- -काॢतकेय का पूजन और सत्यनारायण कथा का आयोजन होगा
उदित वाणी, जमशेदपुर : भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा तिथि अत्यन्त पावन मानी गई है. पौराणिक मान्यता है कि इस तिथि के दिन देवाधिदेव महादेवजी ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था तथा शिवजी के आशीर्वाद से दुर्गारूपिणी पार्वती जी ने महिषासुर का वध करने के लिए शक्ति अॢजत की थी.
इसी दिन सायंकाल भगवान श्रीविष्णुजी मत्स्यावतार के रूप में अवतरित हुए थे. कार्तिक पूर्णिमा का पुनीत पर्व 8 नवम्बर, मंगलवार को हर्षोल्ïलास और उमंग के साथ मनाया जाएगा. ज्योतिषविद् विमल जैन जी ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा पक्ष की पूर्णिमा तिथि 7 नवम्बर, सोमवार को सायं 4 बजकर 17 मिनट से 8 नवम्बर, मंगलवार को सायं 4 बजकर 32 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि में पूर्णिमा तिथि का मान होने से स्ïनान-दान की पूर्णिमा एवं कार्तिक पूर्णिमा का पर्व 8 नवम्बर, मंगलवार को मनाया जाएगा.
इस दिन भगवान श्रीविष्णुजी एवं देवाधिदेव महादेवजी, श्रीशिवजी के पुत्र श्रीकाॢतकेय जी की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है. धाॢमक शास्त्रों में काॢतक पूॢणमा के दिन किए गए दान व पुण्य का फल दस यज्ञों के फल के समान बतलाया गया है. काॢतक माह के प्रथम दिन 10 अक्टूबर, सोमवार से प्रारम्भ हुए धाॢमक नियम-संयम आदि का समापन काॢतक पूॢणमा 8 नवम्बर, मंगलवार को हो जाएगा.
पूजा का विधान—प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना के पश्चात् काॢतक पूॢणमा के व्रत का संकल्प लेना चाहिए. पूॢणमा तिथि के दिन प्रात:काल गंगा-स्नान करके देव-दर्शन के पश्चात् ब्राह्मण को यथाशक्ति दान करके पुण्यफल अॢजत करना चाहिए.
आज के दिन पीपल, आंवला एवं तुलसीजी के वृक्षों का जलङ्क्षसचन करके दीपक जलाकर उनका पूजन किया जाता है. इस दिन प्रतीक के स्वरूप में क्षीरसागर के दान का भी विधान है. 24 अंगुल के नवीन पात्र में गौ दूध भरकर उसमें सोने या चाँदी की बनी मछली छोडक़र ब्राह्मण को विधि सहित दान देने से जीवन में सुख-सौभाग्य की प्राप्ति बतलाई गई है. ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बतलाया कि श्रीसत्यनारायण भगवान की कथा-पूजन का आयोजन भी आज के दिन किया जाता है.
व्रत रखकर या फलाहार ग्रहण करके श्रीसत्यनारायण भगवान की पूजा से सुख-समृद्धि, खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होता है.सिक्ख धर्म के संस्थापक श्रीगुरुनानक देव जी का जन्मोत्सव-प्रकाशोत्सव भी श्रद्धा व उल्लास के साथ आज के दिन मनाया जाता है.
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