उदित वाणी, रांची : भारत सरकार के आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय नें स्वच्छ सर्वेक्षण के बाद अब पेयजल सर्वेक्षण के दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए देश के 485 अमृत शहरों में पेयजल सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया है. पेयजल सर्वेक्षण इस वर्ष के नवंबर माह से प्रारंभ हो जाएगा। इसको लेकर केन्द्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के विशेषज्ञों की टीम ने राज्यों और अमृत शहरों के पदाधिकारियों के साथ कार्यशाला और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरु कर दिया है।
इसी क्रम में शुक्रवार 14 अक्टुबर 2022 को झारखण्ड सचिवालय, प्रोजेक्ट भवन के सभागार में बिहार राज्य के 27 अमृत नगर निकाय और झारखंड के 7 अमृत नगर निकायों के पदाधिकारियों को पेयजल सर्वेक्षण से जुड़ी अहम जानकारी दी गयी। केन्द्र सरकार के प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों के द्वारा काफी बारीकी से उन हर पहलुओं की जानकारी दी गयी, जिसके आधार पर शहरों में उपलब्ध पेयजल, पाइपलाईन जलापूर्ति, पेयजल की गुणवता और वाटर बॉडी के रख रखाव से जुड़े प्रश्न पूछे जाएंगे। इस सर्वेक्षण में संबंधित शहर के नागरिकों का फिडबैक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
झारखंड के 7 अमृत शहरों में सर्वेक्षण होगा। इनमे रांची, आदित्यपुर, हजारीबाग, चास ,गिरिडीह, धनबाद और देवघर शामिल है.
यह सर्वेक्षण कुल 2100 अंकों का होगा:
वाटर यूटिलिटी सर्विसेज (700 अंक )
इसके तहत शहरों की आबादी और आबादी के जरुरत के हिसाब से शहरों के जल स्रोतों में जल की उपलब्धता,पेयजल के लिए पाइपलाईन से टैप वाटर आपूर्ति की व्यवस्था,पाइपलाईन से आपूर्ति किए जा रहे जल का मीटर कनेक्शन इत्यादि शामिल है। इन महत्वपूर्ण बिंदुओं के आधार पर उस शहर को अंक प्राप्त होगा। इसके साथ ही इन बिंदुओं से जुड़े सवाल पर आम नागरिकों का फिडबैक भी इस बात को तय करेगा कि शहर में जल की गुणवत्ता कैसी है और लोगों को सरकार जरुरत की तुलना में कितना और किस स्तर का जल उपलब्ध करा रही है।क्या जलापूर्ति बाधित होने पर लोगों के शिकायत और उसके समाधान के लिए क्या उपाय बनाया गया है।
यूज्ड वाटर यूटिलिटी सर्विसेज (700 अंक )
इस सर्विसेज के लिए भी कुल अंक 700 निर्धारित किए गए हैं जिसके तहत शहरों में विभिन्न कार्यों अर्थात् आवासीय और कॉमर्शियल उदेश्यों से हो रहे जल के उपयोग के बाद वैस्ट जल का कितना प्रतिशत ट्रिटमेंट हो रहा है। यहीं नहीं इसके लिए क्या कुछ उपाय किए गए हैं, किस प्रकार का वाटर ट्रिटमेंट प्लांट लगाया गया है। इनसे जुड़े सवाल भी नागरिकों का फेस टू फेस इंटरव्यू के माध्यम से पूछा जाएगा।ऐसे जल की आपूर्ति क्या पाइप लाईन से की जा रही है या नहीं।
जल स्रोत (वाटर बॉडी)- 200 अंक
शहरों को अपने निकाय से तीन जल स्रोतों की जानकारी भारत सरकार के आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय को देना है जिसके संरक्षण के लिए कुछ कदम उठाएं गए हैं।उन शहरों से क्वालिटी टेस्टिंग की टीम सैंपल इकट्ठा कर लैब भेजेगी और उस जल की गुणवत्ता की जांच की जाएगी। इसके साथ ही वाटर रिजर्वायर,वाटर ट्रिटमेंट प्लांट,और सिवरेज ट्रिटमेंट प्लांट के जल का भी समय समय पर जांच कराना होगा। इन जांच के आधार पर भी शहरों की रैंकिंग तय होगी।
एनआऱडब्ल्यू अर्थात् नन रेवेन्यू वाटर- 200 अंक
विभिन्न जल स्रोतों से नगर निकाय द्वारा पाइप लाईन से किए जा रहे जलापूर्ति में अवैध कनेक्शन,पाइपलाईन से लीकेज के द्वारा हो रहे बर्बादी और मीटरयुक्त कनेक्शन नहीं होने के कारण नॉन रेवेन्यू वाटर का आकलन कर इस श्रेणी में अंकों का निर्धारण किया जाएगा।
वेस्ट प्रैक्टिसेज एंड इन्नोवेशन- 300 अंक
इस श्रेणी में जल स्रोत,जलापूर्ति केन्द्र और ट्रिटमेंट प्लांट को बेहतर बनाने के लिए किए गए बेहतर प्रयास तथा इनोवेशन के आधार पर शहर के लिए अंक निर्धारित किया जाएगा। इस श्रेणी में भी नागरिकों का फिडबैक बहुत ही मददगार साबित होगा। इसमें शहरों में वाटर हार्वेस्टिंग के लिए अपनाए गए मॉड्यूल पर भी अंक प्राप्त होंगे।
राज्य सरकारों की ओर से बिहार सरकार के पेयजल सर्वेक्षण के नोडल ऑफिसर और बिहार के नगर विकास विभाग में डिप्टी डायरेक्टर आशुतोष कुमार, झारखंड सरकार के नगर विकास विभाग से डिप्टी डायरेक्टर कृष्ण कुमार,सहायक निदेशक आशीष कुमार, धनबाद के नगर आयुक्त सत्येन्द्र कुमार, देवघर के नगर आयुक्त शैलेन्द्र लाल, आदित्यपुर के नगर आयुक्त गिरिजा शंकर प्रसाद, झारखंड के रांची, हजारीबाग, चास ,गिरिडीह, आदित्यपुर, धनबाद, देवघर के प्रतिनिधी भी कार्यक्रम में शामिल हुए। इधर बिहार से बगहां औरंगाबाद और डालमियानगर के कार्यपालक पदाधिकारियों के साथ साथ अन्य नगर निकाय के प्रतिनिधि शामिल हुए। भारत सरकार के आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के प्रतिनिधी अलगर शामी और आईपीएसओएस की ओर से राकेश सिंह ने पदाधिकारियों को प्रशिक्षण दिया। कार्यक्रम में सूडा और जुडको के पदाधिकारी भी मौजूद रहे।
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