केंद्र सरकार के पर्यावरण संबंधी कानून से खड़ा हुआ है संकट
झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर लगाई न्याय की गुहार
उदित वाणी, जमशेदपुर: शहर में प्लास्टिक के कप, प्लेट और कटलरी के निर्माण में लगे उद्योगों के समक्ष अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है और यदि केन्द्र सरकार की ओर से लागू की गई पाबंदी नहीं रोकी गयी या शिथिल नहीं की गयी तो न केवल इन उद्योगों के बंद होने का खतरा होगा, बल्कि इनसे जुड़े सैंकड़ों कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे. दरअसल केन्द्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पिछले साल 12 अगस्त को एक अधिसूचना (प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट (अमेंडमेट) रूल्स, 2021) जारी की थी. इसके तहत प्लास्टिक के कप, प्लेट,ग्लास और कटलरी को भी सिंगल यूज प्लास्टिक की श्रेणी में शामिल किया गया है और प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 के तहत सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पादन पर 1 जुलाई, 2022 से रोक है.
इसका अर्थ यह होता है कि 1 जुलाई से प्लास्टिक के कप, प्लेट, ग्लास और कटलरी के उत्पादन पर भी रोक लग जाएगी. इसे लेकर जमशेदपुर में प्लास्टिक के कप, प्लेट, ग्लास और कटलरी के निर्माण से जुड़े कई उद्योगों के लिए चिंता बढ़ गई है और उन्होंने सामूहिक रूप से केन्द्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव को पत्र भेजा है. पत्र में कहा गया है कि सरकार ने किस आधार पर कप, प्लेट, ग्लास और कटलरी को सिंगल यूज प्लास्टिक के दायरे में शामिल कर लिया जबकि ये उस दायरे में आते ही नहीं है क्योंकि इनकी रिसाइक्लिंग हो सकती है. यानी कि प्लास्टिक के कप, प्लेट, ग्लास और कटलरी को इस्तेमाल के बाद कच्चे माल की तरह इस्तेमाल करके फिर से नए कप, प्लेट, ग्लास और कटलरी बनाए जा सकते हैं.
जमशेदपुर और अन्य स्थानों के इस तरह के उद्योगों (थर्मोफॉर्मर्स) में रिसाइक्लिंग की यह तकनीक अमल में लाई जा रही है. केंद्र सरकार भी सर्कुलर इकोनॉमी की वकालत कर रही है जिसके तहत मैन्युफैक्चरिंग, रिटेलिंग, इस्तेमाल, रीयूजिंग, रिपेयरिंग, रीडिजाइनिंग, रिसाइक्लिंग के बाद फिर से मैन्युफैक्चरिंग के चरण शामिल किए गए हैं. हां, कुछ प्लास्टिक उत्पादन मसलन ईयर बड के प्लास्टिक स्टिक, बैलून के प्लास्टिक सिटक, कैंडी स्टिक, आईसक्रीम स्टिक, प्लास्टिक फोर्क आदि सिंगल यूज प्लास्टिक के दायरे में आते हैं, लेकिन इसका यह मतलब तो नहीं हो सकता कि इसके आधार पर जो उत्पाद रिसाइक्लिंग की श्रेणी में आते हैं, उनके निर्माण पर भी रोक लगा दी जाए. इसलिए इस मामले में जमशेदपुर, आदित्यपुर, झारखंड समेत सारे देश के ऐसे उद्योग अब एकजुट हो चुके हैं और केन्द्र के इस कानून को अदालत में चुनौती दी गयी है.
इन उद्योगों ने लिखा है पत्र
यह पत्र शारदा प्रोजेक्ट्स प्रा. लि. के ए के अग्रवाल, आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित श्री राणी सती थर्मोफॉर्मर्स लिमिटेड के अमित अग्रवाल, अंजनि प्लास्ट इंडस्ट्रीज के दिनेश कुमार छापोलिया, वंडर प्लास्टो पैक इंडस्ट्रीज,रांची के निर्मल कुमार गाड़ोदिया, श्री बालाजी थर्मोफॉर्मर के साहित्य कुमार अग्रवाल, एसएस थर्मोफॉर्मिंग इंडस्ट्रीज के अंकित कुमार डिडवानिया, विजयवर्गीय ट्रेडर के कुणाल विजयवर्गीय ने लिखा है.
