उदित वाणी, जमशेदपुर : किसी शिक्षण संस्थान की महत्ता इस कसौटी पर तय होती है कि वो अपने छात्र-छात्राओं में जीवन में कोई बड़ा मकसद हासिल करने का जज्बा कितना भरता है और भविष्य के नागरिकों को किस तरह गढ़ता है. इस कसौटी पर जमशेदपुर का लोयोला स्कूूल पूरी तरह खरा उतरता है. किंडरगार्टन से सेंटर ऑफ एजुकेशनल एक्सीलेंस तक के सफर में लोयोला स्कूूल ने आज जो मुकाम हासिल किया है, वो अपने आप में अनन्यतम है.देश के साथ इस वक्त लोयोला का भी अमृतकाल चल रहा है. इस स्कूल से पढक़र निकले छात्र आज केवल देश ही नहीं विदेशों में भी ऐसे पदों पर प्रतिष्ठित हैं जो उस देश को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. आईटी वल्र्ड, स्पेस, इनोवेशन, कारपोरेट सेक्टर, फाइनांशियल सेक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बायोटेक्नोलॉजी, मेडिकल वल्र्ड, स्टार्ट अप्स, टेक वल्र्ड,फिल्म वल्र्ड, म्यूजिक यानी जीवन से जुड़ा शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहां लोयोला के छात्रों ने अपना परचम नहीं लहराया हो. यों तो हर स्कूल में पढ़ाई होती है, लेकिन लोयोला स्कूल ऐसा कैम्पस है जहां छात्रों के ओवर ऑल डेवलपमेंट पर फैकल्टी का फोकस होता है. शायद यही कारण है कि लोयोला के एलुम्नाई आज जीवन के हर क्षेत्र में चर्चित हुए हैं. स्कूल में साल भर व्यक्तित्व विकास के प्रोत्साहन से जुड़े आयोजनों का तांता लगा रहता है जिससे छात्रों को अपनी शिक्षकेतर प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलता है. ऐसे आयोजनों में एनुअल स्पोटर््स, एनुअल इंटर स्कूल क्विज बैटल ऑफ दी माइन्स, इंटर जेज्वेट एलोक्यूशन, हिंदी एलोक्यूशन के अलावा रैपसोडी, एजिओनरे जैसे चर्चित आयोजन सालों से होते आ रहे हैं.
गौरवशाली इतिहास
लोयोला स्कूल काउंसिल ऑफ इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन बोर्ड (सीआईसीएसई) के तहत 10+ 2 प्रारूप में संचालित एक हाई स्कूल है. इसे 1947 में स्थापित किया गया था और कैथोलिक चर्च के यीशु की सोसाइटी के जेसुइट्स द्वारा प्रबंधित किया जाता है. स्कूल में केजी से लेकर कक्षा 12 तक के लगभग 3200 छात्र हैं. लोयोला स्कूल, कैथोलिक चर्च के एक धार्मिक आदेश, फादर्स ऑफ द सोसाइटी ऑफ जीसस (जेसुइट्स) द्वारा संचालित है और सेंट जॉन द्वारा स्थापित किया गया है. सेंट इग्नासियस लोयोला के नाम पर जेसुइट्स ने कई स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना की जिसमें हर सामाजिक स्थिति, समुदाय और भाषाई समूह के युवा पुरुषों और महिलाओं को अंग्रेजी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के माध्यम से शिक्षित किया जाता है. ये संस्थान देश के शैक्षिक उपक्रमों में हिस्सा लेने के कैथोलिक चर्च के प्रयासों का एक हिस्सा है. स्कूल का स्वामित्व और संचालन लोयोला जमशेदपुर द्वारा किया जाता है, जो एक पंजीकृत सोसायटी है जो स्कूल के शासी निकाय का भी गठन करती है. स्कूल के दिन-प्रतिदिन के संचालन की जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन में निहित है. लोयोला को कोई सरकारी या निजी सहायता नहीं मिलती है, और फीस ही इसकी एकमात्र आय है. इसलिए, बढ़ती लागत और वेतन को बनाए रखने के लिए समय-समय पर फीस को समायोजित करना पड़ता है. कैथोलिक स्कूल के रूप में, लोयोला ने अपनी प्रेरणा और मार्गदर्शन, यीशु मसीह के जीवन और शिक्षाओं के लिए किया है. साप्ताहिक धर्म कक्षाओं के माध्यम से कैथोलिक छात्रों के विश्वास निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जाता है, जब इसे मनाया जाता है, तो मास में भाग लेने का विकल्प, स्मरण और वार्षिक वापसी.
