उदित वाणी, जमशेदपुर: मानगो एनएच 33 स्थित वसुन्धरा एस्टेट में चल रहे श्री शिवकथा महोत्सव ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन रविवार को वृन्दावन से पधारे प्रसिद्ध कथावाचक स्वामी वृजनंदन शास्त्री महाराज ने श्री गणेश प्रकट महिमा, नंदी महिमा, पार्वती मंगल, विश्वनाथ मल्लिका और भगवान भोलेनाथ के परम भक्त सेवंती की कथा का विस्तृत वर्णन किया. उन्होंने कहा कि सेवंती की तरह भगवान शिव पर श्रद्धा और विश्वास रखने से निश्चित ही शिव कृपा प्राप्त होती है.
गौ माता की सेवा के लिए दान पात्र की आवश्यकता
महाराज ने गौ माता के संरक्षण पर भी चर्चा की और कहा कि हर मंदिर में एक दान पात्र गौ माता की सेवा के लिए रखा जाना चाहिए. उन्होंने धर्म को बचाने के लिए धन की आवश्यकता पर बल देते हुए सेवा को सबसे बड़ा शस्त्र बताया. उन्होंने भगवान गणेश और कार्तिकेय की महिमा का भी वर्णन किया और कहा कि कार्तिकेय भगवान गणेश से उम्र में बड़े हैं, लेकिन एक श्राप के कारण वह हमेशा बाल्य रूप में रहते हैं.
रुद्राक्ष और नंदी की महिमा
स्वामी जी ने रुद्राक्ष की महिमा का भी वर्णन किया और बताया कि धरती पर 1 मुख से 14 मुख तक के रुद्राक्ष होते हैं और हर रुद्राक्ष का अपना अलग महत्व है. उन्होंने नंदी महिमा पर भी प्रकाश डाला और बताया कि नंदी के चार पद होते हैं, जिनका अलग-अलग महत्व है. नंदी का दाहिना पैर धर्म का प्रतीक है, जो शिव भक्ति की दिशा में बढ़ता है.
नर्मदा तट की शक्ति और शिव के रूप
स्वामी जी ने नर्मदा तट पर पत्थर के निरंतर बढ़ने की प्रक्रिया का उदाहरण देते हुए बताया कि यह नर्मदा जी की शक्ति है. उन्होंने बताया कि नर्मदा तट पर हर पत्थर और कंकड़ में भगवान शंकर का रूप विद्यमान है.
कार्यक्रम में गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति
आज के यजमान किरण-उमाशंकर शर्मा थे. कार्यक्रम को सफल बनाने में कृष्ण शर्मा काली, जयप्रकाश शर्मा, गोविन्दा शर्मा, राखी शर्मा, रवि शर्मा, चंदन शर्मा, शत्रुधन शर्मा, श्रवण शर्मा सहित अन्य ने महत्वपूर्ण योगदान दिया. इस अवसर पर विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के गणमान्य व्यक्तियों ने भी शिव दरबार में हाजरी लगाई और कथा का आनंद लिया. उन्होंने स्वामी वृजनंदन शास्त्री से आशीर्वाद प्राप्त किया और झारखंड के विकास की प्रार्थना की.
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