उदित वाणी जमशेदपुर : उद्योग जगत की शीर्ष हस्तियों में शुमार व जमशेदपुर को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभानेवाले पद्म भूषण डॉ. जेजे इरानी मंगलवार को पंचतत्व में विलीन हो गए. उनके निधन से जमशेदपुर में हर कोई मर्माहत नजर आ रहा. उनके जुड़ाव रखनेवाले लोग खास तौर पर. ऐसे ही लोगों में एक हैं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यø रघुवर दास जिनका डॉ. इरानी से टाटा स्टील के एक सामान्य मजदूर के रूप में भी जुड़ाव रहा और एक जन प्रतिनिधि के रूप में भी. डॉ. इरानी के निधन पर उदित वाणी के साथ अपने कई संस्मरणों को याद करते हुए रघुवर कई बार भावुक नजर आए. प्रस्तुत है डॉ. इराना के बारे में रघुवर दास के उद्गार उन्हीं के शब्दों में.
उद्योग जगत के लिए माइल स्टोन
टिस्को (अब टाटा स्टील) के पूर्व प्रबंध निदेशक पद्मभूषण डॉ. जमशेद जे इरानी का जमशेदपुर की धरती से गहरा लगाव था. उन्होंने टाटा स्टील से सेवानिवृत होने के बाद भी जमशेदपुर में ही रहना उचित समझा. लौहनगरी की इसी धरती पर उन्होंने अंतिम सांस ली. मैं टाटा स्टील के पूर्व एमडी डॉ. इरानी के उद्योगहित, मजदूर हित और जनहित में किये गये कार्यों को सलाम करता हूं. उनकी कर्मनिष्ठा मुझे प्रभावित करती रही है और समझता हूं कि उद्योग जगत के लिए एक माइल स्टोन का कार्य करेगा.
होयेगा रघुबीर होयेगा
डॉ. इरानी ने टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक की हैसियत से जमशेदपुर वासियों के लिए जो किया उसे भुलाया नहीं जा सकता है। उनके इसी जन कल्याण की भावनाओं की वजह से मैं उन्हें पसंद करता था। उन्होंने जमशेदपुर के लोगों के लिए जो किया उसकी जितनी भी सराहना की जाय कम है। मैंने जब भी जमशेदपुर पूर्वी के विधायक की हैसियत से उनके समक्ष जमशेदपुर वासियों के हित में कोई प्रस्ताव रखा उन्होंने सहर्ष कहा- होयेगा रघुबीर होयेगा.
वे मुझे रघुबीर नाम से संबोधित करते थे. मैं जब 1995 में जमशेदपुर पूर्व क्षेत्र से विधायक चुना गया था तो जमशेदपुर के गैर कंपनी क्षेत्र में टिस्को (अब टाटा स्टील) पानी, बिजली एवं सडक़ आदि नागरिक सुविधायें नहीं देती थी. डॅा. इरानी के समक्ष मैंने गैर कंपनी क्षेत्र की 86 बस्तियों में नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने इसे चरणवद्ध लागू करने पर सहमति प्रदान की. अंतत: डॉ. इरानी के आदेश पर वर्ष 96-97 से टिस्को ने 86 बस्तियों में चरणबद्ध नागरिक सुविधाएं देना प्रारंभ किया गया। डॉ. इरानी के इस कदम की जितनी भी सराहना की जाये कम है. इसके पहले कभी किसी गैर कंपनी क्षेत्र की संस्था, व्यक्ति को बिजली, पानी का कनेक्शन या बस्तियों में सडक़, नाली की सुविधाएं नहीं उपलब्ध करायी गयी थी.
बस्तियों में बिजली-पानी-सडक़
उनके आदेश पर पहली बार साकची गुरुद्वारा बस्ती, काशीडीह बगान एरिया, शिव सिंह बगान एरिया, रामदेव बागान और पटेलनगर के निवासियों को बिजली, पानी के कनेक्शन दिये गये. इसी अवधि में पहली बार बागुन नगर में सरकारी निधि से निर्मित सडक़ का उन्होंने जब उद्घाटन किया तो इसकी काफी सराहना की थी. इस सरकारी सडक़ की गुणवत्ता ने उन्हें काफी प्रभावित किया थाय इसके बाद शहर के विकास के लिए उन्होंने दिल खोलकर काम किया. बस्तियों की जनता के लिए उन्होंने जो किया उसे कभी नहीं भुलाया जा सकता है.
हमेशा शुक्रगुजार रहूंगा
मेरा डॉ. ईरानी के साथ एक मजदूर के रूप में तथा एक जनप्रतिनिधि के रूप में जो संबंध रहा है, उसे मैं अपने जीवन का सबसे बेहतर समय मानता हूं. इस स्नेह एवं प्यार के लिए मैं हमेशा उनका शुक्रगुजार रहूंगा. डॉ. ईरानी का व्यक्तित्व आकर्षक और अक्खड़ था, वे उद्योग हित के साथ मजदूर हित, लोकहित के सच्चे शुभचिंतक थे. उनका अक्खड़पन भी सराहनीय रहा है. उन्हें जो उचित लगता था उसे होयेगा कहते थे. कभी गलत एवं अनुचित काम के लिए हामी नहीं भरते थे. इस्पात उद्योग में उनके योगदान के लिए ही उन्हें भारत सरकार ने पद्म भूषण की उपाधि से सम्मानित किया था. डॉ. इरानी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली शोहरत का ही नतीजा था कि उन्हें इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया था.
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