- ग्रहण का स्पर्श दिन में 02:41 पर, मध्य दिन में 04:30 पर, मोक्ष सायं 06:20 पर
- तुला राशि में बनेगा चतुर्ग्रही योग
- मिथुन, मकर एवं कुम्भ राशि वाले होंगे लाभान्वित
उदित वाणी : भारत में दृश्य खग्रास चन्द्रग्रहण 8 नवम्बर, मंगलवार को दिखाई देगा. यह ग्रहण भरणी नक्षत्र एवं मेष राशि पर लगेगा. चन्द्रग्रहण के समय सूर्य-बुध-शुक्र व केतु—तुला राशि में, मंगल—मिथुन राशि में, गुरु—मीन राशि में, शनि—मकर राशि मेेंं तथा चन्द्रमा-केतु—मेष राशि में उपस्थित रहेंगे. ज्योतिॢवद् विमल जैन ने बताया कि काॢतक शुक्ल पक्ष की पूॢणमा तिथि 7 नवम्बर, सोमवार को सायं 4 बजकर 17 मिनट पर लग रही है, जो कि 8 नवम्बर, मंगलवार को सायं 4 बजकर 32 मिनट तक रहेगी. सन 2022 का अन्तिम खग्रास चन्द्रग्रहण का स्पर्श भारतीय समयानुसार दिन में 2 बजकर 41 मिनट पर, ग्रहण का मध्य सायं 4 बजकर 30 मिनट पर तथा ग्रहण का मोक्ष सायं 6 बजकर 20 मिनट पर होगा. ग्रहण के स्पर्श, मध्य एवं मोक्ष के समय स्नान करना चाहिए. खग्रास के रूप में यह चन्द्रग्रहण भारत के अतिरिक्त, दक्षिण अमेरिका, उत्तरी अमेरिका, आस्ट्रेलिया, एशिया तथा प्रशान्त महासागर में दृश्य होगा. इस खग्रास चन्द्रग्रहण की आकृति उत्तरी पश्ïचम के कनाडा में भी दिखाई पड़ेगा. खग्रास चन्द्रग्रहण का आरम्भ चन्द्र अस्त होने के समय अर्जेन्टिना के पश्चिम क्षेत्रों, चिली, बोलविया, ब्राजील के पश्चिम क्षेत्रों तथा उत्तरी अटलान्टिक महासागर में दिखाई पड़ेगा. जबकि भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, उजबेकिस्तान तथा पूर्वी रूस में चन्द्रोदय के समय ग्रहण के समाप्ति का दृश्य होगा.
चन्द्रग्रहण का सूतक का: चन्द्रग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से 9 घंटे पूर्व प्रारम्भ हो जाता है. सूतक काल के आरम्भ होने के पूर्व मंदिरों के कपाट बन्द हो जाते हैं. सूतक काल में हास्य-विनोद, मनोरंजन, शयन, भोजन, देवी-देवता के मूॢत या विग्रह का स्पर्श करना, व्यर्थ वार्तालाप, अकारण भ्रमण, वाद-विवाद करना आदि वॢजत है. इस काल में यथासम्भव मौन-व्रत रहते हुए जरूरी कार्यों को करना चाहिए. गर्भवती महिलाओं को ग्रहण नहीं देखना चाहिए, उन्हें चाकू, कैची व अन्य धारदार उपकरण का प्रयोग नहीं करना चाहिए तथा एकान्त में अपने आराध्य देवी-देवता का स्मरण करना चाहिए. बालक व वृद्ध एवं रोगी यथासमय पथ्य एवं दवा आदि ग्रहण कर सकते हैं. भोजन, दूध व जल की शुचिता के लिए उसमें तुलसी के पत्ते या कुश रखना चाहिए. यथासम्भव अपने आराध्य देवी-देवता को स्मरण करके उनके मन्त्र का जप करना चाहिए. ग्रहण मोक्ष के पश्चात् स्नानोपरान्त देव-दर्शन करके यथासामथ्र्य दान करना चाहिए.