डेढ़ हजार मजदूरों की रोजी-रोटी दांव पर
आदित्यपुर और जमशेदपुर में थर्मोफॉर्मर्स की कुल छह इकाइयां हैं. इसके अलावा चांडिल, बहरागोड़ा और मुसाबनी में भी एक एक यूनिट है. रांची में चार इकाइयां हैं. इस उद्योग से जमशेदपुर और रांची में ही करीब 1500 कर्मचारी और मजदूर जुड़े हुए हैं और इसके अलावा इसके कारोबार से भी हजारों लोग जुड़े हैं. पूरे देश में इस तरह की करीब 30,000 इकाइयां हैं. अगर सरकारी कानून में संशोधन नहीं हुआ तो न केवल उद्योग बंद हो जाएंगे बल्कि हजारों मजदूरों का रोजगार भी छिन जाएगा.इसके अलावा इन उद्योगों ने बैंकों से भी करोड़ों रुपये का कर्ज लिया हुआ है जिसके डूबने का खतरा पैदा हो जाएगा.
झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर
केन्द्र की ओर से कोई पहल न होते देख इन उद्योगों के संचालकों ने अब अदालत का रूख किया है. झारखंड हाई कोर्ट में सिविल रिट पिटिशन दाखिल की गयी है जिसमें शारदा प्रोडक्ट्स एवं अन्य 29 उद्योग वादी और केन्द्र सरकार को प्रतिवादी बनाया गया है. अभी इस याचिका का लिस्टिंग नहीं हुई है. झारखंड हाईकोर्ट में इन दिनों गर्मियों की छुट्टियां चल रही हैं,लिहाजा वैकेशन बेंच में इसकी लिस्टिंग होगी. याचिका में केंद्र सरकार के उस कानून को रद्द करने की मांग की गई है जिसमें प्लास्टिक के कप, प्लेट,ग्लास और कटलरी को सिंगल यूज प्लास्टिक की श्रेणी में शामिल किया गया है और प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 के तहत सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पादन पर 1 जुलाई, 2022 से रोक है.
सुप्रीम कोर्ट से भी उद्योगों के पक्ष में आया था फैसला
प्रदूषण से जुड़े एक मामले में हरियाणा के उद्योगों पर जब बंदी की नौबत आई थी तो देश की सबसे बड़ी अदालत ने उद्योगों को राहत दी थी. यह फैसला इसी साल 24 मार्च को आया था. दरअसल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने प्रदूषण के आधार पर हरियाणा में उद्योगों को बंद करने का आदेश दिया था. इससे इन उद्योगों से जुड़े रोजगार पर भी सवाल खड़ा हो गया. जिसके बाद इस आदेश के खिलाफ हरियाणा के उद्योग सुप्रीम कोर्ट गए और सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेश को रद्द कर दिया.अपने फैसले में अदालत ने कहा था कि केवल तकनीकी आधार पर लोगों को रोजगार दे रहे उद्योगों को बंद नहीं किया जा सकता कि उसने पूर्व पर्यावरण मंजूरी नहीं ली है.
चैम्बर तक पहुंची बात
श्री राणी सती थर्मोफॉर्मर्स लिमिटेड के अमित अग्रवाल आज सिंहभूम चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के कार्यालय गए जहां उन्होंने चैम्बर के अध्यक्ष विजय आनंद मूनका समेत अन्य पदााधिकारियों को डिस्पोजेबल प्लास्टिक उद्योग के समक्ष आसन्न संकट से अवगत कराया. चैम्बर ने उन्हें मदद का आश्वासन दिया है.अमित अग्रवाल ने अपने संबोधन में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, गृह मंत्री अमित शाह व अन्य मंत्रियों पर इस कानून के चलते हजारों लोगों के बेरोजगार होने के खतरे की दुहाई देते हुए इस कानून को बदलने की गुहार लगाई.
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