- पैदल राहगीरों से लेकर वाहन चालकों तक को हो रही परेशानी
उदित वाणी, जमशेदपुर : साकची गोलचक्कर, जो शहर का एक महत्वपूर्ण और व्यस्तम चौराहा माना जाता है, इन दिनों लगातार यातायात जाम की समस्या से जूझ रहा है. खासकर सुबह और शाम के समय, जब यातायात अपने चरम पर होता है, तब यहां का नज़ारा एक मिनी बस स्टैंड जैसा बन जाता है. मुख्य वजह – ऑटो चालकों की मनमानी, जो बीच सड़क में ही सवारियों को चढ़ाने-उतारने का काम बेरोकटोक करते हैं.
शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को नियंत्रित करने में जुटी पुलिस की मौजूदगी के बावजूद, ऑटो चालकों पर कोई प्रभाव पड़ता नहीं दिख रहा. पुलिस कर्मी वहीं खड़े रहते हैं, लेकिन ऑटो चालकों के इस अव्यवस्थित रवैये पर न कोई कार्रवाई होती है, न ही कोई समझाइश.
हर दिन का बना है सिरदर्द
स्थानीय निवासियों और नियमित राहगीरों का कहना है कि यह स्थिति कोई एक दिन की नहीं, बल्कि रोजमर्रा की हो गई है. स्कूल-कॉलेज जाने वाले छात्र, ऑफिस जाने वाले कर्मचारी, अस्पताल के मरीज, बाजार करने निकले लोग—सभी इस अव्यवस्था से प्रभावित हैं.
सुबह 8 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे और शाम 4 बजे से रात 8 बजे तक साकची गोलचक्कर पर पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है. ऑटो चालक बगैर किसी चिन्ता के चौराहे के बीचोंबीच ऑटो रोकते हैं, सवारी चढ़ाते-उतारते हैं और पीछे लगी गाड़ियों की कतारें लंबी होती जाती हैं. नतीजा – दोपहिया और चारपहिया वाहन चालकों को न केवल ट्रैफिक जाम झेलना पड़ता है, बल्कि कभी-कभी आपसी झगड़े की नौबत भी आ जाती है.
ट्रैफिक पुलिस की मौन भूमिका पर उठ रहे सवाल
साकची गोलचक्कर पर ट्रैफिक पुलिस की स्थायी तैनाती है. दिन में कई बार चेकिंग अभियान भी चलता है जिसमें हेलमेट नहीं पहनने वाले बाइक चालकों, सीट बेल्ट नहीं लगाने वाले कार चालकों और गलत दिशा में आने वालों पर चालान काटे जाते हैं. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि ऑटो चालकों द्वारा बीच सड़क में सवारी उठाने जैसे गंभीर मामले पर न कोई सख्ती दिखाई जाती है और न ही कोई कार्रवाई की जाती है.
स्थानीय निवासी प्रमोद अग्रवाल कहते हैं, “हम हर दिन इस गोलचक्कर से गुजरते हैं और हर दिन यही समस्या होती है. पुलिस को देखते हुए भी ऑटो चालक मनमानी करते हैं, जिससे साफ होता है कि या तो उन्हें पुलिस का डर नहीं है या फिर उनकी मिलीभगत है.”
पैदल चलने वालों की बढ़ती परेशानी
सड़क पर बेतरतीब खड़े ऑटो और अन्य वाहनों के कारण पैदल चलने वालों को फुटपाथ न होने की वजह से सड़क पर ही चलना पड़ता है. ऐसे में तेज गति से आ रही गाड़ियाँ राहगीरों के लिए खतरा बन जाती हैं. खासकर बुज़ुर्गों, महिलाओं और बच्चों को इससे काफी कठिनाई होती है.
शांति देवी, जो हर रोज़ अपनी पोती को स्कूल छोड़ने साकची गोलचक्कर पार करती हैं, बताती हैं, “कई बार ऑटोवाले इतने करीब ऑटो रोकते हैं कि हमें बच्चों को लेकर जान बचाकर निकलना पड़ता है. अगर पुलिस चाहती तो इसे सुधार सकती है.”
यातायात जानकारों की राय
शहर के ट्रैफिक विशेषज्ञों का मानना है कि साकची गोलचक्कर पर ऑटो स्टैंड की कोई समुचित व्यवस्था नहीं की गई है. अगर ऑटो चालकों को एक नियत स्थान पर सवारी उठाने-उतारने की सुविधा दी जाए और उस स्थान पर सख्ती से पालन कराया जाए, तो यह समस्या काफी हद तक हल हो सकती है.
यातायात जानकर कहते हैं, “सड़क पर ही सवारी उठाने की प्रवृत्ति सिर्फ साकची में नहीं, बल्कि पूरे शहर में एक बड़ी समस्या है. लेकिन साकची गोलचक्कर इसकी सबसे बड़ी मिसाल बन चुका है. प्रशासन को चाहिए कि वहां अलग से ऑटो लेन, सख्त निगरानी और दंडात्मक कार्रवाई की व्यवस्था लागू करे.”
प्रशासनिक चुप्पी
यह जानना महत्वपूर्ण है कि इस गंभीर मुद्दे पर प्रशासनिक स्तर पर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. समय-समय पर चालकों को जागरूक करने की बात कही जाती है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई असर नजर नहीं आता.
जब ट्रैफिक डीएसपी से इस संबंध में पूछा गया, तो उन्होंने जवाब दिया, “हम साकची गोलचक्कर पर ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं. चालकों को कई बार समझाया गया है, लेकिन अब सख्त कार्रवाई की जाएगी.”
क्या कहते हैं ऑटो चालक?
ऑटो चालकों का कहना है कि उन्हें मजबूरी में ऐसा करना पड़ता है. सवारी खुद ही बीच सड़क पर रुकने को कहती है, और अगर वे नहीं रुकते, तो दूसरी ऑटो वाले सवारी ले जाते हैं.
ऑटो चालक राजू महतो कहते हैं, “हम भी नहीं चाहते कि जाम लगे, लेकिन अगर सवारी सड़क किनारे नहीं, बीच में ही खड़ी होती है, तो हमें वहीं रुकना पड़ता है. प्रशासन हमें कोई निश्चित ऑटो स्टैंड दे, तभी सुधार संभव है.”
समाधान क्या हो सकता है?
यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
1. साकची गोलचक्कर के पास अलग ऑटो स्टैंड का निर्माण.
2. ऑटो चालकों के लिए प्रशिक्षण और सख्त दिशा-निर्देश.
3. सीसीटीवी निगरानी और ऑटो चालकों की पहचान सुनिश्चित करना.
4. हर दिन ट्रैफिक वॉलंटियर तैनात कर यातायात का संचालन.
5. पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथ और ज़ेब्रा क्रॉसिंग का निर्माण.
साकची गोलचक्कर पर ऑटो चालकों की मनमानी और प्रशासन की निष्क्रियता से हर रोज हजारों लोग प्रभावित हो रहे हैं. यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह स्थिति और भी विकराल रूप धारण कर सकती है. यातायात नियमों का पालन केवल आम लोगों के लिए नहीं, बल्कि हर वाहन चालक के लिए अनिवार्य होना चाहिए. अब देखना यह है कि प्रशासन कब तक इस समस्या की अनदेखी करता है या फिर जल्द कोई निर्णायक कार्रवाई करता है.
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