राजनीति में विशेष हलचल, शेयर, धातु बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा
स्कन्दपुराण के अनुसार ग्रहण के दिन परअन्न (दूसरे का अन्नजल) आदि ग्रहण नहीं करना चाहिए. ऐसा करने पर विगत बारहवर्षों तक किया हुआ जप-तप से प्राप्त पुण्य नष्टï हो जाता है. ग्रहण के दिन भूमि-खनन भी नहीं करना चाहिए. इस बार यह चन्द्रग्रहण, मंगलवार, भरणी नक्षत्र, व्यतीपात योग के फलस्वरूप चन्द्रग्रहण का प्रभाव विश्वपटल पर विषम परिस्थितियों का सामना जनमानस को करना पडग़ा. जिसके फलस्वरूप विश्व के अनेक राष्ट्र प्रभावित होंगे. राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में विशेष हलचल, शेयर, वायदा व धातु बाजार में घटा-बढ़ी के साथ उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा. प्राकृतिक दैविक आपदाएँ, जल-थल वायुजनित दुर्घटनाओं का प्रकोप तथा कहीं-कहीं पर ज्वालामुखी और भूकम्प की आशंका रहेगी. कई देशों में सत्ता परिवर्तन व पक्ष-विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप बढ़ेंगे. मौसम में भी अजीबो-गरीब परिवर्तन होगा. दैविक आपदाएँ भी प्रभावी रहेंगी. आॢथक व राजनैतिक घोटाले भी शासक-प्रशासक पक्ष के लिए सिरदर्द बनेंगे. जिन जातकों को शनिग्रह की अढ़ैया अथवा साढ़ेसाती या जन्मकुण्डली के अनुसार ग्रहों की महादशा, अन्तर्दशा या प्रत्यन्तर्दशा प्रतिकूल हो तथा चन्द्रग्रह के साथ राहु या केतु हों, उन्हें ग्रहणकाल में विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए. साथ ही चन्द्रग्रह से सम्बन्धित मन्त्र का मानसिक जप तथा अपने इष्टï देवी-देवता की आराधना करें.
द्वादश राशियों पर पडऩे वाला प्रभाव:
मेष—निराशा की स्थिति. क्रोध की अधिकता. शारीरिक कष्ट.
वृषभ—विचारित कार्यों में विलम्ब. धनहानि. नेत्र विकार.
मिथुन—नवसम्पर्क लाभदायक. धनागम. शत्रु परास्त.
कर्क—आरोग्य सुख में कमी. पारिवारिक चिन्ता. शत्रुओं से भय.
ङ्क्षसह—धनागम का सुअसवर. नवसम्पर्क लाभदायक. आरोग्य सुख.
कन्या—प्रतिकूलता की स्थिति. आरोग्य सुख में कमी. दुर्घटना की आशंका.
तुला—पारिवारिक मतभेद. व्यावसायिक पक्ष से चिन्ता. विरोधियों का वर्चस्व.
वृश्चिक—कार्यों में विलम्ब. धनागम में बाधा. विश्वासघात की आशंका.
धनु—लाभ में कमी. विरोधियों का वर्चस्व. जोखिम से नुकसान.
मकर—लाभ का मार्ग प्रशस्त. नवयोजना साकार. यात्रा से लाभ.
कुम्भ—व्यावसायिक प्रगति. सन्तान सुख. पराक्रम से कार्यसिद्धि.
मीन—व्यक्तिगत परेशानी. धनहानि. नेत्र विकार. पारिवारिक अशान्ति.
राशि के अनुसार दान करना लाभकारी
मेष—लाल वस्त्र, लाल चंदन, गेहूं, गुड़, तांबा, मूंगा, मसूर, घी, कस्तूरी, लाल फूल आदि.
वृषभ—सफेद फूल, सफेद चंदन, चावल, चांदी, घी, सफेद वस्त्र, मिश्री, दूध, सुगंध, दही आदि.
मिथुन—मूंग, कस्तूरी, कांसा, हरा वस्त्र, मूंगा, खांड, घी, सबफूल, हाथीदांत, कपूर, फल आदि.
कर्क—सफेद फूल, सफेद वस्त्र, चावल, चीनी, चांदी, मोती, दही, शंख, कपूर, सफेद चंदन, मिश्री आदि.
सिंह—लाल फूल, लाल वस्त्र, माणिक्य, केशर, तांबा, घी, गेहूँ, गुड़, लाल चंदन, सोना, लाल मूंगा आदि.
कन्या—हरा फूल, कस्तूरी, कांसा, मूंग, हरा वस्त्र, पन्ना, घी, हाथी दांत, कपूर, हराफल, मूंगा, खांड आदि.
तुला—सुगंध, सफेद चंदन, सफेद फूल, चावल, चांदी, घी, सफेद वस्त्र, मिश्री, दूध, दही.
वृश्चिक—गेहूँ, गुड़, तांबा, मूंगा, लाल फूल, लाल वस्त्र, लाल चंदन, मसूर, घी, कस्तूरी आदि.
धनु—पीला वस्त्र, चने की दाल, हल्दी, पीला फल, पीला फूल, कांसा, पुखराज, खांड, पुस्तक, देशी घी आदि.
मकर—उड़द, काला तिल, तेल, काले वस्त्र, लोहा, कस्तूरी, कुलथी, काली खड़ाऊं, नीलम आदि.
कुंभ—काले वस्त्र, काला तिल, काला उड़द, तिल का तेल, लोहा, काला छाता, कस्तूरी, नीलम आदि.
मीन—चने की दाल, पीला वस्त्र, हल्दी, पीला फूल, पीला फल, सोना, खांड, पुस्तक, पुखराज, देशी घी आदि.
ज्योर्तिविद् विमल जैन
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