- हमेशा लोयोला स्कूल की प्राथमिकता रहेगी नैतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा : फादर पायस
उदित वाणी जमशेदपुर : फादर पायस फर्नानंडिस, प्रिंसिपल: 9 जुलाई 1992 से 31 जुलई 2002 व 13 जुलाई 2017 से अबतक
जमशेदपुर: लोयोला स्कूल बिष्टूपुर की कमान संभाल रहे प्रिंसिपल फादर पायस फर्नांडिस का स्कूल से हमेशा से खास रिश्ता रहा है। स्कूल के 50 साल पूरे होने पर भी फादर पायस इसी स्कूल में थे और अब दब 75वें वर्ष का जश्न मनाया जा रहा है तो भी फादर पायस के नेतृत्व में इस अवसर को भव्य बनाया जा रहा है। उन्होंने इस स्कूल को सींचने में अहम योगदान दिया है और आज भी इस मुहिम में लगे हैं। स्कूल को स्तीयर शिक्षा के लिए ब्रांड बनाने के लिए उनके योगदान को हर कोई याद करता है। आईए आज हम उनसे ही जानते हैं कि लोयोला को इस मुकाम तक पुहंचने तक में उनकी आंखों ने जो अनुभव देखा और इस स्कूल कौ और ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए उनके जेहन में क्या योजनाएं हैं।
प्रश्न : आप अगले 25 साल के दौरान अपने सामने सबसे बड़ी चुनौती किसे मानते हैं?
उत्तर : सोशल मीडिया ने आज युवाओं पर जबरदस्त प्रभाव डाला है। मीडिया एक्सपोजर बहुत ज्यादा बढ़ा है। सबसे बड़ी चुनौती है डिजिटल नेटिव्स को संभालना। वह पीढ़ी जो तकनीक की गोद में पल रही है और उन्हें एक बेहतर नागरिक बनाना है। इसके लिए संयम और संसाधनों के उपयोग का संतुलन अहम है। इस संतुलन को बनाते हुए आधुनिकता की दौड़ में शामिल होते हुए बच्चों को बेहतर नागरिक बनाना चुनौती है।
प्रश्न : वाकई में सोशल मीडिया बड़ी चुनौती है, आप इस चुनौती को कैसे दूर करने का सुझाव देते हैं?
उत्तर: इसका उपाय बहुत सरल है तो बहुत कठिन भी। ऐसी स्थिति में विद्यार्थियों के व्यवहार को बदलने की कोशिश करना व्यर्थ है। शिक्षकों को नई पीढ़ी को अपनाने और समझने की जरूरत है। उन्हें अपना तरीका बदलने की जरूरत है। शिक्षकों के तौर तरीके पर बहुत कुछ निर्भर कररता है। शिक्षक आज की स्थितियों से खुद को कनेक्ट कर लेंगे तो बहुत आसानी से इस चुनौती का हम सामना कर लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।
प्रश्न : आने वाले वर्षों में आप स्कूली शिक्षा का क्या भविष्य देखते हैं?
उत्तर : प्रौद्योगिकी और वैश्वीकरण के साथ आज के जमाने के साथ शिक्षा प्रणाली में भी तेजी से बदलाव आ रहा है। भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और ध्वनि नियंत्रित उपकरण सीखने के प्रमुख स्तंभ साबित होने वाले हैं। दूसरी ओर नई शिक्षा नीति आने वाले दिनों में स्कूली शिक्षा को पूरी तरह बदल देगी। नई शिक्षा नीति में स्किल ओरिएंटेड कोर्स पर जोर दिया गया है। इस नीति के लागू होते ही स्कूलों को कौशल विकास को महत्व दिया जाएगा। इससे स्कूली शिक्षा के माहौल में व्यापक बदलाव होगा, जो सकारात्मक परिणाम लाने वाला होगा।
प्रश्न : आप लंबे समय से छात्रों से जुड़े रहे हैं, ऐेसे में वर्तमान समय में आप छात्रों में कैसा सामान्य बदलाव देख रहे हैं?
उत्तर : वर्तमान समय में छात्र डिजिटल दुनिया से आकर्षित हैं और पढऩे की आदत में भारी कमी आई है। इसके कारण ध्यान देने की अवधि कम हो गई है और जीवन और करियर के लक्ष्यों पर उनका ध्यान कम हो रहा है। यह बदलाव सामान्यत: दिख जाता है। पढऩे की आदत छूट रही है और डिजिटल डिवाइस में छात्र ज्यादा समय दे रहे हैं।
प्रश्न: कौन सी ऐसी चीज है जो आप चाहेंगे कि भविष्य में भी नहीं बदलनी चाहिए?
उत्तर : पिछले 75 वर्षों में लोयोला में नैतिक मूल्य आधारित शिक्षा में कोई बदलाव नहीं आया है। हमारी शिक्षा व्यवस्था की पूंजी यही है। हमारा जोर सिर्फ अपने छात्रों को बुद्धिजीवी बनाने तक सीमित नहीं, बल्कि हम अपने छात्रों को मूल्यों और नैतिकता की कसौटी पर कसकर एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में तैयार करते हैं। यह चीज अबतक लोयोला में न बदली है और नहीं यह आगे जाकर बदलेगी। यही हमारी पूंजी है।
2050 में एक शिक्षक की भूमिका क्या होगी?
उत्तर: भविष्य में भी शिक्षक अपने छात्रों के संरक्षक और परामर्शदाता बने रहेंगे। हालांकि भविष्य में पढ़ाने का तरीका बदलेगा और शिक्षकों को उसके अनुकूल ढलना होगा। उन्हें शिक्षण सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके प्रौद्योगिकी के साथ सामांजस्य बनाकर पढ़ाना होगा। भविष्य में शिक्षक कंटेंट विशेषज्ञ नहीं रहेंगे, लेकिन शिक्षकों की भूमिका एक पाठ्यचर्या निर्माता, प्रेरक और प्रशिक्षक के तौर पर अधिक जरूरी होगी। हमारे स्कूल में शिक्षक सलाहकार और मित्र की भूमिका निभाते रहेंगे।
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।