उदित वाणी,जमशेदपुर: मंगलवार को एलबीएसएम कॉलेज करनडीह में हो विभाग के द्वारा हो विभाग के विभागाध्यक्ष शिप्रा बोईपाई की अध्यक्षता में हो लिपि (वाराङ क्षिति लिपि) के जनक गुरु कोल लाको बोदरा की 104 वीं जयंती मनाई गई।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार झा उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि इस धरती पर विशिष्ट लोगों का जन्म विशिष्ट कार्यों के लिए होता है। इसी तरह लाको बोदरा का जन्म भी विशिष्ट कार्यों के लिए हुआ था और उनकी विशेष कृति के कारणों से ही उनकी जयंती को मना रहे हैं।
लिपि भाषा का अभिव्यक्ति करता है और किसी भी भाषा का लिपि होना उसे वह भाषा, संस्कृति और संपूर्ण समाज गौरांवित होता है। लाको बोदरा ने लिपि का आविष्कार किया है। अब छात्रों को और रिसर्च स्कॉलर को भाषा विज्ञान पर विशेष कार्य करने की आवश्यकता है और भाषा के साथ-साथ साहित्य सृजन में विशेष कार्य करने की आवश्यकता है।
भाषाओं को जीवांत रखने के लिए रोजगार के साथ जोड़ने की आवश्यकता है। हो भाषा एवं संस्कृति की संरक्षण एवं संवर्धन के लिए भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल करने की आवश्यकता है। आठवीं अनुसूची में शामिल होने से रोजगार,व्यवसाय और आधिकारिक भाषा हो सकता है। छात्रों ने लाको बोदरा द्वारा रचित गीतों व कविताओं को प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का संचालन स्नातक के छात्र अभिषेक सनातन सिंकू के द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से उपस्थित अर्थशास्त्र विभाग के अध्यापिका सुमित्रा सिंकू, संजीव कुमार मुर्मू, सुकरा हो , कृष्ण चंद्र बिरवा, मारसाल देवगम, सानिया सिदु, लक्ष्मण हेम्ब्रम , जाया बिरूली, बिरेन गोडसोरा एवं सैकड़ो छात्राएं उपस्थित थीं।
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