगा.
उन्होंने कहा कि उनके विधायक प्रतिनिधि को गिरफतार किये जाने व विधायक प्रतिनिधि के आवास से उनका [मुख्यमंत्री] चेक मिलने के मामले में पत्रकारों को रिसर्च करना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि संताल के एक जिले में 1000 हजार करोड़ रूपये की घोटाले की बात की जा रही है. अगर पत्थर और गिटटी से 1000 करोड़ का घोटाला हो सकता है, तो केन्द्र सरकार को पत्थर खदानों को माइनर मिनिरल की सूची से हटा देना चाहिए.
केन्द्रीय एजेसियों की स्वायत्तता खत्म कर दी गई
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्रीय एजेंसियां चुनाव आयोग, ईडी इत्यादि जिस तरह की कार्यशैली अपना रहे हैं. उसे साफ जाहिर होता है कि उनकी स्वायत्तता खत्म हो गई है. एजेंसियों को कोई पीछे से निर्देश दे रहा है.
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश व गुजरात दोनों राज्यों में चुनाव कराया जाना है. लेकिन सिर्फ हिमाचल प्रदेश में चुनाव कराने की घोषणा की गई और मतगणना की तिथि 28 दिनों के बाद की तिथि निर्धारित की गई. संवैधानिक एजेंसियों की विश्वसनीयता कहां रही.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री लोकपाल के दायरे में नहीं आते हैं, तो उनके उपर दबाब बनाने के लिए उनके पिता गुरूजी शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल में शिकायत की गई. जबकि गुरूजी की राजनीति को लोग अनुसरण करते हैं.
बेराजगारों को बेरोजगारी भत्ता के बदले दे रहे हैं सस्टेनेबल रोजगार
मुख्यमंत्री ने कहा कि यद्यपि झामुमो की चुनावी घोषणा पत्र में बेरोजगारी भत्ता देने का प्रस्ताव रखा गया था. लेकिन बाद में उन्हें लगा कि बेरोजगारी भत्ता देने के बजाय युवाओं को सस्टेनेबल रोजगार देना ज्यादा उपयुक्त होगा.
इसलिए राज्य सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर युवाओं को अपना व्यवसाय खड़ा करने के लिए लोन उपलब्ध कराया जा रहा है. घर में बैठाकर पैसा देना उन्हें अच्छा नहीं लगा और उन्होंने फॉरमेट बदल दिया. वहीं उन्होंने कहा कि राज्य में जल्द ही पर्यटन के क्षेत्र में बड़ी घोषणा करेंगे.
उनकी प्राथमिकता कृषि, पर्यटन, स्पोर्टस, स्वास्थ्य व शिक्षा को लेकर है. मुख्यमंत्री ने बंद स्कूलों को खोलने पर भी प्रतिबध्दता व्यक्त की. वहीं उन्होंने राज्य में राजस्व की कमी और जीएसटी के प्रावधानों को लेकर गंभीर चिंता जतायी.
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