
उदित वाणी, जमशेदपुर: लोयोला स्कूल, टेल्को ने कक्षा 10 के छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए एक व्यापक ओरिएंटेशन कार्यक्रम का आयोजन किया. इस पहल का उद्देश्य छात्रों की शैक्षणिक यात्रा को प्रभावशाली और सुव्यवस्थित बनाना था.विद्यालय सभागार में आयोजित इस सत्र की शुरुआत एक मधुर प्रार्थना गीत के साथ हुई. इसके बाद विद्यालय के प्रबंधन और शिक्षकों का परिचय कराया गया, जिससे एक सहयोगात्मक और पारदर्शी वातावरण की नींव पड़ी.
प्रधानाचार्या ने साझा किए सफलता के सूत्र
प्रधानाचार्या चरणजीत ओहसन ने अपने उद्घाटन संबोधन में ओरिएंटेशन के मूल उद्देश्य स्पष्ट किए. उन्होंने आईसीएसई 2026 बोर्ड परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए अभिभावकों और शिक्षकों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता पर बल दिया.
जानकारी, सहयोग और अनुशासन पर आधारित मार्गदर्शन
कार्यक्रम के दौरान कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को साझा किया गया:
• ICSE दिशा-निर्देश: छात्रों को 75% उपस्थिति अनिवार्य है. साथ ही, विषयवार मूल्यांकन और प्रोजेक्ट कार्य की भूमिका को रेखांकित किया गया.
• परीक्षा प्रारूप में बदलाव: गणित की परीक्षा अब 2.5 घंटे से बढ़ाकर 3 घंटे की हो गई है, जिससे विद्यार्थियों को गहराई से सोचने का अवसर मिलेगा.
• चिंतन व नवाचार पर बल: अब तर्कशक्ति, आलोचनात्मक सोच और व्यावहारिक समझ को अधिक प्राथमिकता दी जाएगी.
• पुनर्परीक्षा का विकल्प: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अंतर्गत अब छात्र एक ही सत्र में दो विषयों में सुधार हेतु परीक्षा दे सकते हैं.
• अभिभावकों की भूमिका: बच्चों को भावनात्मक सहारा देने, अध्ययन अनुशासन बनाए रखने और संवाद को खुला रखने का अनुरोध किया गया.
• शैक्षणिक सहयोग: विद्यालय द्वारा अतिरिक्त कक्षाएं, व्यक्तिगत मार्गदर्शन और अध्ययन सामग्री की व्यवस्था की गई है.
• अनुशासन और संवाद: छात्रों से नियमित उपस्थिति, समय पालन, अंग्रेज़ी में संवाद और निर्धारित पोशाक के पालन की अपेक्षा की गई है.
• मूल्यांकन की पारदर्शिता: विषय समूहों, आंतरिक मूल्यांकन व प्रोजेक्ट कार्यों की विस्तृत जानकारी साझा की गई.
नैतिक शिक्षा की भूमिका और अभिभावकों का उदाहरण
विद्यालय के प्रशासक फादर जेरी ने नैतिक मूल्यों की आवश्यकता को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि शिक्षा सिर्फ अंक प्राप्ति नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण भी है. उन्होंने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे स्वयं उदाहरण बनें और बच्चों को नैतिकता के साथ मार्गदर्शन करें. कार्यक्रम का समापन एक सार्थक संदेश के साथ हुआ – विद्यालय और अभिभावक मिलकर ही एक समर्पित, संतुलित और सफलता की ओर अग्रसर छात्र तैयार कर सकते हैं.
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