उदित वाणी जमशेदपुर : मंगलवार की सुबह मेरी नींद एक बहुत ही दुखद खबर के साथ खुली. यह दुखद खबर थी- डॉ.इरानी के निधन की खबर !
आरम्भ से ही मैं उनके व्यवहार, आचरण एवं सूझ-बूझ के बड़े प्रशंसकों में से एक था. लेकिन, पिछले तीन दशकों में उन्हें बेहद नजदीक से जानने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.
डॉ. इरानी का निधन मेरे लिए बहुत बड़ी व्यक्तिगत क्षति है. एक असाधारण संरक्षक और पुराने बुद्धिमान दोस्त के खोने की तीव्र वेदना को शब्दों में व्यक्त करने में असमर्थता महसूस कर रहा हूँ. मैं और मेरा परिवार उनकी पत्नी श्रीमती डेज़ी इरानी, उनके तीन बच्चों, जुबिन, नीलोफऱ और तनाज़ और उनके प्रियजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं.
यह पत्र डॉ.इरानी की विरासत और, व्यक्तिगत रूप से, मेरे जीवन पर उनके प्रभाव प्रस्तुत करने का एक प्रयास है .‘सर’ जे.जे. इरानी, जिन्हें 1997 में स्वर्गीय महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा मानद नाइटहुड दिया गया था, मेरे गृह निर्वाचन क्षेत्र जमशेदपुर शहर के एक महान व्यक्तित्व थे। डॉ.इरानी 4 दशकों से भी अधिक समय से टाटा स्टील और जमशेदपुर से जुड़े हुए थे. यह एक अकाट्य तथ्य है कि उनका नाम वस्तुत: जमशेदपुर नामक इस खुबसूरत शहर के इतिहास का एक अप्रतिम हिस्सा है.
28 साल पहले, जब जमशेदपुर बिहार का हिस्सा था और माफिया के आतंक से जूझ रहा था यह डॉ इरानी (टाटा स्टील के तत्कालीन प्रबंध निदेशक (एमडी)) ही थे जिन्होंने तत्कालीन बिहार सरकार से जमशेदपुर में एक ऐसे पुलिस अधिकारी को पदस्थापित करने का अनुरोध किया था जो जमशेदपुर से माफिया के आतंक को खत्म कर सके. स्टील सिटी में माफिया की समस्या और मेरे सौभाग्य ने मुझे इस अद्भुत शहर की सेवा करने और उस व्यक्ति के सानिध्य का सौभाग्य मिला, जिसकी शहर और राज्य में इतनी बड़ी उपस्थिति थी.
जमशेदपुर के पुलिस अधीक्षक के रूप में मेरे कार्यकाल के दौरान मुझे कई मोर्चों पर डॉ, ईरानी से अपार समर्थन मिला. डॉ. इरानी अपने समय और अपने संसाधनों के साथ बेहद उदार थे, खासकर तब जब इनके सदुपयोग से जमशेदपुर शहर को कोई फायदा पहुंचता हो, जिससे वह बहुत प्यार करते थे. मेरे विभिन्न अनुरोधों के प्रतिउत्तर में उनके विशिष्ट शब्द ‘ओके अजय’ मुझे आज बार-बार याद आ रहे हैं .
‘टाउन आउट पोस्ट’ (ञ्जह्रक्क) के लिए कंपनी क्वार्टरों के आवंटन से लेकर जमशेदपुर शहर के हर प्रमुख चौराहे पर ट्रैफिक लाइट लगाने का जटिल कार्य डॉ इरानी की सहायता से ही पूरा हो पाया था. उनका यह सहयोग माफिया-तंत्र से आक्रांत एक शहर को सुरक्षित शहर में बदलने के लिए था, और उन्होंने इसे सुनिश्चित करने में मेरा और पूरे प्रशासन का इस विश्वास के साथ सहयोग किया कि ‘सुरक्षित जमशेदपुर’ का सपना सिर्फ एक सपना नहीं बल्कि यथार्थ रहे. इस प्रकार मुझे बहुत खुशी हुई जब मैं और मेरे साथी जमशेदपुर को ‘अपराध के शहर’ से ‘आनंद और शांति के शहर’ में बदलने में कामयाब रहे. लेकिन, यह सब डॉ. इरानी के प्रयासों और योगदान का एक हिस्सा भर ही है.
