उदित वाणी, जमशेदपुर: जमशेदपुर अक्षेस (JNAC) को साकची और बिष्टुपुर बाजार क्षेत्रों में पार्किंग स्थल के ठेकेदार नहीं मिल रहे हैं. 19 दिसंबर को इन पार्किंग स्थलों की बंदोबस्ती के लिए टेंडर निकाला गया था, लेकिन 28 दिसंबर तक किसी भी ठेकेदार ने टेंडर फॉर्म नहीं लिया. इस स्थिति के कारण, सोमवार को पार्किंग स्थलों की बंदोबस्ती के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकेगी.
एक साल से ठेकेदार की तलाश जारी
पिछले एक साल से साकची और बिष्टुपुर के छह पार्किंग स्थलों पर पार्किंग शुल्क की वसूली विभागीय स्तर पर कागजों पर हो रही है, जबकि अधिकांश स्थानों पर पूर्व ठेकेदार ही वसूली कर रहे हैं. कर्मचारियों से पूछे जाने पर यह खुलासा हुआ कि वे वसूली की रकम पूर्व ठेकेदारों को जमा करते हैं. इस स्थिति ने विभागीय कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर दिया है.
क्या यह किसी योजना का हिस्सा है?
जेएनएसी द्वारा पार्किंग ठेकेदारों के लिए टेंडर निकाले जाने के बाद भी कोई ठेकेदार सामने नहीं आया है, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह किसी योजनाबद्ध तरीके से हो रहा है. आमतौर पर जब भी कोई टेंडर निकाला जाता है, तो ठेकेदारों में काम हासिल करने की होड़ लग जाती है, लेकिन पार्किंग ठेके के टेंडर में ठेकेदारों का बिल्कुल भी रुचि नहीं दिखना एक असामान्य स्थिति है. इससे पहले, कई ठेकेदारों ने ऊंची बोली लगाकर पार्किंग टेंडर हासिल किया था, लेकिन कुछ महीने बाद ही उन्होंने अपना हाथ पीछे खींच लिया. इसके बाद, विभागीय स्तर पर इन ठेकेदारों ने पार्किंग शुल्क वसूलना शुरू किया.
कागजों पर पार्किंग शुल्क वसूली
अभी के समय में, विभागीय स्तर पर कागजों पर ही पार्किंग शुल्क वसूला जा रहा है, जबकि असल में पार्किंग शुल्क वसूलने का कार्य पूर्व ठेकेदार कर रहे हैं. इससे यह सवाल उठता है कि क्या यह स्थिति किसी तरह की साजिश का हिस्सा है या फिर ठेकेदारों के बीच कोई सिंडिकेट काम कर रहा है.
न्यूनतम बोली की वसूली में कमी
जमशेदपुर अक्षेस ने पार्किंग स्थलों की बंदोबस्ती के लिए जो राशि तय की थी, उससे कम वसूली हो रही है. 19 दिसंबर को बिष्टुपुर क्षेत्र के विभिन्न पार्किंग स्थलों की बंदोबस्ती के लिए निर्धारित राशि 89 लाख 50 हजार रुपये से लेकर 16 लाख 30 हजार रुपये तक थी. वहीं, निविदा फॉर्म की कीमत पांच से दस हजार रुपये रखी गई थी.
क्या अब ठेकेदारों के लिए जुगाड़ का समय आ गया है?
पार्किंग टेंडर नहीं निकलने के कारण अब विभागीय स्तर पर पार्किंग शुल्क की वसूली के लिए ठेकेदारों द्वारा जुगाड़ लगाए जाने की संभावना है. इस स्थिति ने स्थानीय व्यापारियों और आम जनता में असंतोष पैदा कर दिया है.
संभावनाएं और सवाल
यह स्थिति न केवल प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण है, बल्कि शहर के नागरिकों और व्यवसायों के लिए भी कई सवाल खड़े करती है. क्या यह समस्या जल्द सुलझेगी या फिर यह कोई सुनियोजित प्रयास है? आने वाले समय में इस मामले में और क्या पहल होती है, यह देखना दिलचस्प होगा.
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