the_ad id="18180"]
उदित वाणी, जमशेदपुर: कोल्हान विश्वविद्यालय के टीआरएल विभाग एवं अन्य अंगीभूत कॉलेजों में स्नातक व स्नातकोत्तर में लगभग 600 से अधिक विद्यार्थी वर्तमान सत्र में जनजातीय क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई कर रहे हैं और केयू की स्थापना से अबतक 10 हजार से अधिक विद्यार्थी संताली जैसी भाषा की पढ़ाई कर पासआउट हो चुके हैं।
ये सभी विद्यार्थी इस इंतजार में बैठे हैं कि उन्हें कोल्हान विवि से अपनी भाषा में शोध करने का अवसर मिलेगा, लेकिन आठ साल बाद होने जा रही तीसरी पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में उपलब्ध कराए गए कुल 19 विषयों में से एक भी विषय क्षेत्रीय भाषा का नहीं है। इसे लेकर छात्र संगठन मोर्चा खोले हुए हैं।
अब जब कोल्हान विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा विभाग के लगभग 21 छात्रों ने नेट और 1 छात्र ने जेआरएफ के साथ नेट क्वालीफाई किया है तो कोल्हान विश्विद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. गंगाधर पांडा ने राष्ट्रीय स्तर के इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता परीक्षा में उम्दा प्रदर्शन करने के लिए सभी छात्रों को बधाई देते हुए कहा है कि इसका श्रेय छात्रों और विभाग के ऊर्जावान शिक्षकों के अथक प्रयास को जाता है।
साथ ही उन्होंने कहा कि इस परिणाम से उत्साहित होकर विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा विभाग और जेपीएससी से अनुरोध करेगा कि यथाशीघ्र इस विभागों के शिक्षकों की नियुक्ति की जाये। जिससे इन प्रतिभावान छात्रों को यूजीसी मानक के अनुसार गुणवत्तापूर्ण शोध कराया जा सके।
कुलपति बोले- समस्या का समाधान निकाला जाएगा
उल्लेखनीय है कि कुलपति के अथक प्रयास से विगत एक वर्ष में केयू को लगभग सौ नए पूर्णकालिक शिक्षकों की नियुक्ति जेपीएससी से हुई है। साथ ही 10 नवंबर को यूनिवर्सिटी रिसर्च कौंसिल की बैठक में, विभाग के पीएचडी कोर्स वर्क कर चुके छात्रों को यूजीसी मानक के अनुसार शोध कराने से संबंधित सभी समस्याओं का समाधान निकला जायेगा। कुलपति ने सभी छात्रों और शिक्षकों को अनवरत और कठिन प्रयास कर राष्ट्रिय स्तर पर कोल्हान विश्वविद्यालय का नाम रौशन करने कि प्रेरणा दी।
हालांकि अबतक शिक्षक उपलब्ध नहीं होने से कोल्हान विश्वविद्यालय में क्षेत्रीय भाषाओं में पीएचडी करने के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे विद्यार्थियों को इस बार भी निराशा हाथ लगी है। संताली, हो, कुड़माली जैसी भाषा की बहुलता के बावजूद आठ साल बाद होने जा रहे पीएचडी दाखिले में इन विषयों का एक भी सीट विश्वविद्यालय उपलब्ध नहीं करा पाया। ऐसा इसलिए, क्योंकि विश्वविद्यालय में अबतक क्षेत्रीय भाषा के एक भी स्थायी शिक्षक की नियुक्ति नहीं हो सकी है।
छात्र संगठनों ने जाहिर किया है आक्रोश
जनजातीय छात्र संगठनों ने विश्वविद्यालय के इस रवैये पर आक्रोश व्यक्त किया है। उनका कहना है कि कोल्हान विश्वविद्यालय की स्थापना ही इस परिकल्पना को साकार रूप देने के लिए किया गया था कि यहां संताली, हो व कुड़माली जैसी क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई को बढ़ावा दिया जाएगा, लेकिन बार-बार मांग रखने के बावजूद अबतक एक भी क्षेत्रीय भाषा के शिक्षक की नियुक्ति विवि में नहीं की गई। कोल्हान विश्वविद्यालय में इन भाषाओं के कुल 159 शिक्षकों के पद सृजन के प्रस्ताव को मंजूरी मिले एक साल से अधिक समय हो गया है, लेकिन फाइल अब भी दबी है। स्थायी शिक्षक नहीं होने के कारण कोल्हान विश्वविद्यालय में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा पर शोध कार्य नहीं हो पाएगा। कोल्हान विश्वविद्यालय के कॉलेज व विश्वविद्यालय के जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा (टीआरएल) विभाग में गेस्ट शिक्षकों के भरोसे ही पढ़ाई हो रही है। अव्वल यह कि जब विद्यार्थी क्षेत्रीय भाषाओं में पीएचडी नहीं कर पाएंगे तो आने वाले दिनों में होने वाली शिक्षक नियुक्ति में उन्हें कठिनाई भी होगी।
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।
Advertisement
<