इस साल आवेदकों की संख्या ज्यादा होने से सरकारी कॉलेजों में दाखिला हुआ और मुश्किल
उदित वाणी, जमशेदपुर: नेशनल इजिलिबिलिटी कम इंट्रेस टेस्ट (नीट) का रिजल्ट 7 सितंबर बुधवार को आने जा रहा है. हर पैरैन्ट्स की एक ही ख्वाहिश होती है कि उनके बच्चे का दाखिला सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हो जाय, क्योंकि वे करोड़ों रूपए खर्च कर बच्चों को प्राइवेट कॉलेजों में नहीं पढ़ा पाएंगे.
लेकिन सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीट मिलना बेहद मुश्किल है. इस साल सीट पाना इसलिए भी कठिन है क्योंकि आवेदकों की संख्या सबसे ज्यादा रही है. इस साल आवेदकों की संख्या लगभग 19 लाख है.
जबकि नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) यानि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार भारत में केवल 562 मेडिकल कॉलेज हैं, जो वर्तमान में 86,649 सीटों की पेशकश करते हैं. इसमें से सरकारी कॉलेजों में लगभग 40 हजार के करीब सीटें हैं.
प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में करोड़ से ऊपर फीस
एम्स प्रति वर्ष केवल 5,000 रुपये का शुल्क लेता है, जबकि सबसे महंगे में से एक पणजी में गोवा मेडिकल कॉलेज है, जिसकी सालाना फीस एक लाख रूपए है.
लेकिन निजी संस्थानों में यह फीस काफी है. सालाना 20 लाख से 25 लाख रूपए ये कॉलेज लेते हैं. ऐसे में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में निम्न और मध्यम वर्ग के उम्मीदवारों के लिए दाखिला लेना मुश्किल होता है.
इन कॉलेजों में वहीं आवेदक दाखिला ले पाते हैं जिनके पैरेन्ट्स के पास करोड़ों-अरबों की संपत्ति होती है.
15 फीसदी सीटें ऑल इंडिया कोटे के तहत
देश भर के मेडिकल कॉलेजों में 15 फीसदी सीटें ऑल इंडिया कोटे के तहत आती है. कुल सरकारी सीटों का 5 से लेकर 6 हजार सीटें इस कोटे के तहत होती है.
सबसे पहले ऑल इंडिया कोटे के तहत उम्मीदवारों का दाखिला होता है, उसके बाद राज्य अपने मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेते हैं. फिर प्राइवेट डीम्ड यूनिवर्सिटी और अंत में प्राइवेट कॉलेजों में दाखिला होता है. प्राइवेट मे़डिकल कॉलेजों में भले पैसे का खेल जमकर होता है.
720 में से 700 के पार अंक लाने वालों को मिलता है अच्छा सरकारी मेडिकल कॉलेज
भारत में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला के लिए कट-ऑफ 720 में से 700 अंक के पार जाता है. 500 से कम अंक प्राप्त करने वालों के पास सरकारी कॉलेजों में दाखिला लेने का कोई मौका नहीं होता है.
सरकारी कॉलेजों में उपलब्ध लगभग 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित वर्ग के छात्रों को मिलती हैं. बाकी छात्रों के पास सिर्फ दो विकल्प बचते हैं. या तो वे अगले साल परीक्षा के लिए दोबारा तैयारी करें और अच्छे अंक प्राप्त करें या फिर रूस, यूक्रेन और चीन जैसे देशों में जाएं.
दाखिला कराने वाली एजेंसियों के चक्कर में नहीं फंसे
प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में दाखिला कराने वाली एजेंसियां शहर में सक्रिय हैं. ये एजेंसियां काउंसलिंग के नाम पर पहले उम्मीदवारों को फांसती हैं और फिर प्राइवेट कॉलेजों में दाखिला का लोभ देकर पैरेन्ट्स को ठगती है.
इन एजेंसिंयों के चक्कर में जाने की बयाज उम्मीदवार खुद ऑनलाइन सारी इम्फॉर्मेशन देखें और आगे पढ़ें.
जानिए देश के टॉप मेडिकल कॉलेजों के बारे में
1.एएफएमसी पुणे
2.एम्स नई दिल्ली, जोधपुर, भुवनेश्वर, रायपुर
3.लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज नई दिल्ली
4.मौलाना आजाद मेडिकल कॉलज
5.यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेस, नई दिल्ली
6.जवाहर लाल इन्स्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च पांडिचेरी
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