उदित वाणी, जमशेदपुर: गम्हरिया के जेवियर स्कूल में हाल ही में अभिभावकों के लिए एक भव्य पेरेंट्स नाइट कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस आयोजन में बच्चों ने अपने माता-पिता के लिए विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं, जो न केवल दिल को छूने वाली थीं, बल्कि विचारशील भी थीं.
मुख्य कार्यक्रम: ‘मम्मी-पापा, मेरे सपनों को पंख दो’
कार्यक्रम का मुख्य थीम था ‘मम्मी-पापा, मेरे सपनों को पंख दो’, जिसमें बच्चों ने गर्भावस्था से लेकर युवावस्था तक के संघर्षों को दर्शाने के लिए एक नृत्य-नाटिका का मंचन किया. नृत्य-नाटिका में दिखाया गया कि कैसे अभिभावक अपने बच्चों के सपनों को संजोते हैं और उनके संघर्षों का सामना करते हैं. नाटक का एक दृश्य इतना प्रभावशाली था कि इसे देखकर दर्शकों की आँखें नम हो गई. इस नृत्य-नाटिका में 150 से अधिक बच्चों ने हिस्सा लिया, और इसका निर्देशन विद्यालय के उपप्रधानाचार्य, फादर दयानिधि ने किया.
मुख्य अतिथि और विशिष्ट उपस्थितियाँ
इस विशेष अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सरायकेला-खरसावां के उपविकास आयुक्त, प्रभात कुमार बरदियार, जिला शिक्षा पदाधिकारी संतोष गुप्ता, और XITE कॉलेज के प्राचार्य फादर फ्रांसिस उपस्थित रहे. इन गणमान्य व्यक्तियों ने कार्यक्रम को सराहा और बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दीं. मुख्य अतिथि, प्रभात कुमार ने भी इस अवसर पर अभिभावकों से अपील की कि वे अपने बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उन्हें अनुशासन और शैक्षणिक गतिविधियों में सक्षम बनाएं. उन्होंने कहा, “हमारे बच्चों को इस दुनिया में अपना स्थान बनाने के लिए मार्गदर्शन और समर्थन की आवश्यकता है.”
प्रधानाचार्य का संदेश: बच्चों के सपनों को पंख दें
कार्यक्रम के दौरान विद्यालय के प्रधानाचार्य, फादर सेबेस्टियन पुथेनपुरा ने अभिभावकों के सामने एकेडमिक वर्ष 2023-2024 की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की. उन्होंने कहा, “आपके बच्चे इस देश के भविष्य हैं, और उनके सपनों को पूरा करने की जिम्मेदारी आपके कंधों पर है. बच्चों के सपनों को पंख दें, ताकि वे अपने प्रयासों से आप सभी का नाम रोशन कर सकें.”
कार्यक्रम की सफलता में योगदान
इस कार्यक्रम की सफलता में विद्यालय के उपप्रधानाचार्य, फादर दयानिधि, सिस्टर सविता, कोऑर्डिनेटर सिस्टर निवेदिता और प्रशासक अमलराज सहित सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं का अहम योगदान था. उनके समर्पण और मेहनत से यह कार्यक्रम एक यादगार अनुभव बन गया. यह कार्यक्रम न केवल बच्चों और अभिभावकों के बीच एक मजबूत संबंध को स्थापित करने में मददगार साबित हुआ, बल्कि यह सभी को यह एहसास भी दिलाने में सफल रहा कि बच्चों का भविष्य हम सभी के सहयोग और मार्गदर्शन पर निर्भर करता है.
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