महज 34 छात्रों से हुुई थी शुरूआत
स्कूल की शुरूआत 1947 में महज 34 छात्रों के साथ हुई थी. इसमें चौथी और पांचवीं कक्षा की पढ़ाई होती थी और कक्षाएं पुुराने ऑडिटोरियम में ली जाती थीं. अमेरिका से आए फादर 43, सीएच एरिया में रहते थे. 1947 में शुरूआत के बाद हर साल दो कक्षाएं एक ऊपर और एक नीचे जोड़ी गई. मसलन 1948 में तीसरी कक्षा और छठी कक्षा जोड़ी गई. एक्स्ट्रा क्लासेज के लिए नए रूम बनवाए गए. कक्षाओं के बढऩे के बाद नई बिल्डिंग की जरूरत महसूस हुुई जो तब के टेनिस कोर्ट पर बनाया गया जो आज भी लोयोला स्कूल की मेन बिल्डिंग है. काल क्रम में कई नए भवन, ऑडिटोरियम, खेल कूद की सुविधाएं, लैब, ऑडियो विजुुअल रूम आदि बनाए गए. स्कूूल में शुरू से ही अनुशासन का माहौल रहा है. अनुुशासन तोडऩेवालों को शनिवार को स्कूूल में बुलाया जाता था. सजा के तौर पर उन्हें अनिवार्य मार्च पास्ट कराया जाता था. इसके अलावा पनिशमेंट ऑफ दी वीक होता था जिसे जग कहा जाता था. बाकी छात्र शनिवार को फिल्म देखने जाते थे. उस दौर में स्कूूल ड्रेस में खाकी का शाटर््स और खाकी शर्ट होता था. फादर एंडरसन बैकवेल ने लोयोला स्काउट ट्रूप बनाया जो घाटशिला, डिमना, चांडिल और रीवर्स मीट के ट्रिप पर जाता था. उसी दौर में स्कूूल का अपना बैंड भी बना था जिसमें सेक्साफोन, कॉर्नेट, ट्रम्पेट आदि थे. समय के साथ स्कूूल भी प्रगति पथ पर आगे बढ़ता गया और एक नया लोयोला सामने आया. 1975 में सीनियर कैम्ब्रिज आईएससी में बदल गया.लोयोला में आईसीएसई की शुरूआत हुुई. 1984 में लोयोला स्कूल में प्लस टू की पढ़ाई शुरू की गई जो अगले साल को एड हो गया. बैंड का नाम बदलकर डीबीसी (डम्ब एंड बगल कॉप्र्स) हो गया और स्काउट्स जारी रहा. स्कूूल का यूनिफॉर्म बदल गया. साल दर साल छात्रों की संख्या में इजाफा होता गया. छात्रों के लिए स्टूडेंट काउंसिल और सीनियर काउंसिल में छात्रों को अपना प्रतिनिधित्व मिला. विषय पर आधारित क्लब बनाए गए जिसका फायदा छात्रों को हुआ. स्कूूल में लैब्स और समृद्ध लाइब्रेरी है जिसका फायदा छात्रों को मिलता है.
लोयोला की विकास यात्रा
1945 : वर्ष 1945 में टाटा का स्टील प्लांट 37 साल पुराना हो चुका था. स्टील प्लांट के आसपास छोटी बस्ती विकसित होने लगी थी. यहां छोटानागपुर (सीएनआर) क्लब स्थापित किया गया था. इसका एक मुख्य भवन और एक बड़ा परिसर था जिसमें दो टेनिस कोर्ट बनाए गए. इसमें सदस्य ज्यादातर ब्रिटिश थे.
1947 : भारत को आजादी मिली. अंग्रेज भारत छोडक़र अपने वतन लौटने लगे. जमशेदपुर में बसे लोग भी शहर खाली कर जाने लगे. इसके बाद सीएनआर क्लब निष्क्रिय पडऩे लगा. यहीं लोयोला स्कूल के जन्म की पृष्ठभूमि तैयार होने लगती है. एक महान संस्था की स्थापना होती है.
