उदित वाणी, जमशेदपुर: झारखंड में सबकी निगाहें आज शनिवार को विधानसभा चुनाव की 81 सीटों के परिणामों पर रहेंगी. सबकी उत्सुकता इस बात को लेकर रहेगी कि किस सीट का सबसे पहले रुझान आएगा और फिर कब तक किस सीट का रिजल्ट आएगा. मतगणना सुबह 8 बजे प्रारंभ होगी. सभी 24 जिलों में मतगणना होगी.
कैसे होती है काउंटिंग
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ( ईवीएम) से मतगणना के कई चक्र होते हैं. उससे भी पहले बैलेट पेपर की गिनती होती है. हर राउंड के बाद सभी उम्मीदवारों को मिले वोटों की घोषणा की जाती है.
निर्वाचन क्षेत्र के आरओ के अधीन काउंटिंग
जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 64 के मुताबिक, मतगणना उस निर्वाचन क्षेत्र के रिटर्निंग अफसर (आरओ) या उनकी निगरानी में होती है. रिटर्निंग अफसर सामान्यतया जिला उपायुक्त ही होते हैं. जिले में अन्य सरकारी अफसर भी ये जिम्मेदारी संभालते हैं.
क्या होता है स्ट्रॉन्ग रूम
चुनाव होने के बाद सभी विधानसभा क्षेत्रों के मतदान केंद्रों से ईवीएम को जिला मुख्यालयों पर बनाए गए स्ट्रॉन्ग रूम में रख दिया जाता है. यहां सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था रहती है. ईवीएम को स्ट्रॉन्ग रूम से मतगणना के दिन ही निकाला जाता है.
मतगणना के दिन खुलता है स्ट्रांग रूम
मतगणना के दिन ईवीएम को स्ट्रॉन्ग रूम से निकाला जाता है. इन मशीनों को उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों के सामने खोला जाता है. इसके बाद मतगणना कर्मचारी वोटों की गिनती करते हैं.
काउंटिंग हॉल में मतगणना
वोटों की गिनती बड़े काउंटिंग हॉल में होती है. ईवीएम के लिए अलग-अलग टेबल होता है. मतगणना कर्मचारी बारी-बारी से ईवीएम को खोलते हैं और उसमें से वोटों की गिनती करते हैं. सीसीटीवी से इसकी निगरानी होती है. हर प्रत्याशी के एजेंट के सामने ईवीएम की सील खोली जाती है. काउंटिंग हॉल में एजेंट मतगणना की पूरी प्रक्रिया पर नजर रखता है.
मतगणना एजेंट भी निगरानी
मतगणना कर्मचारियों की निष्पक्षता के लिए तीन स्तरीय रैंडम प्रक्रिया होती है. मतगणना के दौरान सभी दलों के मतगणना एजेंट और इलेक्शन एजेंट काउंटिंग हॉल में मौजूद रहते हैं. मतगणना टेबल और मतगणना एजेंटों के बीच दूरी बनाकर रखी जाती है ताकि कोई भी एजेंट ईवीएम को छू न सके या मतगणना में कोई गड़बड़ी पैदा न कर सके.
एक सेंटर में होते हैं इतने एजेंट
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर दी गई जानकारी की मानें, तो मतगणना स्थल के प्रत्येक हॉल में हर टेबल पर उम्मीदवारों की तरफ से एक एजेंट मौजूद रहता है. किसी एक हॉल में 15 से ज्यादा एजेंट नहीं हो सकते हैं. बता दें कि हर एक उम्मीदवार अपने एजेंट का चयन खुद करता है और जिला निर्वाचन अधिकारी को उनका नाम, तस्वीर, समेत अन्य जानकारी शेयर करता है.
काउंटिंग सेंटर के अंदर के नियम
मतगणना हॉल के अंदर के नियमों की बात करें, तो इसके अंदर मतगणना कर्मचारी, रिटर्निंग ऑफिसर, सुरक्षा कर्मी और एजेंट ही जा सकते हैं. साथ ही, जब तक वोटों की गिनती पूरी नहीं हो जाती, तब तक किसी भी उम्मीदवार के एजेंट को बाहर जाने की इजाजत नहीं होती है . सेंटर के अंदर सुरक्षा कर्मियों और अधिकारियों के अलावा किसी अन्य को मोबाइल, टैब आदि ले जाने की इजाजत नहीं रहती है.
सबसे पहले पोस्टल बैलेट
मतगणना में सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती की जाती है. इसके बाद ईवीएम के वोटों की गिनती की जाती है.
सेना, पुलिस और कुछ अन्य आवश्यक सेवाओं के कर्मियों को पोस्टल बैलेट चुनाव के दौरान दिया जाता है. अब 80 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग भी ऐसे वोट करते हैं.
मतगणना का एक राउंड
वोटों की गिनती के लिए ईवीएम मशीन को खोला जाता है. जैसे ही किसी एक क्षेत्र के 14 ईवीएम्स के वोटों की गिनती पूरी हो जाती है तो एक राउंड पूरी मानी जाती है. हर राउंड की गिनती के बाद परिणाम घोषित किए जाते है.
ये करते हैं परिणाम की घोषणा
मतगणना पूरी होने के बाद रिटर्निंग ऑफिसर हर उम्मीदवार को मिले वोट का डाटा रिजल्ट शीट में डालते हैं और उसके बाद रिजल्ट की घोषणा करते हैं. साथ-साथ विजेता उम्मीदवार को जीत का सर्टिफिकेट भी देते हैं.
इस परिस्थति में हो सकती है री-काउंटिंग
अगर किसी उम्मीदवार या सेंटर के अंदर मौजूद उसके किसी एजेंट को काउंटिंग डाटा में कोई गड़बड़ी या गलती महसूस होती है तो वह री-काउंटिंग, यानी दोबारा मतगणना की मांग कर सकता है. चुनाव आयोग के मुताबिक जब तक आधिकारिक तौर पर रिजल्ट की घोषणा नहीं हो जाती, तब तक कोई भी उम्मीदवार री-काउंटिंग की मांग कर सकता है.
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