दरअसल, डॉ. इरानी का प्रभाव पूरे जमशेदपुर में देखा जा सकता है, चाहे वह सड?ें हों, खेल सुविधाएं हों, अस्पताल हों, स्कूल हों, या पुल हों (उदाहरण के लिए मानगो ब्रिज)- डॉ. इरानी के असाधारण कार्यों के निशान पूरे शहर में फैले हुए हैं. जमशेदपुर शहर का कोई भी एक ऐसा कोना खोजना लगभग असंभव है, जहां दिन के उजाले की तरह डॉ, इरानी का प्रभाव झिलमिलाता नहीं हो.
मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे भारत के स्टील मैन की उपाधि से सम्मानित डॉ. इरानी के साथ काम करने का मौका मिला. टाटा में अपने कार्यकाल के दौरान मुझे कॉरपोरेट जगत के साथ तालमेल बिठाने में मदद करने में उनका निरंतर समर्थन याद है. उन्होंने टाटा स्टील में अपने कार्यकाल के दौरान लौहपुरुष की कई विशेषताओं का प्रदर्शन किया. उनके दृष्टिकोण में इस्पात की दृढ़ता और लचीलापन दोनों का अद्भुत समावेश था. रूसी मोदी के उत्तराधिकारी से टाटा स्टील को ठीक यही चाहिए भी था. यह वह दौर था, जब टाटा स्टील को बदलते वैश्विक परिदृश्य और गिरते मुनाफे सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था. नि:संदेह, डॉ इरानी के नेतृत्व में, टाटा स्टील ‘गुणवत्ता’ और’ ग्राहकों की संतुष्टि’ पर ध्यान देने के साथ-साथ खुद को फिर से स्थापित करने में सक्षम था और डॉ इरानी के नेतृत्व में टाटा स्टील ने कठिन परिस्थितियों के बावजूद 31 प्रतिशत शुद्ध लाभ की वृद्धि दर्ज की थी.
जिन अन्य गुणों का मैंने संक्षेप में ऊपर उल्लेख किया है, उनमें से एक एक गुण जिसे मैंने डॉ. इरानी से सबसे अधिक प्राप्त किया, वह था उनकी सत्यनिष्ठा. इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि डॉ. ईरानी को कॉरपोरेट गवर्नेंस और कंपनी कानून पर केंद्र सरकार की विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता के लिए चुना गया था. मैं इस तरह के कार्य के लिए उनसे बेहतर विकल्प के बारे में नहीं सोच सकता. जैसा कि उन्होंने अपने जीवन में प्रदर्शित किया गया था, उनका दृष्टिकोण यह था कि जब किसी कंपनी (या किसी संगठन) की बात आती है तो अच्छा कॉर्पोरेट प्रशासन और विकास की ललक असंगत नहीं , बल्कि अलग-अलग तत्व होते हुए भी ये दोनों एक साथ एक मजबूत मिश्र धातु का निर्माण कर सकते हैं.इरानी बहुत याद आएंगे, लेकिन जैसा कि मैंने हाल ही में एक अद्भुत किताब में पढ़ा, ‘मौत एक जीवन को समाप्त करती है, लेकिन रिश्तों को नहीं’ और इसलिए मैं केवल उस रिश्ते के लिए आभारी हो सकता हूं जिसे हम उनके जीवन काल में आत्मीयता देने में सक्षम थे।
हम आपको भुला नही पायेंगे डॉ इरानी!
डॉ. अजय कुमार
– लेखक जमशेदपुर में एसपी व स्थानीय सांसद रह चुके हैं
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