1948 : टाटा स्टील ने अमेरिका के मैरीलैंड के जेसुुइट्स फादर्स को लोयोला स्कूल का प्रबंध संभालने के लिए जमशेदपुर आने का आग्रह किया. रेक्टर सुुपीरियर फादर कैरोल आई फैजी के नेतृत्व में पांच अमेरिकन फादर जमशेदपुर आए. उन्हें सीएनआर क्लब सौंप दिया गया और स्कूल की स्थापना होने लगी. स्कूूल की चहारदीवारी आज भी सीएनआर क्लब की ही चहारदीवारी है. इसी साल स्कूल का फस्र्ट स्पोट्र्स डे सीएनआर ग्राउंड में आयोजित किया गया जो क्रम आज भी जारी है. तब स्पोट्र्स डे पर छात्र हाउसों में नहीं बंटे होते थे. केवल जूनियर और सीनियर डिवीजन हुआ करता था. हर छात्र अधिकतम पांच स्पर्धाओं में भाग ले सकता था. केवल दो ही पुुरस्कार दिए जाते थे. पहले स्पोट्र्स डे पर सीनियर्स का पुरस्कार वेई टुुकूूर को और जूनियर्स का रिकी वॉज को दिया गया जो बाद में 80 के दशक में स्कूल के प्रिंसिपल बने. पुरस्कार वितरण फादर फैजी ने किया था. मैदान पर कोई दर्शक नहीं था.
1952 : लोयोला स्कूूल से पहला छात्र ग्रेजुएट हुुआ. यह छात्र था श्रीनिवासन थिमोटी. उस साल ग्रेजुएट होने वाला वो इकलौता छात्र था.
1953 : फादर हेस स्कूल के प्रिंसिपल बने. उन्होंने स्कूल में कई प्रशासनिक बदलाव किए. उनके कार्यकाल में ही शिक्षकों के लिए क्वार्टर्स का निर्माण किया गया.
1974 : फादर एंडरसन बैकवेल ने स्कूूल में लोयोला स्काउट ट्रूप का गठन किया.
1975 : स्कूल को आईसीएसई से संबद्धता मिली.
1984 : स्कूूल में प्लस टू सेक्शन की पढ़ाई शुरू हुई.साथ में कोएजुकेशन की शुरूआत
1997 : स्कूूल ने अपनी स्थापना के 50 गौरवशाली साल (गोल्डन जुबिली) पूरे किए. इसके साथ ही स्कूल में एलुम्नाई का इतना व्यापक नेटवर्क तैयार हो चुका था जितना शहर के किसी दूसरे स्कूल के पास नहीं है. आज भी यह स्थिति बरकरार है.
2001 : स्कूल में लड़कियों का दाखिला शुुरू हुआ (10वीं कक्षा तक पहले केवल लडक़े ही पढ़ते थे, प्लस टू में जरूर को एड था). इस तरह से स्कूल पूरी तरह से कोएड बन गया.
2014 : शहर के सबसे बड़े ऑडिटोरियम (फैजी) की शुरूआत. झारखंड में किसी स्कूल के पास इतना बड़ा ऑडिटोरियम (1500 से अधिक सीटिंग कैपेसिटी) नहीं है.
2018 : लोयोला की शिक्षक तथा रजिस्ट्रार जयंती शेषाद्रि को राष्ट्रपति का शिक्षक पुुरस्कार दिया गया. इसी साल दिसंबर में स्कूल के छात्रों ने ‘काबुलीवाला’ नामक चर्चित नाटिका का मंचन किया.
2022 : प्लैटिनम जुुबिली समारोहों के तहत कई बड़े आयोजन.
कुछ राष्ट्रीय स्तर की उपलब्धियां
1. फादर पायस फर्नांडीस – शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार 2007
2. जयंती शेषाद्रि – शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार 2017
3. आयुष बनर्जी – आईएससी 2014 ऑल इंडिया टॉपर
4. प्रह्लाद नायर – 2021 में एएसआईएससी राष्ट्रीय प्रश्नोत्तरी जीती
5. प्रेम अंश सिन्हा ने प्लस टू श्रेणी के लिए एक ही प्रश्नोत्तरी में प्रथम उपविजेता का स्थान हासिल किया.
6. मुस्कान मस्कराक – 2017 की आईएससी टॉपर
एएसआईएससी राष्ट्रीय वाद-विवाद विजेता 2016
- अल्बर्ट बैरो ऑल इंडिया क्रिएटिव राइटिंग सेकेंड रनर अप – 2014
- फ्रैंक एंथोनी नेशनल डिबेट – 2 बार फस्र्ट रनर अप-2016, 2015
- ग्रेकैप्स लीडरशिप चैलेंज विजेता -2015
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