उदित वाणी, जमशेदपुर: राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल) जमशेदपुर ने 25 अगस्त को एक आभासी मंच पर “पीने के पानी का परिशोधन: एक प्रौद्योगिकी और सामाजिक चुनौती” पर व्याख्यान का आयोजन किया.
यह कार्यक्रम सीएसआईआर-जिज्ञासा वर्चुअल प्रयोगशाला परियोजना के तहत स्कूली छात्रों और शिक्षकों के लिए आयोजित किया गया. कार्यक्रम का उद्देश्य स्कूल के शिक्षकों और वरिष्ठ छात्रों के बीच आकर्षण पैदा करना और विज्ञान को दिलचस्प बनाना था.
वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एसके. पाल ने सभी प्रतिभागियों और अन्य उपस्थित लोगों का स्वागत किया और उन्होंने इस लोकप्रिय व्याख्यान श्रृंखला के बारे जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि इस व्याख्यान श्रृंखला के आयोजन का उद्देश्य प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करना और सूचनाओं का आदान-प्रदान करना है. डॉ.पाल ने शिक्षकों से युवाओं के मन को समझने और छात्रों में नवीन मानसिकता पैदा करने हेतु आग्रह किया.
छात्रों और शिक्षकों ने अपना परिचय दिया और अतिथि वक्ता के साथ बातचीत की. अतिथि वक्ता सीएसआईआर-एनएमएल के केआरआईटी प्रभाग केवरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनिमेष जाना थे.
डॉ. जाना ने “पीने के पानी का परिशोधन: एक प्रौद्योगिकी और सामाजिक चुनौती” पर एक प्रस्तुति दी. उन्होंने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत पीने के पानी की वैश्विक स्थिति और उसके बाद जल प्रदूषण और ताजे पानी के दुरुपयोग पर चर्चा की डॉ. जाना ने सोखना और झिल्ली निस्पंदन जैसी जल परिशोधन के लिए उपलब्ध तकनीक पर भी चर्चा की.
उन्होंने प्रौद्योगिकी के उन्नयन के लिए चुनौती पर संक्षेप में चर्चा की जो प्रयोगशाला क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के कार्यान्वयन से संबंधित बाधा को दर्शाती है.
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।