उदित वाणी सरायकेला: जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आता जा रहा है। वैसे- वैसे पार्टियों द्वारा एक दूसरे के प्रति बयान बाजी के साथ पलटवार कर रहे हैं।बीते रविवार को गम्हरिया के मोहनपुर गांव में भाजपा प्रत्याशी गीता कोड़ा व उनके कार्यकर्ताओं पर हुए हमले से सांसद सह भाजपा प्रत्याशी गीता कोड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा द्वारा मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और झामुमो कार्यकर्ताओं के ऊपर गंभीर आरोप लगाया था। सोमवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा सरायकेला-खरसावां जिला कमेटी और वरिष्ठ नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दिया। डॉ शुभेन्द्र महतो, जिला अध्यक्ष झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कहा मोहनपुर गांव की घटनाओं से झामुमो को कोई मतलब नहीं है। इस मामले में झामुमो और मुख्यमंत्री को बेवजह फंसाने की साजिश की जा रही हैगीता कोड़ा किस पार्टी का प्रत्याशी है, यह ग्रामीणों को मालूम भी नहीं है। वह पांच साल पूर्व वोट मांगने गांव में आई थी। उसके बाद फिर जब इस बार चुनाव में वोट मांगने आई तो ग्रामीणों का यह पूछना स्वाभाविक था कि उन्होंने पिछले पांच साल में क्या किया है? उन्होंने कहा कि बीजेपी को पूरे देश के लोग तिरस्कृत कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में उनके खिलाफ विद्रोह की लहर है। गीता कोड़ा के भाजपा में शामिल होने ने नाराज भाजपा कार्यकर्ताओं के द्वारा ही ग्रामीणों को भड़का कर इस प्रकार की घटना को अंजाम दिया गया है। इस मौके पर झामुमो के केंद्रीय सदस्य रामदास टुडू ने कहा कि गीता कोड़ा को लेकर आदिवासियों में आक्रोश है। आदिवासी दिवस पर होडिंग छपाने के बाद भी वे शिरकत नहीं की। इससे समाज के लोग उन्हें सम्मानित नहीं कर पाए थे। इसको लेकर समाज में काफी नाराजगी थी। उन्होंने कहा कि सांसद ने क्षेत्र में आदिवासियों के कभी किसी कार्यक्रम में शिरकत नहीं किया। इसके साथ ही विकास में भी कभी रुचि नहीं ली। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को यह जानने का अधिकार है कि बीजेपी ने पिछले दस वर्षों में क्या किया। साथ ही कहा कि इस घटना के पीछे जेएमएम का नाम आना काफी हास्यास्पद है, क्योंकि स्वयं भाजपा के लोग ही ग्रामीणों को पिस्टल और बंदूक दिखाकर डराने, मारपीट करने का काम किया। इस मौके पर जिला उपाध्यक्ष अमृत महतो ने कहा कि भाजपा का मकसद सदैव ग्रामीणों को झूठे मामले में फंसाना रहता है। हकीकत यह है कि घटना के दिन झामुमो कार्यकर्ता मुख्यमंत्री के साथ विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल थे। फिर उंक्त घटना के समय झामुमो कार्यकर्ता उंक्त स्थल पर कैसे थे, यह सोचनीय है।
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