उदितवाणी, जमशेदपुर: शहर में ऐसी कई सुविधाएं हैं, जिसे शहरवासी नहीं जानते. टाटा स्टील की ओर से नॉर्दन टाउन (सिक्यूरिटी ट्रेनिंग सेंटर के सामने) में चलाए जाने वाले सेंटर फॉर हियरिंग इम्पेयर्ड चिल्ड्रेन (चिक) के बारे में भी कम लोगों को जानकारी है.
यहां तक कि मीडिया भी इससे अंजान है. टाटा स्टील की ओर से जब मंगलवार को इस सेंटर का विजिट कराया गया, तो इस सेंटर के बारे में जानकारी मिली. शहर के हजारों बच्चे इसलिए ठीक तरह से पढ़ाई नहीं कर पाते या ड्रॉप आउट हो जाते हैं क्योंकि उनमें हियरिंग डिफिशिएंसी होती है.
अगर इन्हें सही समय पर ऐसे केन्द्र में लाया जाय तो न केवल वे सामान्य बच्चों की तरह पढ़ाई कर पाएंगे बल्कि उनकी श्रवण क्षमता में भी सुधार हो सकता है.
इस केन्द्र की सचिव रंजीता राव और डॉक्टर बिनायक बरूआ ने बताया कि ऐसी बीमारी के बारे में लोगों में जागरूकता की कमी है. सबसे अच्छी बात यह है कि टाटा स्टील की ओर से चलाए जा रहे इस केन्द्र में सारी सुविधाएं तो है ही इसके लिए एक पैसा चार्ज नहीं किया जाता. 1990 से चल रहे इस केन्द्र में हर साल 30 के करीब बच्चों का इलाज होता है.
लेकिन केन्द्र की कोशिश है कि इसके बारे में लोगों में ज्यादा जागरूकता हो, ताकि ऐसे बच्चों के इलाज के लिए वे केन्द्र में ला सके. उन्होंने बताया कि इस केन्द्र में ऑडिटरी वर्बल थिरेपी से लेकर ऐसी बीमारियों की जांच और पहचान के लिए स्टॉफ, डॉक्टर और इंफ्रास्ट्रक्चर भी हैं.
चार साल के पहले दिखाने से ठीक होगी बीमारी
डॉ.विनायक बरूआ ने कहा कि ऐसे बच्चों को चार साल के पहले दिखाने से इलाज ठीक तरीके से होता है. दो साल से लेकर चार साल की अवधि गोल्डेन पीरियड होती है. उन्होंने बताया कि पांच साल के बाद लाने से रिजल्ट उम्मीद के अनुरूप नहीं होता क्योंकि मस्तिष्क का वह भाग जो सुनने का काम करता है, ठीक तरीके से विकसित नहीं हो पाता.
प्री मेच्योर्ड बच्चों में यह बीमारी ज्यादा
डॉ.विनायक बरूआ ने बताया कि कई देशों में बच्चों की स्क्रीनिंग शुरू में ही कर ली जाती है ताकि ऐसी डिसेबिलिटी या डिफिशिएंसी का पता चल सके. जिन बच्चों का समय से पहले जन्म होता है या जन्म होने के बाद जॉन्डिंस सरीखी बीमारी होती है, उनमें यह ज्यादा होता है. कई बार यह आनुवंशिक भी होता है. ऐसे में सेंटर में आने वाले बच्चों का हम पूरी हिस्ट्री जानकर आगे का इलाज करते हैं.
13 दिसंबर को होगा जागरूकता कैंप
केन्द्र की सचिव रंजीता राव ने बताया कि आगामी 13 दिसंबर को हम जागरूकता शिविर आयोजित करने जा रहे हैं ताकि शहरवासियों को इस केन्द्र के बारे में जानकारी मिल सके. सुबह 10 बजे से 2 बजे के बीच होने वाले इस कैंप में बच्चों में हियरिंग लॉस के प्रबंधन के बारे में बताया जाएगा, इसके बाद 5 साल तक के बच्चों का फ्री हियरिंग टेस्ट होगा.
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